स्वास्थ्य

4.83 लाख लोगों के बीच ढूंढे जाएंगे टीबी के मरीज

गोरखपुर. जनपद में राष्ट्रीय पुनरीक्षित क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम ( आरएनटीसीपी )  के तहत शुरू हुए एक्टिव केस फाइंडिंग ( एसीएफ ) कैंपेन के तहत 4.83 लाख लोगों तक पहुंच कर उनमें टीबी रोगियों को ढूंढा जाएगा।

जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. रामेश्वर मिश्रा ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में बताया कि शहरी क्षेत्र में यह अभियान 10 अक्टूबर से ही शुरू हो चुका है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 12 अक्टूबर से अभियान शुरू होगा। आगामी 21 अक्टूबर तक लक्षित आबादी तक पहुंच कर टीबी मरीज ढूंढ लिए जाएंगे और उनका निशुल्क इलाज शुरू किया जाएगा।

डीटीओ ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी अधिकारी (सीएओओ) डा. श्रीकान्त तिवारी के निर्देश पर पूरे जनपद में इस अभियान में सरकारी कर्मचारियों के अलावा वर्ल्ड हेल्थ पार्टनर, रीच और जीत जैसे स्वयंसेवी संगठन सहयोग कर रहे हैं। अभियान के दौरान जो भी मरीज चिन्हित किए जाएंगे उनका न केवल निशुल्क जांच व इलाज किया जाएगा बल्कि पोषक तत्वों के सेवन के लिए उनके खाते में प्रति माह 500 रुपये भी दिए जाएंगे।

डीटीओ ने बताया कि जनपद में अब तक 6 एसीएफ कैंपेन चल चुका है और करीब 28.89 लाख की आबादी के बीच से अभियान के दौरान ढूंढे गए 1142 टीबी रोगियों को इलाज दिया जा चुका है। इस बार अभियान का सातवां चरण चलने जा रहा है। उन्होंने बताया कि अब तक के छह चरण के अभियान में कुल 18088 टीबी के लक्षण वाले लोग मिले जिनमें 1142 में टीबी की पुष्टि हुयी। उन्होंने बताया कि शहर में 250 ऐसे बच्चे हैं जो टीबी से पीड़ित हैं और जिनका इलाज चल रहा है।

उन्होंने लोगों से अपील की कि इंफार्मेंट योजना के तहत लोग टीबी मरीजों को चिन्हित करवाने में विभाग की मदद करें। ऐसे लोगों को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है बशर्ते की सूचना देने वाला सरकारी कर्मचारी न हो। डीटीओ ने जनपद के समाजसेवियों से यह भी अपील की है कि वे आगे आकर टीबी पीड़ितों को गोद लें और उन्हें स्वस्थ करने में मदद करें ताकि 2025 तक गोरखपुर को भी टीबी से मुक्त किया जा सके।

इस अवसर पर आरएनटीसीपी से जुड़े उप जिला क्षय रोग अधिकारी डा. विराट स्वरूप, जिला कार्यक्रम समन्वयक धर्मवीर प्रताप सिंह, पब्लिक प्राइवेट मिक्स (पीपीएम) एएन मिश्रा, केके गुप्ता, केके शुक्ला भी मौजूद रहे।

  • क्षय रोग को जानिए
    • प्रत्येक 10 में से 07 व्यक्ति इसके बैक्टेरिया से प्रभावित है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने पर प्रभावित व्यक्ति टीबी की चपेट में आ जाता है।
    • बच्चों में टीबी की रोकथाम के लिये उनके पैदा होने के बाद अतिशीघ्र बीसीजी का टीका लगवाना आवश्यक है।
    • टीबी का एक मरीज 10-15 लोगों को इसका बैक्टेरिया बांट सकता है।
    • मधुमेह रोगी और एचआईवी पीड़ित में टीबी की आशंका बढ़ जाती है।
    • ओवर डाइटिंग, ओवर एक्सरसाइज व शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने पर टीबी की आशंका बढ़ जाती है।
    • टीबी की दवा बीच में छोड़ देने से यह ड्रग रेसिस्टेंट टीबी में बदल जाता है जिसका इलाज और कठिन हो जाता है। इसलिए इसका पूरा डोज लेना चाहिए।
    • यह बीमारी टीबी मरीज के साथ बैठने से नहीं होती बल्कि उसके खांसी, छींक, खून व बलगम के संक्रमण से होती है।
    • मुंह पर रूमाल रख कर, बलगम को राख या मिट्टी से डिस्पोज करके व सही समय पर टीबी की जांच व इलाज से हम इसे मात दे सकते हैं।

गोरखपुर में टीबी का हाल
जनपद में जनवरी से लेकर मार्च तक सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी के 1520 मरीज चिन्हित किए गए जबकि निजी चिकित्सालयों में 847 मरीज चिन्हित हुए। इन सभी का इलाज जारी है। एक अप्रैल 2018 से 10 जुलाई 2019 तक टीबी के कुल 13042 मरीज चिन्हित हुए हैं जिनमें से 7373 लोगों ने अपने बैंक डिटेल स्वास्थ्य विभाग को मुहैय्या कराये हैं और इन लोगों में से 5301 लोगों को पोषण के लिए प्रतिमाह दिये जाने वाली 500 रुपये की रकम इनके खाते में दी जा चुकी है।

एक्टिव केस फाइडिंग (एसीएफ) वैन 50 से अधिक गांवों में घूमेगी

 जिले में टीबी रोग के प्रति जनजागरूकता फैलाने के लिए एक्टिव केस फाइडिंग (एसीएफ) वैन भी गांव-गांव भ्रमण करेगी। जिले में 50 से अधिक टीबी की दृष्टि से संवेदनशील गांवों में जाकर यह वैन लोगों को बीमारी के लक्षणों के बारे में जागरूक करेगी। मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डा. श्रीकांत तिवारी ने शुक्रवार को हरी झंडी दिखा कर इस वैन को रवाना किया।

जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. रामेश्वर मिश्र ने बताया कि सीएमओ के निर्देशानुसार एसीएफ वैन सभी सीएचसी-पीएचसी से जुड़े इलाकों में जाएगी।

उन्होंने बताया कि टीबी रोगियों के नोटिफिकेशन में ड्रगिस्ट एवं केमिस्ट को भी संवेदीकृत किया गया है। इस संबंध में औषधि निरीक्षक जय सिंह और केमिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री आलोक चौरसिया की उपस्थिती में हुयी बैठक में अपील किया गया कि एच-वन शैड्यूल के तहत खुदरा दवा विक्रेता उनके यहां आने वाले टीबी रोगियों से संबंधित पूरी जानकारी जिला क्षय रोग केंद्र या औषधि निरीक्षक के कार्यालय को प्रत्येक महीने अवश्य भेजें।

बैठक में महानगर के कुल 35 खुदरा दवा विक्रेताओं ने हिस्सा लिया जिनमें विनय कुमार अग्रवाल, अखिलेश गुप्ता, नवीन तिवारी, रवि कुमार जायसवाल और दिलीप गुप्ता प्रमुख तौर से शामिल रहे।

चिकित्साधिकारी डा. सुनील सिंह, जिला कार्यक्रम समन्वयक धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम एएन मिश्रा, औषधि निरीक्षक संदीप चौधरी, दीपेश सेन और केडी दूबे ने दवा विक्रेताओं को पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) के बारे में विस्तार से जानकारी दिया।

जिले में 2460 खुदरा दवा विक्रेता

डीटीओ ने बताया कि जिले में 2460 खुदरा दवा विक्रेता हैं जिन्हें निर्देश है कि एच वन शैड्यूल फार्मेट पर अपने यहां आने वाले टीबी रोगियों के बारे में जानकारी दें। फिलहाल 19 खुदरा दवा विक्रेता टीबी रोगियों को नोटिफाई करवा रहे हैं। उन्होंने बताया कि विभागीय प्रयासों, निजी चिकित्सकों, एसीएफ जैसे कैंपेन की मदद से जिले में इस समय नोटिफाई किए गए कुल 4101 टीबी रोगियों का आरएनटीसीपी के तहत इलाज चल रहा है।

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