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एससी/एसटी/ओबीसी शिक्षा, छात्रवृत्ति और आरक्षण बचाओ में जुटी भारी भीड़, निर्णायक आंदोलन का आह्वान

गोरखपुर। अम्बेडकर जन मोर्चा द्वारा रविवार को तारामंडल रोड स्थित सत्यम लान में आयोजित एससी/एसटी/ओबीसी शिक्षा, छात्रवृति और आरक्षण बचाओ रैली में भारी भीड़ जुटी। रैली में वक्तओं ने केन्द्र व प्रदेश सरकार पर दलितो, आदिवासियों, पिछड़ों को शिक्षा, छात्रवृत्ति और आरक्षण से वंचित किए जाने का आरोप लगाते हुए निर्णायक संघर्ष करने का आह्वान किया।

रैली को दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कालेज के प्रोफेसर रतन लाल, पूर्व सांसद लालमणि प्रसाद, गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर चन्द्र भूषण अंकुर , दलित चिंतक अलख निरंजन, सामाजिक कार्यकर्ता निर्देश सिंह, अर्चना गौतम, रिटायर अफसर दीपचन्द, डॉ राम विलास भारती  आदि ने सम्बोधित किया।

अंबेडकर जन मोर्चा के मुख्य संयोजक श्रवण कुमार निराला ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एससी/ एसटी/ ओबीसी को शिक्षा, छात्रवृत्ति और आरक्षण से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है। जिस तरह से दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों की छात्रवृत्ति बंद की गई है आने वाले समय में इन वर्गाें के छात्र-छात्राएं शिक्षा से वंचित हो जाएंगे और उनकी आने वाली पीढ़ी के सामने मजदूरी के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल को 10 सूत्री मांगों का ज्ञापन भेजा गया था और कहा गया था कि यदि यह मांग पूरी नहीं हुई प्रदेश स्तर पर आंदोलन शुरू करेंगे जो संसद के घेराव करने तक चलेगा। इस रैली के साथ इस आंदोलन का आगाज हो गया है।

रैली के मुख्य अतिथि शिक्षा प्रो रतन लाल ने कहा कि एससी/एसटी/ओबीसी छात्रवृत्ति और आरक्षण को  सरकार तो खत्म कर चुकी ही है, इस सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से संविधान को भी खत्म करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि आज के नेता लीडर नहीं डीलर हो गए हैं। बाबा साहब के संविधान ने हमें अधिकार दिया कि हम सत्ता से सवाल करें, उनसे तर्क करें। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो सत्ता निरंकुश और तानाशाह हो जाती है। नगारिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नोटबंदी, जीएसटी, धारा 370 के क्रम में यह दलितों, गरीबों, पिछड़ों के लिए वोटबंदी का संकेत और षडयंत्र है।

रैली की अध्यक्षता कर रहे पूर्व मंत्री लालमणि प्रसाद ने कहा कि बाबा साहब के संविधान के मौलिक अधिकारों को आज तक सरकारें लागू नहीं कर सकी हैं। जिसके कारण देश में असमानता, अराजकता, अन्याय, अपराध कायम है।

दलित चिन्तक डॉ अलख निरंजन ने कहा कि विपक्ष अपनी कमजोरियों के कारण सत्ता से सवाल पूछने की स्थिति में नहीं है। इसलिए यह काम बुद्धिजीवी कर रहे हैं। उन्होंने मनुवादी ताकतों को दलितों का सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए कहा कि ये ताकते हमेश पीछे छिपकर वार करती हैं। इनका यही इतिहास है। आज जब जनता इनकी असलियत समझ गई है तो ये कह रहे हैं कि जनता को गुमराह किया जा रहा है। यह सरकार दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों की छात्रवृत्ति पर पांच अरब रूपए भी खर्च करने को तैयार नहीं है जबकि कुंभ और दूसरे गैरजरूरी कार्यों पर सैकड़ों करोड़ रूपए खर्च कर रही है।

सामाजिक कार्यकर्ता निर्देश सिंह ने कहा कि हमें सबसे पहले महिलाओं एवं ग्रामीण क्षेत्र की जनता को जागरूक करना होगा। अम्बेडकर की शिक्षा और विचार ही हमारे संघर्ष का पथ है।

प्रो चन्द्रभूषण अंकुर ने कहा कि आज का समय एक बड़े बदलाव के मुहाने पर है। इतिहास में दर्ज संघर्षों और आंदोलन से सीखते हुए हमें आज बदलाव की लड़ाई से जुड़ने की जरूरत है।

डॉ रामविलास भारती ने कहा कि हमें अपने दुश्मन को पहचानना होगा। हम एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक के रूप में पहचान बनाने के बजाय बहुजन समाज के रूप में पहचान बनाएं। मनुवादी ताकतें हमें जाति में बांटती है लेकिन धर्म के नाम पर एकजुट कर हमारे साथ धोखा करती हैं। इसकों समझने की जरूरत है।

अर्चना गौतम ने कहा कि कि सामाजिक आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना होगा। आज भी प्राथमिक विद्यालयों में दलित बच्चों के साथ भेदभाव किया जाता है। लोगों को शिक्षा के महत्व को समझाना होगा।

रिटायर अफसर दीपचंद ने कहा कि संविधान ने जो अधिकार हमें दिए हैं उसे छीनने की कोशिश हो रही है। इसके लिए हमें एकजुट होने की जरूरत है।

रैली में अंबेडकर जन मोर्चा के जिलाध्यक्ष रोशन राव, अमित कुमार, सूरज भारती, भास्कर, मंजू लता, अनामिका चौधरी, रूक्मणि चौधरी, राम कुमार राव, विक्रम प्रसाद, शेखर, विनोद कुमार, छात्र नेता भास्कर चौधरी, अजीत कुमार निषाद, नीरज, सत्येन्द्र भारती, पवन कुमार, राजेंद्र प्रसाद, दिनेश निषाद, नितेश कुमार, हरिलाल भारती, अतुल आर्या, अतुल आर्या, विद्या निषाद, सत्य प्रकाश मोदनवाल, एलवी गौतम, वैजनाथ कनौजिया, यशवंत कनौजिया, यशवंत कीर्ति, आनंद राजन, राजन पासवान, विजय नारायण, संतोष कुमार आदि उपस्थित थे।
रैली स्थल पर पुस्तकों के कई स्टाल लगे थे जिस पर बहुजन साहित्य रखा हुआ थ।

रैली में पहले से घोषित कई वक्ता नहीं आ सके इसके बावजूद सुबह 11 बजे से देर शाम तक रैली चली और लोग वक्ताओं को सुनने के लिए डटे रहे।

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