नगर विधायक ने मण्डलायुक्त से मेडिकल रोड के नाले की “ थर्ड पार्टी विस्तृत सर्वेक्षण ” की मांग की

 

गोरखपुर. नगर विधायक डा राधा मोहन दास अग्रवाल ने आज गोरखपुर के मण्डलायुक्त जयंत नार्लिकर से बात कर मेडिकल रोड पर दोनों तरफ बन रहे नालों के 5-6 बिन्दुओं पर बार-बार जांच पर आपत्ति जताई । उन्होंने कहा कि बार-बार के कुछ बिन्दुओं पर जांच की जगह आवश्यक है कि असुरन चौराहे से लेकर मेडिकल कॉलेज तक दोनों तरफ के पूरे नाले का नये सिरे से थर्ड-पार्टी विस्तृत सर्वेक्षण करा लिया जाये और उसके हिसाब से नालों को तोड़कर फिर से ड्रेनेज-लेबेल के अनुसार नाले बनाये जायें।

नगर विधायक ने कहा कि वे नवम्बर  2019 से यह विषय उठा रहे हैं कि मेडिकल रोड के नाले, मोहल्लों के नालों से बहुत ऊंचे हैं और सड़क बन जाने के बाद 10 वार्डों के सैकड़ो मोहल्लों के 50-60 हजार नागरिकों के क्षेत्र में हमेशा स्थाई रूप से जलभराव रहेगा । उन्होंने कई बार विधानसभा में यह विषय उठाया. उप-मुख्यमंत्री तथा लोक निर्माण मंत्री केशव प्रसाद मौर्या से बात की और उनकी अपर मुख्य सचिव ( पीडब्ल्यूडी) नितिन रमेश गोकर्ण,सचिव रंजन कुमार तथा इन्जीनियर इन चीफ आर आर सिंह के साथ विस्तृत बैठक हुई, लेकिन अभी भी जांच ही चल रही है।

नगर विधायक ने कहा कि एक बार उनकी तथा उप नगर आयुक्त की उपस्थिति में पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं ने जांच की तो मेडिकल नाला, मोहल्लों के नालों से 80 सेमी ऊंचा था ,दुबारा नगर आयुक्त ने हमारे निर्देश पर नगर निगम के मुख्य अभियंता से जांच कराई तो मेडिकल नाले ,मोहल्लों के नालों से 0.48 मीटर से लेकर 2•88 मीटर तक ऊंचे मिलें और तीसरी बार कमिश्नर के निर्देश पर नगर आयुक्त ने पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं के साथ फिर जांच कराई तो बहुत स्पष्ट शब्दों में 16 मार्च को रिपोर्ट देकर लिखित रूप से कहा कि मेडिकल कॉलेज से लेकर असुरन चौराहे तक आस-पास के सभी मोहल्लों में मेडिकल नाले के ऊचे होने के कारण अभी से जलभराव होना शुरू हो गया है ,पूरा नाला बनने के बाद तो स्थिति और भी खराब हो जायेगी क्योंकि पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं ने निहायत गैर-जिम्मेदारी के साथ बहुत बड़े हिस्से में बंद ह्यूम-पाईप डाल दी है ,जिसकी सफाई ही कभी सम्भव नही होगी।

नगर आयुक्त ने लिखित रूप से कहा है कि ह्यूम-पाईप निकाल कर खुले नाले बनाये जाये ,नालों पर बनाये गये स्थाई छत हटाई जाये और नालों को तोड़कर नीचा किया जाये ।

नगर विधायक ने मण्डलायुक्त से कहा कि कमिश्नर ने 17 मार्च को जल निगम तथा गोरखपुर विकास प्राधिकरण को फिर से सयुंक्त जांच के लिए निर्देशित किया है। आखिर बार-बार सिर्फ 5-6 विन्दुओं पर लेवल चेकिंग से क्या मिलेगा ? अब तो यह स्थापित तथ्य है कि लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं ने निहायत गैर-जिम्मेदारी का परिचय दिया और वैज्ञानिक तौर-तरीके से नालों का लेबेल निकाला ही नहीं और सबकुछ ठेकेदार के लोगों के हवाले कर दिया । अब वे अपनी गलती भी नहीं मान रहे हैं। जिलाधिकारी ने उन्हें लिखित रूप से आदेशित किया था कि सारे ह्यूम-पाईप निकाल कर उसकी जगह खुले नाले बनाये जाये और पूरे नाले का नगर निगम के साथ ज्वायंट सर्वेक्षण करके नाले नये सिरे से बनाये जायें, लेकिन लोक निर्माण विभाग के अभियंता किसी की नही सुन रहे और पहले की तरह नालों का निर्माण बदस्तूर जारी है ।

नगर विधायक ने कहा कि अभी जलनिगम की ऐसी ही लापरवाही के कारण 30 अभियंताओं को शासन ने चार्जशीट दिया । निर्णय में देरी होने के कारण इनमें से 9 पिछले साल सेवानिवृत्त हो गये ,अब जलनिगम के बोर्ड से अनुमति लेकर उनके विरूद्ध कार्यवाही हो रही है । लोक निर्माण विभाग के अभियंता भी उसी ओर जा रहे हैं।

नगर विधायक ने मण्डलायुक्त से कहा कि 4-5 बिन्दुओं पर जांच से कुछ नही मिलेगा । यह जरूरी है कि मेडिकल रोड के दोनों तरफ के नालों का असुरन चौराहे से लेकर मेडिकल कॉलेज तक, अब अंतिम रूप से “”थर्ड-पार्टी विस्तृत सर्वेक्षण ” करा लिया जाये और लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं को उसके हिसाब से नये सिरे से नाला बनाने के लिए निर्देशित किया जाये।