बस चलने से मजदूरों को मिली राहत, गोरखपुर से रवाना हुईं 28 बसें

गोरखपुर। लॉकडाउन दिहाड़ी मजदूरों पर किसी आपदा से कम नहीं है। दिहाड़ी मजदूर एक तरफ कोरोना वायरस से बचने के लिए लड़ रहे हैं वहीं लॉकडाउन से भी बुरी तरह जूझ रहे हैं। शानिवार को परिवहन निगम की कुछ बसों के संचालन से उन्हें अपने घर जाने का मौका मिला. बसों के संचालन ने लाकडाउन के कारन फंसे मजदूरों को थोड़ी राहत दी.

परिवहन निगम के गोरखपुर के रीजनल मैनेजर डीवी सिंह ने बताया कि रात ९ बजे तक यहाँ से 28 बसें रवाना की गयी हैं. इनमें दिल्ली से अययन बसें भी शामिल हैं. ये बसे तमकुही, पडरौना, कसया, देवरिया, महराजगंज, सोनौली के लिए भेजी गयीं. यात्रियों की स्वास्थ्य जाँच की गयी और उन्हें भोजन भी कराया गया.

बिहार के यात्रियों को बिहार बार्डर पर उतार दिया जा रहा है। बस स्टेशन पर काफी भीड़ रही। बसों में भारी भीड़ देखने को मिली। बस स्टेशन पर सैकड़ों लोग एकत्र थे.

 

डीएम की मदद से चार मजदूरों को मिली बस

बस चलने की वजह से गोरखपुर में फंसे कुशीनगर जिले के चार मजदूर भी अपने घर के लिए रवाना हो सके.

एक माह से बहरामपुर बहादुर शाह जफर कालोनी के फुटपाथ पर रह रहे तीन मजूदरों के पास न पैसा बचा था न ही खाना। आसपास के लोगों की मदद से कुछ खाने का इंतजाम चल रहा था। पिरोजहा कुशीनगर के रहने वाले 41 वर्षीय नूर हसन अंसारी अपने दो भाईयों मुस्तकीम व साबिर के साथ मेहनत मजदूरी करते हैं। एक माह से तीनों बहरामपुर में थे। जबसे लॉकडाउन हुआ है तीनों की जिंदगी पर ब्रेक लग गया है। खाने व कमाने की चिंता तीनों को अंदर ही अंदर खाये जा रही है इसीलिए तीनों ने फैसला लिया कि कोई साधन नहीं मिलेगा तो पैदल ही घर चले जायेंगे। अपने परिवार के साथ रह कर खेत में काम करके जिंदा तो रह सकेंगे।

नूर हसन के छह, साबिर के पांच व मुस्तकीम के तीन बच्चे हैं। तीनों का परिवार उनकी राह देख रहा है, हालांकि गोरखपुर से कुशीनगर की दूरी 50 से 60 किलोमीटर है लेकिन तीनों के गांव की दूरी गोरखपुर से 90 किलोमीटर है। तीनों रविवार को पैदल ही घर के लिए निकलना चाहते थे। इन तीनों की मदद मियां साहब इस्लामिया इंटर कालेज बक्शीपुर के अध्यापक मुख्तार अहमद कर रहे थे। बहरामपुर में ही कुशीनगर के ही एक और दिहाड़ी मजदूर अशरफ अली अपने दो बच्चों आमिर व मासूम और पत्नी आसमां के साथ किराये के मकान में रह रहे थे। उनके हालात भी दयनीय थी.

बहरामपुर बहादुर शाह जफर कालोनी में रह रहे कुशीनगर के रहने वाले चार दिहाड़ी मजदूरों की शिक्षक मुख्तार अहमद के जरिए डीएम के. विजयेंद्र पांडियन से बात हुई। डीेएम ने मजूदरों के रहने व खाने की व्यवस्था करने की बात कही, लेकिन मजदूरों ने घर वापस जाने की इच्छा जतायी। डीएम ने कहा कि आप मेरा नम्बर रख लीजिए और रेलवे बस स्टेशन चले आईए। जहां पुलिस रोके तो मेरी बात करवा दीजिएगा। फिर मजदूर पैदल ही निकल पड़े बस स्टेशन के लिए। बस स्टेशन पर पहुंचकर मजदूरों की स्क्रीनिंग हुई। फ्री में खाना खिलाया गया। मजदूरों ने डीएम का फोन के जरिए शुक्रिया अदा किया।

शाम 5:17 बजे सभी मजदूर बस से अपने घर के लिए रवाना हो गए। यह जरुर है बस यात्रा फ्री नहीं थी. कंडक्टर ने यात्रियों से तमकुही कुशीनगर का 120 रुपया प्रति यात्री टिकट काटा। मजदूर अशरफ अली के पास पैसा नहीं था। डीएम के कहने पर कंडक्टर ने अशरफ अली व उसके परिवार से पैसा नहीं लिया।