अधिवक्ता परिषद के आनलाइन व्याख्यान में जीएसटी पर चर्चा हुई

गोरखपुर. अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड द्वारा शुरू की गई “वी0के0एस0 चौधरी स्मृति व्याख्यान माला ” में शनिवार को यू.पी. टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविन्द कुमार गुप्ता ने ‘ दैनिक जीवन में जी. एस. टी. का महत्व ‘ ऑनलाइन व्याख्यान दिया.

उन्होंने कहा कि टैक्स अर्थात कर एक अप्रत्यक्ष कर है जिसका शब्दिक अर्थ हाथ होता है. राज्य सरकार को चलाने के लिए कर की आवश्यकता होती है जो वह हमसे कर के माध्यम से हमसे वसूलती है और अन्य रुपों में हमे वापस प्रदान करती है.  वर्ष 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने असीमानंद गुप्ता  की अध्यक्षता में जीएसटी अधिनियम को लागू करने के लिए कमेटी बनाई और यह 2017 में अस्तित्व में आया.

उन्होंने कहा कि किसी वस्तु के निर्माण से लेकर उसके तैयार होने तक उस पर अनेक कर लग जाते है. उन सबको एक करने के उद्देश्य से ही वर्तमान सरकार द्वारा जीएसटी को लाया गया है जिसकी अवधारणा है एक राष्ट्र एक कर की है जिससे समाज में कोई कर चोरी न कर सके. इसीलिए व्यापारी को सरकार व उपभोक्ता के बीच कर वसूलने के माध्यम बनाया गया है.

श्री गुप्ता ने कहा कि जीएसटी हमारे दैनिक जीवन में सुबह उठने से लेकर सोने तक प्रत्येक वस्तु पर लगती है और यह सभी पर अलग-अलग 28 प्रतिशत तक है। शिक्षा, चिकित्सा व विधि व्यवसाय को इस कर से मुक्त रखा गया है। विधि व्यवसाय में जब कोई व्यक्ति अधिवक्ता नियुक्त करता है तो उसे ही कर देना होगा। जीएसटी वैट का संशोधित रूप है और उससे एक कदम बढ़कर ही है. यह पूरे भारत में लागू है जबकि वैट राज्य स्तर तक ही सीमित है।

कार्यक्रम का संचालन ब्रिजेन्द्र कुमार सिंह एडवोकेट ने किया। इसमें गौरीशंकर पाण्डेय, महेंद्र नाथ शुक्ला, अभयनन्दन त्रिपाठी, डॉ उदयवीर सिंह, कृष्णा नन्द तिवारी, अरुण कुमार पाण्डेय, घनश्याम सिंह, अजीता पाण्डेय, कृष्ण कुमार तिवारी, बद्री विशाल दुबे, ब्रह्मदेव सिंह, मनीष सिंह, मीरा पाल, अभिनव त्रिपाठी, राकेश पाण्डेय, अखिलेश दुबे, विनोद सिंह बघेल, संतोष कुमार सिंह, राजीव भूषण यादव, शम्भू नारायण आदि अधिवक्ताओं ने भागीदारी की.