गोरखपुर ने ही दिया सूबे का पहला कोविड-19 हेल्प डेस्क

प्रदेश में बन चुके हैं कुल 15170 हेल्प डेस्क, जनपद में 510 हैं क्रियाशील

गोरखपुर. प्रदेश सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में अनिवार्य तौर पर लागू किये जा चुके कोविड-19 हेल्प डेस्क को गोरखपुर जनपद में स्वास्थ्य विभाग के अलावा सभी अन्य विभागों के लिए भी अनिवार्य किया जा रहा है। कोरोना संक्रमण की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे कोविड-19 हेल्प डेस्क की राह गोरखपुर जनपद के कोरोना समर्पित रेलवे अस्पताल ने दिखाई थी। इस अस्पताल का हेल्प डेस्क आदर्श के तौर पर कार्य कर रहा है।

शासन से भेजे गये नोडल अधिकारी व अपर गन्ना आयुक्त प्रमोद उपाध्याय और गोरखपुर के जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन भी इस अस्पताल के हेल्प डेस्क की कार्यपद्धति को देख कर सराह चुके हैं। लखनऊ जाने के बाद नोडल अधिकारी ने शासन को इस बारे में अवगत कराया और फिर पूरे सूबे में इसी तरह की डेस्क बनाने का शासनादेश जारी हो गया। इस समय प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे में कुल 15170 हेल्प डेस्क बनाई जा चुकी हैं। गोरखपुर जनपद के सरकारी अस्पतालों में कुल 510 हेल्प डेस्क क्रियाशील हैं। अब गोरखपुर से ही सभी विभागों के लिए हेल्प डेस्क को अनिवार्य कर दिया गया है। इस संबंध में जिलाधिकारी ने निर्देश भी दे दिया है।

रेलवे अस्पताल में कोविड-19 हेल्प डेस्क स्थापित करने की परिकल्पना सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी, एसीएमओ आरसीएच डॉ. नंद कुमार और जिला क्वालिटी कंसल्टेंट डॉ. मुस्तफा खान का था। कोविड-19 संक्रमण बढ़ने के साथ यह तय किया गया कि जिले में एक ऐसा की-प्वाइंट होना चाहिए जहां से सिंगल विंडो पर सभी प्रकार के समन्वय किये जा सकें। 22 मई को यह हेल्प डेस्क स्थापित हुआ। 23 मई को पहला कोरोना मरीज रेलवे अस्पताल में भर्ती हुआ था। बाबा राघवदास मेडिकल कालेज, गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) स्थित क्वारंटीन सेंटर, 100 बेड टीबी अस्पताल, एंबुलेंस सेवा, सीएमओ कार्यालय, सीएमओ कंट्रोल रूप से समन्वय स्थापित कर कोरोना मरीजों की सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित करवाने में यह अभी भी अहम भूमिका निभा रहा है।

हेल्प डेस्क पर पैरामेडिकल स्टॉफ के साथ पल्स ऑक्सीमीटर, इंफ्रारेड थर्मामीटर और सैनिटाइजर रखना अनिवार्य है। अस्पताल में किसी भी मरीज को प्रवेश डेस्क से गुजरने के बाद ही मिलना है।

रेलवे अस्पताल के हेल्प डेस्क मैनेजर अमरनाथ जायसवाल और ब्रह्मालाल प्रजापति का कहना है कि 02 जून को नोडल अधिकारी ने रेलवे अस्पताल अस्पताल का निरीक्षण किया था। उन्होंने मरीजों से हेल्प डेस्क के बारे में फीडबैक लिया। इसके बाद जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन ने भी हेल्प डेस्क देखा और सराहना की। वह बताते हैं कि अस्पताल के कोरोना वार्ड में जब भी किसी मरीज को चिकित्सकीय सहयोग, भोजन, दूध, पोषक सामग्री सहित किसी भी प्रकार की सहायता की आवश्यकता होती है तो वह डेस्क के मोबाइल नंबर पर फोन करता है। अगर मरीज का कोई परिवारीजन भी अस्पताल आता है तो डेस्क पर कोविड-19 प्रोटोकॉल का अनुपालन करते हुए उसे आवश्यक सहयोग दिया जाता है। रेलवे अस्पताल में हेल्प डेस्क सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक कार्य करता है। इसमें तीन अलग-अलग शिफ्ट में हेल्प डेस्क टीम में सीएचओ शिल्पी सिंह, नीतू सिंह, महेंद्रनाथ योगी, विशाल, कलान्त वर्मा और पवन पांडेय योगदान दे रहे हैं।