साहित्य - संस्कृति

अन्याय, शोषण के खिलाफ जनता की आवाज है गोरख पांडेय की कविता

गोरखपुर। क्रांतिकारी कवि एवं जन संस्कृति मंच के संस्थापक महासचिव गोरख पाण्डेय की स्मृति में 29 जनवरी की दोपहर 2 बजे प्रेमचंद पार्क में गोष्ठी और नाट्य मंचन का आयोजन किया गया।

गोष्ठी को संबोधित करते हुए वरिष्ठ कवि देवेंद्र आर्य ने कहा कि गोरख पांडेय क्रांतिधर्मी कवि हैं। नक्सलबाड़ी आंदोलन से पैदा हुए कवियों-लेखकों में सबसे अग्रणी गोरख पांडेय हैं। उन्होंने कविता को आंदोलन से जोड़ने का काम किया।

गोरख ने कवि और कविता के बीच का दुराव खत्म किया। यही कारण है कि वे सामान्य जन में भी लोकप्रिय हुए। जहां भी अन्याय, शोषण है और उसके खिलाफ संघर्ष व आंदोलन है वहां गोरख पांडेय की कविता लोगों की आवाज बनकर उभरती है।

श्री आर्य ने कहा कि गोरख की कविताओं ने सपना, फूल और खुशहाली बार-बार आते हैं जो उनका काव्य परिदृश्य बनाते हैं। उनकी कविताएँ और गीत लोकधुनों पर आधारित हैं जिसके कारण वे आज भी समसामयिक बने हुए हैं और संघर्षों को प्रेरणा देते हैं। उन्होंने गोरख पांडेय के वैचारिक लेखों को बहुत महत्वपूर्ण बताया।

गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कथाकार एवं जन संस्कृति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मदन मोहन गोरख पांडेय से जुड़े आत्मीय प्रसंगों को सुनाते हुए कहा कि गोरख पाण्डेय इस बात को बखूबी समझते थे कि जिन गरीबों, दलितों, मजदूरों, महिलाओं के लिए रचना रच रहे हैं, उनकी मुक्ति का रास्ता आसान नहीं है। यह रास्ता कठिन संघर्ष और बलिदान का है। आज महिलाओं का लोकतंत्र, संविधान और देश बचाने के लिए लाखों की संख्या में सड़क पर उतरना एक नई उम्मीद पैदा कर रहा है। हमें इस संघर्ष में मजबूती के साथ जुड़ने होगा।

गोष्ठी में युवा कवि सच्चितानंद पांडेय, संदीप राय, राजेश साहनी ने भी अपने विचार रखे। रंगकर्मी डॉ मुमताज खान ने गोरख पांडेय की कविता ‘ पैसे का गीत ‘ का पाठ किया। गोष्ठी का संचालन मनोज कुमार सिंह ने किया।

गोष्ठी के बाद अलख कला समूह ने प्रेमचन्द की कहानी ‘ मंदिर ‘ पर आधारित नाटक का मंचन किया। नाटक में सुखिया की भूमिका में गुड़िया मौर्य और पंडित की भूमिका में सोनू गुप्ता ने प्रभावशाली अभिनय किया। अन्य पात्रों की भूमिका आदित्य कुमार, अनन्या, निखिल वर्मा, चंदन यादव, गोविंद प्रजापति, प्रिंस मद्देशिया, रागिनी मौर्य, शांति ने अभिनय किया। नाट्य रूपांतरण व निर्देशन बैजनाथ मिश्र ने किया। सहयोग राजू मौर्य, सच्चितानंद पांडेय, अर्चना शाही, आशुतोष पाल का था।

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