कांग्रेस नेता राघवेन्द्र सिंह की आरटीआई आवेदन पर लेबर ब्यूरो ने दी जानकारी
यूपी में 15 औद्योगिक इकाइयां बंद हुईं
गोरखपुर। देश में पिछले छह वर्षों में 117 औद्योगिक इकाइयां स्थायी रूप से बंद हो गई जिसके कारण इसमें कार्य कर रहे 16,023 कामगार बेरोजगार हो गए।
यह जानकारी आरटीआई आवेदन के जवाब में लेबर ब्यूरो ने दी है। देवरिया निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट एवं कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष राघवेन्द्र सिंह ने पांच दिसम्बर 2019 को श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से आरटीआई आवेदन कर पूछा था कि वर्ष 2014 से अब कितने औद्योगिक इकाइयां बंद हुईं और उसके कारण कितने लोग बेरोजगार हुए। उन्होंने यह भी जानकारी मांगी थी कि कम्पनियों के बंद होने से जो लोग बेरोजगार हुए उनकी आजीविका के लिए क्या प्रबंध किए गए।
इस आवेदन के जवाब में लेबर ब्यूरो चंडीगढ़ के जनसूचना अधिकारी ने जानकारी दी कि वर्ष 2014-2019 तक देश में कुल 117 औद्योगिक इकाइयां स्थायी रूप से बंद हुई जिसमें काम करने वाले 16,023 कामगार प्रभावित हुए। जनसूचना अधिकारी ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया है कि औद्योगिक इकाइयों के बंद होने से बेरोजगार हुए कामगारों की आजीविका के लिए क्या प्रबंध किए गए।
2014 – 2019 में बंद होने वाली औद्योगिक इकाईयां
year | No. Units | No of worker Affected |
2014 | 34 | 4726 |
2015 | 23 | 1920 |
2016 | 28 | 6037 |
2017 | 22 | 2740 |
2018 | 09 | 555 |
2019 | 01 | 45 |
Total | 117 | 16,023 |
दी गई जानकारी के अनुसार वर्ष 2014 में 34, 2015 में 23, 2016 में 28, 2017 में 22, 2018 में 9 और 2019 में एक औद्योगिक इकाई बंद हुई। सबसे अधिक वर्ष 2014 में 34 औद्योगिक इकाइयां बंद हुई जिसके कारण 4726 कामगार बेरोजगार हुए। वर्ष 2016 में 28 औद्योगिक इकाइयों के बंद होने से 6037 कामगार बेरोजगार हुए।
लेबर ब्यूरो ने जानकारी दी है कि इन छह वर्षों में स्थायी रूप से बंद होने वाली औद्योगिक इकाइयों में छह केन्द्रीय औद्योगिक इकाइयां थीं। वर्ष 2014 में एक, 2015 में दो, 2016 में एक, 2017 में दो औद्योगिक इकाइयां बंद हुईं। वर्ष 2016 में ओडीसा में एक केन्द्रीय औद्योगिक इकाई के बंद होने से 3559 कामगार प्रभावित हुए तो यहीं एक राज्य क्षेत्र की इकाई के बंद होने से 943 कामगार प्रभावित हुए।
इन छह वर्षों में सबसे अधिक त्रिपुरा में 21 और उसके बाद उत्तर प्रदेश में 15 औद्योगिक इकाइयां हमेशा के लिए बंद हो गईं।
लेबर ब्यूरो के जनसूचना अधिकारी ने कहा है कि यह सूचना राज्यों के श्रम विभाग और केन्द्र के रीजनल लेबर कमिश्नर द्वारा दी जाने वाली रिपोर्ट पर आधारित है। इन औद्योगिक इकाइयों के बंद होेने के कारणों में औद्योगिक विवाद, कच्चे माल की कमी, ब्रेक डाउन, बिजली और कोयला आपूर्ति में दिक्कत, हिंसा, वित्तीय संकट आदि बताया गया है।