डॉ कफील ने पीएम को लिखी चिट्ठी- रासुका हटा दीजिये , कोरोना महामारी से लडूंगा

गोरखपुर. बीआरडी मेडिकल कालेज के आक्सीजन कांड में गिरफ्तारी के बाद चर्चित हुए बाल रोग चिकित्सक डॉ कफील खान ने प्रधानमन्त्री को पत्र लिखकर कोरोना महामारी से लड़ाई में योगदान देने की इच्छा जताते हुए जेल से रिहा करने की मांग की है ताकि वह लोगों की सेवा कर सकें.
डॉ कफील ने यह पत्र मथुरा जेल से 19 मार्च को प्रधानमंत्री को लिखा है. डॉ कफील इस वक्त रासुका में मथुरा जेल में बंद हैं.  उत्तर प्रदेश सरकार ने बीआरडी मेडिकल कालेज के निलम्बित प्रवक्ता डा. कफील खान को 29 जनवरी को रात 11 बजे मुम्बई में गिरफ्तार किया था. उनके उपर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सीएए-एनआरसी के विरोध में हुई सभा के दौरान धार्मिक भावनाएं भड़काने वाला भाषण देने के आरोप में केस दर्ज किया गया था. इस केस में जमानत मिलने के बाद भी उन्हें रिहा नहीं किया गया और उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून में निरुद्ध कर दिया गया.
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में डॉ कफील ने कहा है कि ‘ मुझे अब तक भारत सरकार द्वारा कोविड-19 (SARS_COV_2) के संक्रमण से बचाव के लिए उठाए गए कदम काफी सराहनीय और संतोषजनक लगे हैं परंतु भारत में इस महामारी के तीसरे चरण में प्रवेश की प्रबल संभावना है . तृतीय चरण में प्रवेश करने पर मुझे आशंका है कि यह विषाणु 30-40 लाख भारतीयों को संक्रमित कर सकता है जिसमें तीन से चार फीसदी संक्रमित लोगों की मौत हो सकती है.
डॉ कफील ने लिखा है कि उन्होंने पिछले दो वर्षों में 103 नि:शुल्क चिकित्सा शिविरों में अपनी टीम के साथ भारत के विभिन्न क्षेत्रों में 50,000 मरीजों की जांच की. इस दौरान अनुभव हुआ कि हमारी प्राथमिक सेवा पूरी तरह से टूटी और चरमराई हुई है. डॉक्टर और नर्सों की बहुत कमी है. कुपोषण से 50% से ज्यादा बच्चे ग्रसित हैं. आईसीयू बहुत कम और शहरों में ही केंद्रित हैं. गरीबी, जनसंख्या,लोगों में जानकारी का अभाव आदि कारण से तृतीय चरण में कोरोना महामारी विस्फोटक हो सकती है. आपसे सादर निवेदन है कि हमें यह अभी से मान कर कि हम तृतीय चरण में प्रवेश कर चुके हैं, युद्ध स्तर पर अपने स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है जैसा कि साउथ कोरिया ने किया ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच व निगरानी कर (चाहे लोग साधारण निमोनिया से क्यों न संक्रमित हों ) और चीन मॉडल जिसमें सामाजिक दूरी को प्रभावी तरीके से लागू किया गया.
इस पत्र में डॉ कफील ने लिखा है कि हमें हर जिले में टेस्टिंग लैब बनाने , हर जिले में  100 -100 बेड का आईसीयू व आइसोलेशन वार्ड बनाने, डॉक्टर, नर्स, आयुष, प्राइवेट सेक्टर को सघन ट्रेनिंग, अफवाहों और अवैज्ञानिक बातों पर रोक लगाने जैसे कार्य करने होंगे. हमें अपने सभी संसाधनों को जल्द से जल्द सक्रिय करना होगा.
डॉ कफील के पीएम को लिखी चिट्ठी में कहा है कि मेरा 15 साल का आईसीयू में काम करने का अनुभव है.  मैंने जेल से निकलने के बाद ( बीआरडी मेडिकल कालेज ऑक्सीजन त्रासदी ) के बाद पूरे भारत में जहां भी प्राकृतिक आपदा आई, अपनी टीम के साथ जो संभव मदद हो सकती थी किया. चाहे वह बिहार में चमकी बुखार हो, यूपी में मस्तिष्क ज्वर का प्रकोप हो, केरल, असम व बिहार की बाढ़ हो हमने वहां जाकर काम किया. झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक में कुपोषण के खिलाफ जंग और स्वाइन फ्लू के मरीजों का इलाज में भी मैंने काम किया. मेरा रिसर्च राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय जर्नल में पब्लिश हो चुका है. मेरी किताब ‘ मनिपाल मैनुअल ऑफ़ पीडियाट्रिक्स ‘  हजारों छात्रों द्वारा पढ़ी जाती है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंत्री डॉ हर्षवर्धन द्वारा अनुमोदित ‘ इंडिया टॉप 25 पीडियाट्रिक्स ‘ में मुझे भी सम्मिलित किया गया है. मैं दिल की गहराइयों से संकट के इस समय अपने अनुभव का उपयोग कोरोना वायरस से लड़ाई में देना चाहता हूं. आपसे सादर निवेदन है कि मेरे अवैध, पूर्णतया गलत, बिना किसी आधार व सबूत के अलोकतांत्रिक तरीके से उत्तर प्रदेश सरकार के दबाव में कपटपूर्ण तरीके से रासुका में निरुद्ध आदेश को हटा दें और मुझे इस महामारी के समय में देश के लोगों की सेवा का अवसर दें.  आपका सदैव सदैव आभारी रहूंगा. जय हिंद. जय भारत,सत्यमेव जयते.  ‘