बारिश में ढहे घर में रह रहे पूर्व विधायक हरिद्वार पांडेय का जीवन ईमानदारी और खुद्दारी की मिसाल

‘ कम खाना, कम पहनना, कम खर्च ’ के उसूल पर चलते रहे, कभी सत्ता का फायदा नहीं लिया

गोरखपुर। ऐसे समय जब सरकार बनाने और गिराने के खेल में एक-एक विधायक की कीमत करोड़ों में लग रही है, गोरखपुर जिले के कांग्रेस के एक पूर्व विधायक ऐसे हैं जिनका खपरैल का पुश्तैनी घर बारिश में ढह गया और उनका परिवार इस ढहे घर के एक बरामदे में जीवन गुजार रहा है। ढाई बीघा खेती और पेंशन से ये पूर्व विधायक आज भी ईमानदारी व खुद्दारी से जी रहे हैं और उन्हें किसी की मदद भी गवारा नहीं हैं।

ये पूर्व विधायक हैं हरिद्वार पांडेय। श्री पांडेय इसी पांच जुलाई को 88 वर्ष के हो गए। वह 1980 से 1985 तक गोरखपुर जिले के मानीराम विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। उनकी प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे वीर बहादुर सिंह से गहरी दोस्ती थी लेकिन उन्होंने कभी किसी तरह का फायदा नहीं लिया। विधायक रहने के दौरान तमाम लोग उनका घर बनवाने सहित दूसरे सहयोग के लिए आए लेकिन उन्होंने सबको सख्ती से मना कर दिया।

श्री पांडेय मानीराम रेलवे स्टेशन के पास पुश्तैनी खपरैल के घर में रहते हैं। यह घर भारी बारिश में रविवार को ढह गया। अब इस घर का सिर्फ बरामदा वाला हिस्सा ही बचा हुआ है जो कभी भी ढह सकाता है। उनका पूरा परिवार इसी बरामदे में रह रहा है। यह बरामदा कभी भी ढह सकता है।

श्री पांडेय ने बताया कि मंगलवार की आधी रात की बारिश शुरू हुई तो लगा कि बरामदा वाला हिस्सा भी ढह जाएगा लेकिन किसी तरह बच गया। इस स्थिति को देखते हुए वह परिवार के बच्चों व स्त्रियों को गोरखपुर में रह रही अपनी बेटी के पास भेज रहे हैं। एक या दो लोग उनकी मदद के लिए यहां रहेंगे। देखते हैं कि घर का निर्माण कैसे होेता है।

श्री पांडेय के पुश्तैनी घर के ढहने की खबर मिलने पर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव विश्वविजय सिंह सोमवार को और जिलाध्यक्ष निर्मला पासवान मंगलवार के उनसे मिलने पहुंचे। कांग्रेस की जिला इकाई अपने पूर्व विधायक की मदद के लिए योजना बना रही है। प्रदेश महासचिव विश्वविजय सिंह ने कहा कि पार्टी ने श्री पांडेय के घर के निर्माण का निर्णय लिया है।

पूर्व विधायक हरिद्वार पांडेय ने युवा अवस्था में ही कांग्रेस की सदस्यता ले ली थी। वह 1954 में कांग्रेस के सदस्य बने। उन्होंने हाईस्कूल की पढाई करने के बाद कोई नौकरी करने के बजाय समाज सेवा व राजनीति का क्षेत्र चुना। उन्होंने अधिकतर समय कांग्रेस सेवा दल में दिया। वह कांग्रेस सेवा दल के शिविरों में बतौर प्रशिक्षक पूरे देश का दौरा करते रहे। कुछ समय वह गांवों  में सुरक्षा दल बनाने वाले कार्य से भी जुडे। यह वालंटियर सर्विस होती थी जिसके बदले में 50 रूपए आनरेरियम मिलते थे।

श्री पांडेय बताते हैं कि उनका पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह से लम्बा साथ-बात रहा। वह दोनों साथ उठते-बैठते, खाते-पीते और पार्टी का कार्य करते थे। जब वह गांव-गांव में सुरक्षा दल गठित कर युवाओं को प्रशिक्षण दे रहे थे तब पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह नशा मुक्ति नाम के सामाजिक अभियान से जुड़े थे। यह वह दौर था जब कांग्रेस कार्यकर्ता पार्टी के काम-काज करने के साथ-साथ सामाजिक कार्यों से भी जुड़ते थे। हम दोनों सिर्फ चाय पीकर पार्टी कार्यालय से सुबह निकल जाते और पूरे दिन पार्टी का कामकाज करते।

हरिद्वार पांडेय के पिता रेलवे में नौकरी करते थे और बहुत सख्त मिजाज थे। श्री पांडेय कहते हैं कि उनके पिता बहुत कम बोलते थे और अपने उसूलों से समझौता नहीं करते थे। यह स्वभाव उनके जीवन का भी अूटट हिस्सा बना। हाईस्कूल के बाद पढ़ाई भले छूट गयी लेकिन साहित्य से उनका गहरा जुड़ाव हमेशा बना रहा था। उन्होंने युवा अवस्था में प्रेमचंद की कर्मभूमि, रंगभूमि, गोदान सहित सभी उपन्यास व कहानियां पढ़ी। किताबों से उनका नाता हमेशा जुड़ा रहा।

वह बताते हैं कि ‘ खपरैल का जो घर ढहा है, वह उनका पुश्तैनी घर है। जब वह विधायक हुए तो तमाम लोग उनके पास आए और कहा कि वे लोहा, सीमेंट, ईंट, बालू देने को तैयार हैं। घर बन जाए लेकिन मैने साफ इंकार कर दिया और कहा कि मेरे उपर पाप न चढाओ। मैं इसी में ठीक हूं। मैने पूरा जीवन कम खाया, कम पहना और कम खर्च किया। यही मेरा उसूल बन गया। मेरा खपरैल का घर किसी हवेली जैसा आरामदायक रहा। मै इस घर को छोड़ कर क्यो जाता। ’

हरिद्वार पांडेय सिर्फ एक ही बार चुनाव लड़े और विधायक चुने गए। दोबारा उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। वह चाहते तो उनको कहीं से भी टिकट मिल सकता था क्योंकि काग्रेस के कद्दावार नेता व तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह उनके दोस्त थे। लेकिन उनकी दुबारा चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं हुई। श्री पांडेय कहते हैं कि जब वीर बहादुर सिंह मुख्यमंत्री हुए तो उनके पास सिफारिश कराने के लिए बहुत लोग आते थे, लेकिन उन्होंने कभी किसी गलत काम के लिए सिफारिश नहीं की। आम लोगों की बात वह जरूर सुनते थे और उनके आवेदनों को सम्बन्धित अफसर को मार्क करते हुए सिर्फ ‘ उचित कार्रवाई करें ’ ही लिखते। वीर बहादुर सिंह कहा करते थे कि हरिद्वार पांडेय जी के कारण वह ईमानदार बने रहे। श्री पांडेय को गर्व है कि उनसे कोई नाजायज कार्य नहीं करवा सका और न उन्होंने अपने लिए कोई सुख-सुविधा हासिल की।

पूर्व विधायक हमेशा कार्यकर्ता बन कर रहे और आज भी कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में काम करते हैं। बैठकों, सभा आदि के लिए यदि निमंत्रण मिलता है तो वह जरूर जाते हैं। नियम-अनुशासन से रहने के कारण वह आज भी स्वस्थ और सक्रिय हैं।

पूर्व विधायक हरिद्वार पांडेय से मिलने पहुंचे कांग्रेस के प्रदेश महासचिव विश्वविजय सिंह व अन्य कांग्रेस नेता

 

श्री पांडेय के दो बेटों में से छोटे बेटे का निधन हो चुका है। छोटी बहू और उसके बच्चे साथ ही रहते हैं। बड़े बेटे खेती का काम संभालते हैं। उनके बेटे रोजगार में हैं और परिवार के साथ बाहर रहते है। शादीशुदा बेटी गोरखपुर में रहती है। पूरे परिवार को खर्च पूर्व विधायक के रूप में मिलने वाली पेंशन और खेती से चलती है।

पूर्व विधायक को इस बात का कोई मलाल नहीं है कि ईमानदारी और खुद्दारी का जीवन जीने से वह हमेशा गरीबी में रहे और परिजनों को बेहतर सुख-सुविधा नहीं दे सके। घर ढह जाने के बावजूद वह किसी से मदद की गुहार नहीं लगा रहे हैं। उनका कहना है कि खेतीबारी से होने वाली आय से मकान बनवाएंगे लेकिन समय लगेगा। उनकी पार्टी से भी न कोई शिकायत है न अपेक्षा।

देश में कांग्रेस की दशा-दिशा पर बात चली तो बोले कि कांग्रेस के अच्छे दिन फिर आएंगे। अपनी स्थापना के बाद से ही कांग्रेस ने बहुत उतार-चढाव देखे हैं। कई बार पार्टी के खत्म होेने की भविष्यवाणी की गयी लेकिन पार्टी फिर खड़ी हो गयी। वह कहते हैं कि किसी को यह मुगालता नहीं होना चाहिए कि पार्टी उसकी बदौलत है। नए-नए लोग पार्टी को चलाने के लिए आते जाएंगे। कांग्रेस इस देश की मिजाज को जानती है। उसकी विरासत बलिदान और त्याग की है। पार्टी गरीबों के साथ बनी रहे। अमीर मतलबपरस्त होते हैं। वे किसी के नहीं। जो गरीबों के साथ खड़ा होगा, गरीब उसके साथ खड़े रहेंगे।