कुष्ठ रोग के उपचार के प्रति प्रेरित करेंगी फ्रंटलाइन वर्कर 

देवरिया। कुष्ठ रोग के प्रति समाज को जागरूक करने के लिए अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ) डीवी शाही की मौजूदगी में शहरी क्षेत्र की एएनएम, आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सीएमओ कार्यालय के धन्वंतरि सभागार में प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण में उन्हें कुष्ठ रोग की जानकारी दी गई। साथ ही समाज में छिपे कुष्ठ रोगियों को ढूंढकर उपचार के लिए प्रेरित करने पर जोर दिया गया।
प्रशिक्षण में एसीएमओ ने बताया कि एएनएम, आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी साथ मिलकर कुष्ठ रोगी की खोज करेंगी। लोगों को कुष्ठ रोगियों की देखभाल के बारे में जागरूक करेंगी। उन्होंने कहा कि समाज में कुष्ठ रोगियों के साथ भेद-भाव किया जाता है लोगों को इसके प्रति भी जागरूक किया जाए। उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल में कुष्ठ रोगियों के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ. इरशाद खान ने कहा कुष्ठ रोगियों का प्रारंभिक अवस्था में इलाज करने से इस रोग का संक्रमण समाप्त किया जा सकता है तभी कुष्ठ मुक्त भारत बनाने का संकल्प पूरा किया जा सकता है। हमारा उद्देश्य है कि कुष्ठ रोग के मरीज समाज के मुख्य धारा में  शामिल हो,  आमजन भी यह जानकारी प्राप्त कर अपने रोग के प्रति जागरूक रहें और अपने शरीर के किसी भी अंग पर इसके लक्षण को देख सचेत हो जाएं। चिह्नित मरीजों को सदर अस्पताल में टब, डिटॉल, चप्पल, तौलिया आदि सामान मुफ्त में दिए जाएंगे।
प्रशिक्षण में यूनिसेफ के प्रतिनिधि डॉ. फईम हसन,  डब्ल्यूएचओ के जोनल कोआर्डिनेटर डॉ. सागर घोड़ेकर सहित शहरी एएनएम, आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मौजूद रहीं।
क्या है कुष्ठ रोग 
 जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता ने कहा कुष्ठ, एक पुराना संक्रामक रोग है जो माइकोबैक्टीरियम लेप्राई और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस जैसे जीवाणुओं की वजह से होता है। यह रोग मुख्य रूप से त्वचा, ऊपरी श्वसन पथ की श्लेष्मिका, परिधीय तंत्रिकाओं, आंखों और शरीर के कुछ अन्य भागों को प्रभावित करता है। कुष्ठ रोग प्रारंभिक अवस्था से लेकर वृद्धावस्था तक किसी उम्र में हो सकता है। इसका ईलाज संभव है। शुरुआती लक्षण को पहचानना मुश्किल होता है। त्वचा सुन्न होना जिसमें स्पर्श या चुभन का महसूस नहीं होता है। नसें क्षतिग्रस्त होना, वजन का कम होना, त्वचा पर फोड़े या चकत्ते बनना एवं त्वचा पर पीले धब्बे बनना कुष्ठ के आरंभिक लक्षण होते हैं।