इंसेफेलाइटिस से मरी बच्ची के गांव का हाल-इंडिया मार्का हैण्डपम्प खराब, हर तरफ जल जमाव, गंदगी और सुअर

महराजगंज के एसीएमओ की रिपार्ट ने इंसेफेलाइटिस की रोकथाम की तैयारियों की पोल खोली

गोरखपुर। महराजगंज जिले में साढे आठ माह की बच्ची की इंसेफेलाइटिस से मौत ने विभिन्न विभागों द्वारा इंसेफेलाइटिस के रोकथाम के लिए किए जाने वाले कार्यों की पोल खोल दी है। बच्ची के गांव में चार सरकारी हैण्डपम्प खराब पाए गए, बच्ची के घर वाले निष्प्रयोज्य घोषित किए गए उथले हैण्डपम्प से पानी पीने को मजबूर थे, गांव में सुअरबाड़ा है गंदगी और जलजमाव है और ग्रामीण खुले में शौच भी कर रहे हैं।

यह रिपोर्ट महराजगंज के अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. विवेक प्रकाश श्रीवास्तव की गांव के दौरे की रिपोर्ट का हिस्सा है। एसीएमओ की रिपोर्ट का विश्लेषण करें तो बच्ची के गांव में वे सभी कारक पाए गए जो इंसेफेलाइटिस के लिए जिम्मेदार हैं। हालांकि बच्ची की मौत के मामले में चिकित्सकीय लापरवाही के आरोप में जिला संयुक्त अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) के खिलाफ कार्यवाही करते हुए उनका वेतन रोकने और दो चिकित्सकों  के खिलाफ जांच कर कार्यवाही करने का आदेश हुआ है।

महराजगंज जिले के लक्ष्मीपुर ब्लाक के भैंसहिया पाठक गांव में अखिलेश की साढ़े आठ माह की बेटी शिवानी की 25 जुलाई को एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से मौत हो गयी। शिवानी 20 जुलाई को बीमार हुई थी। उसे उल्टी, दस्त व बुखार की शिकायत पर परिजन पहले एक प्राइवेट चिकित्सक के यहां इलाज के लिए ले गए। स्थिति में सुधार न होने पर 21 जुलाई को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र फरेन्द्रा के ईटीसी पर बच्ची को इलाज के लिए ले आया गया। वहां पर प्राथमिक इलाज के बाद शिवानी को जिला संयुक्त चिकित्सालय भेज दिया गया जहां इंसेफेलाइटिस मरीजों को भर्ती करने के लिए पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट ( पीआईसीयू ) है। शिवानी यहाँ पर 23 जुलाई की रात भर्ती हुई और 25 जुलाई तक उसका इलाज हुआ लेकिन 25 जुलाई की शाम को उसकी मौत हो गयी।

गोरखपुर मंडल के कमिश्नर जयंत नार्लीकर ने 29 की महराजगंज के फरेन्दा में कोराना व एईएस/जेई की समीक्षा बैठक की। बैठक में शिवानी की मौत का मामला भी सामने आया। कमिश्नर के सामने यह तथ्य सामने आया कि जब बच्ची भर्ती होने के लिए जिला संयुक्त अस्पताल आयी तो उस समय मौके पर बाल रोग चिकित्सक अस्पातल में नहीं थी। दो चिकित्सकों ने उसे अपने घर पर देखा। इस दौरान फिर घर चली गयी और तबियत खराब होने पर फिर आयी। शिवानी के समय से अस्पताल मेें भर्ती नहीं होने के कारण उसका बुखार, एक्यूट इंसेफेलाइटिस में तब्दील हो गया और उसे झटके आने लगे। कमिश्नर ने चिकित्सकीय लापरवाही में सीएमएस का वेतन बाधित करने और दो चिकित्सकों के खिलाफ जांच का आदेश दिया।

बच्ची की मौत के बाद महराजगंज के अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. विवेक प्रकाश श्रीवास्तव ने 29 जुलाई को गांव जाकर पूरी स्थिति देखी। उनकी जांच रिपोर्ट की प्रति गोरखपुर न्यूज लाइन के पास है।

इस जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि बच्ची की उम्र अभी नौ माह पूरी नहीं हुई थी, इसलिए उसे जेई का टीका नहीं लगा था। बाकी सभी टीके लगे थे। बच्ची का जन्म सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लक्ष्मीपुर में हुआ था।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘ शिवानी के घर के पास एक उथला हैण्डपम्प लाल निशान लगा पाया गया परन्तु आस-पास में सुरक्षित पेयजल स्रोत के अभाव में पेयजल की आपूर्ति लाल निशान लगे उथले हैण्डपम्स से ही की जा रही थी। ग्राम सभा में चार इंडिया मार्का हैण्डपम्प-2 खराब हालात में हैं जिनका शीघ्र मरम्मत होना नितान्त आाश्यक है। पेयजल स्रोतों का शीघ्र जीवाणु परीक्षण कराया जाना नितान्त आवश्यक है। ‘

एसीएमओ ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा है कि ‘ शिवानी और आस-पास के घरों में शौचालय था लेकिन घर से 100 मीटर की दूरी पर अनेक जगह ग्रामीणों ने खुले में शौच कर रखा था और वातावरण दुर्गन्धपूर्ण था। साफ-सफाई की स्थिति असन्तोषजनक थी और सड़क किनारे बड़ी-बड़ी झाड़ियां मौजूद थीं। ‘

रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘ शिवानी के घर से 400 मीटर दूर सुअरबाड़ा स्थित है और सुअरों का आबादी में प्रायः भ्रमण होता है। ऐसा परिजनों ने अवगत कराया। शिवानी के घर से बायीं तरफ 100 मीटर की दूरी पर छोटी पोखरी है, घर के पीछे 300 मीटर की दूरी पर बड़ी पोखरी है और घर के सामने 40 मीटर की दूरी पर संकरी नहर है। जिसके किनारे झाड़ी-झंखार, गंदगी व्याप्त थी एवं तट पर खुले में शौच किया जा रहा था। ’

रिपोर्ट में फागिंग होने, बच्ची का आंगनबाड़ी द्वारा वजन किए जाने व पोषाहार वितरित होने की बात कही गयी है।

एसीएमओ की यह रिपोर्ट इंसेफेलाइटिस की रोकथाम के लिए किए जाने वाले कार्यों की विफलता सामने लाती है। वह भी ऐसे समय में जब दस्तक जैसे अभियान के चलते इंसेफेलाटिस के कारकों को खत्म करने की बात हो रही हैं।

महराजगंज जिला ओडीएफ घोषित हो चुका है। ऐसे में गांव में खुले में शौच इस पर सवाल खड़ा करता है। जापानी इंसेफेलाइटिस के कारकों के लिए सुअरबाड़े जिम्मेदार माने जाते हैं क्योंकिवे जेई विषाणु के एम्पलीफायर सोर्स होते हैं। इसलिए हर गांव में सुअरबाड़ों को आबादी से दूर रखने और उन्हें जाली से घेरने का आदेश है लेकिन जांच रिपोर्ट में बच्ची के घर के पास सुअरबाड़े की मौजूदगी पायी गयी। इसी प्रकार उथले हैण्डपम्प का प्रयोग प्रतिबंधित है क्योंकि इससे जल जनित इंसेफेलाइटिस होने की प्रबल संभावना थी। शिवानी के गांव में न सिर्फ उथले हैण्डपम्प के पानी का प्रयोग हो रहा था बल्कि इंडिया मार्का टू हैण्डपम्प खराब पड़े थे।

एसीएमओ की जांच रिपोर्ट खुलासा करती है कि इंसेफेलाइटिस से बचाव के कार्य कागजी हैं और सम्बन्धित विभाग अपनी जिम्मेदारियों के प्रति गंभीर नहीं  हैं।

यहां उल्लेखनीय है कि महराजगंज जिले में इस वर्ष जुलाई महीने तक अभी तक एईएस के 27 और जापानी इंसेफेलाइटिस का केस रिपोर्ट हुए हैं। एईएस से अब तक तीन लोगों की मौत हुई है।