गोरखपुर। कोविड-19 के कारण लागू लॉकडाउन से हमारी आपकी जिंदगी तो जैसे तैसे बाहर निकलती हुई दिखाई पड़ रही है पर 24 मार्च से पहले तक रोज़ सुबह उठकर स्कूल जाने वाले अधिकतर मासूमों के चेहरे अब भी उदास है। भले ही एक वर्ग के बच्चे ऑनलाइन क्लास के ज़रिये अपनी शिक्षा को जारी रख पाने में सफल हुए है पर सरकारी प्राथमिक विद्यालयों और मध्यमवर्गीय विद्यालयो के बच्चे ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। ना तो इन बच्चों के परिवारों में महंगे स्मार्टफोन है या फिर इंटरनेट चलाने हेतु डाटा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इन बच्चों की पढ़ाई लगभग 5 महीनों से रुकी पड़ी है।
पर क्या इस समस्या का हल केवल ऑनलाइन शिक्षा ही है ? नहीं, इन परिस्थितियों में भी एक गैर सरकारी संगठन लोक अभियान ने बच्चों की पढ़ाई जारी रखने हेतु एक दूसरा ही रास्ता खोज निकाला है। जिसके ज़रिये बच्चे घर बैठे ही बगैर स्मार्टफोन और इंटरनेट के ज़रिये पढ़ाई शुरू कर चुके है।
लॉकडाउन के दौरान जैसे अधिकतर स्कूल और अभिभावक बच्चों की पढ़ाई रुक जाने पर चिंतित थे उसी तरह लोक अभियान के लिए भी यह चिंता का विषय था। क्योंकि अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को घर पर पढ़ाई करने में किसी प्रकार की मदद कर पाने में असमर्थ थे। अभिभावकों की सहमति से 15 जुलाई से विकास पब्लिक स्कूल ने बच्चों के लिए विभिन्न विषयों के वर्कशीट तैयार किये। जिसमे पिछली क्लासों का सिलेबस और आसानी से समझ आ सकने लायक नये अध्याय भी जोड़े गये है।
इन वर्कशीट को तैयार करने में बच्चों की रूचि का भी विशेष ध्यान रखा गया है। आर्ट और क्राफ्ट इसका ज़रूरी हिस्सा है । जिससे शिक्षा को जारी रखने की ये कोशिश उबाऊ ना होने पाये। ये वर्कशीट बच्चों तक उनके अभिभावकों के जरिये पहुँच जाती है जिसे बच्चों द्वारा पूरा कराके वापस स्कूल अध्यापक तक पहुंचाने का कार्य भी अभीभवक ही करते है जिन्हे जाँच कर अध्यापक नयी शीट के साथ अभिभावक को लौटा देते हैं। अभिभावकों का सहयोग और विकास पब्लिक स्कूल का सामुदायिक प्रारूप इस प्रयोग के सफल होने का कारण है।
लोक अभियान संगठन से जुड़े अख्तर अली का कहना है कि हमारी संस्था लगभग तीन चार किलोमीटर के दायरे में ही सामुदायिक विकास के लिये बाल एवं महिला शिक्षा के मुद्दे पर काम करती है इसलिये हमारी ये पहल सफल हो रही है। हमने अभिभावकों की आर्थिक दिक्कतों को देखते हुए पिछले सभी शुल्क माफ कर ये शुरुआत की है। अभी भी किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है क्योंकि अधिकतर अभिभावक या तो बेरोजगार है या फिर उनकी आय पहले से बहुत कम हो चुकी है। लोक अभियान की इस कोशिश के कारण बच्चे बलश्रम के दलदल में फंसने से भी बच गये है। अख्तर के अनुसार सरकारी प्राथमिक विद्यालयो में भी इस प्रयोग को दोहराया जा सकता है क्योंकि उनका भी संचालन सामुदायिक स्तर पर ही होता है। लोक अभियान की इस कोशिश में इनरव्हील क्लब गोरखपुर और इनरव्हील होराइजन ने विशेष मदद की ।