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कांग्रेस और भाकपा माले ने पीड़िता के परिजनों के नार्को टेस्ट कराने के निर्णय पर सवाल उठाया

लखनऊ। कांग्रेस और भाकपा (माले ) ने हाथरस की घटना में पीड़िता के परिजनों के नार्को टेस्ट कराने के मुख्यमंत्री के निर्णय पर सवाल उठाया है। भाकपा  माले ने इसे पीड़ित परिवार का दोहरा उत्पीड़न बताया है तो कांग्रेस ने इसे जले पर नमक छिड़कना बताया है।

शनिवार को जारी बयान में भाकपा माले की राज्य इकाई ने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि हाथरस गैंगरेप के आरोपियों के परिजनों की मीडिया तक पहुंच है, लेकिन मृतका के परिजन मीडिया की पहुंच से दूर घर में नजरबंदी की स्थिति में क्यों हैं ? उनके घर की किलेबंदी कर पूरे गांव को पुलिस छावनी में क्यों तब्दील कर दिया गया है और परिजनों के फोन तक क्यों टेप किये जा रहे हैं ? आखिर रातोंरात पीड़िता के शव को जला कर सबूत नष्ट करने के बाद देश-दुनिया की नजर से अब और क्या छुपाया जा रहा है ?

माले ने मुख्यमंत्री से पूछा कि हाथरस के जिलाधिकारी को क्यों बचाया जा रहा है, जिन्होंने पीड़िता के पिता को न सिर्फ धमकाया, बल्कि परिजनों को लात मारी ? एफआईआर दर्ज करने व इलाज में शिथिलता बरतने से लेकर माता-पिता की बिना अनुमति के पीड़िता का जबरन दाह संस्कार करने का आदेश देने वाले ‘ ऊपर ‘ के अधिकारियों को दंड कब मिलेगा ? पीड़िता के बयान के बावजूद गैंगरेप को नकारने वाले एडीजीपी (एलओ) के विरुद्ध भी क्या कार्रवाई होगी ? ऐसे मामलों में क्या कुछ पुलिस वालों का निलंबन ही पर्याप्त है ?

 में माले ने कहा कि प्रदेश भर में खासकर दलित महिलाओं के साथ अपराधों की बाढ़ क्यों आई है ? पूछा, ”  महिलाओं की सुरक्षा करने में नाकाम मुख्यमंत्री कुर्सी कब छोड़ेंगे? “

अल्पसंख्यक कांग्रेस चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने हाथरस की पीड़िता के परिजनों की नार्को टेस्ट कराने के योगी सरकार के आदेश की कड़ी निंदा करते हुए इसे जले पर नमक छिड़कना बताया है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा है कि मुख्यमंत्री न सिर्फ हाथरस की बेटी को न्याय देने में विफल रहे हैं बल्कि उनके परिजनों को ही अपमानित करने पर तुले हैं। शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अगर योगी जी में साहस है तो वो सबसे पहले गोरखपुर और मऊ दंगे में अपनी भूमिका पर ही नार्को टेस्ट करा दें। उन्हें विकास दुबे की कथित कार पलटने के मामले में भी अपना नार्को टेस्ट करा लेना चाहिए ताकि इस घटना में उनकी भूमिका साफ हो सके।