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एनक्वास के लिए तैयार होंगी जिले की तीन चिकित्सा इकाईयां

गोरखपुर. जिले की तीन चिकित्सा इकाईयों को नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस सर्टिफिकेशन (एनक्वास) के लिए तैयार किया जाएगा। इनका निरीक्षण करने जनवरी में राज्य स्तरीय टीम भी आएगी।

जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में भटहट सीएचसी, सरदारनगर और खोराबार पीएचसी को एनक्वास के लिए तैयार करने का दिशा-निर्देश दिया गया है। जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन की अध्यक्षता में कलक्ट्रेट सभागार में गुरूवार को हुई जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक के दौरान कायाकल्प अवार्ड प्राप्त करने वाली सभी 11 चिकित्सा इकाईयों के अधिकारियों को सम्मानित भी किया गया। जिलाधिकारी ने गुलाब का फूल देकर अधिकारियों को सम्मानित किया। पिछले साल डेरवा पीएचसी और बसंतपुर यूपीएचसी को एनक्वास सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ था।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि जिलाधिकारी ने चिकित्सा इकाईयों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा है कि एनक्वास सर्टिफिकेशन में प्रशासनिक स्तर पर जो भी सहयोग चाहिए होगा किया जाएगा। हर चिकित्सा इकाई के उन गैप्स को दूर किया जाए जिनका स्कोरिंग पर असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि कायाकल्प अवार्ड प्राप्त जिला महिला चिकित्सालय की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. माला कुमारी सिन्हा, कैंपियरगंज सीएचसी के अधीक्षक डॉ. भगवान प्रसाद, पिपराईच सीएचसी के अधीक्षक डॉ नंद लाल कुशवाहा, पीएचसी भटहट के प्रभारी डॉ. अश्विनी चौरसिया, डेरवा के प्रभारी डॉ. चंद्रशेखर गुप्ता, सरदारनगर के प्रभारी डॉ. हरिओम पांडेय, खोराबार के प्रभारी डॉ. राजेश, जंगल कौड़िया के प्रभारी डॉ. मनीष चौरसिया, ब्रह्मपुर के प्रभारी डॉ. ईश्वर, कौड़ीराम के प्रभारी डॉ. संतोष और पिपरौली के प्रभारी डॉ. निरंकेश्वर राय को जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में सम्मानित किया गया।

बैठक का संचालन जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद ने किया। इस अवसर पर सीडीओ इंद्रजीत सिंह, एसीएमओ डॉ. एनके पांडेय, डॉ. एसएन त्रिपाठी, डॉ. अरूण चौधरी, उप जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सुनीता पटेल, डीसीपीएम रिपुंजय पांडेय, जिला क्वालिटी कंसल्टेंट डॉ. मुस्तफा खान, सहायक विजय समेत विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारीगण मौजूद रहे।

मातृ-शिशु कार्यक्रम पर जोर

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नंद कुमार ने बताया कि जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में मातृ-शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर जोर दिया गया। प्रयास होगा कि आशा और एएनएम के जरिये संस्थागत प्रसव बढ़ाया जाए। खासतौर से उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) महिलाओं को चिन्हित कर उनका सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित कराया जाए। बैठक में निष्क्रिय आशा कार्यकर्ताओं के निष्कासन और प्रसव की रिपोर्टिंग न करने वाले प्राइवेट अस्पतालों के विरूद्ध कार्यवाही पर भी चर्चा हुई। बैठक के दौरान यह भी तय हुआ कि आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी परिवार में कम से कम एक गोल्डेन कार्ड अवश्य पहुंचाया जाए।