लखनऊ। उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आज एक बयान में कहा कि तमाम लोकलुभावन वादों के साथ सत्ता में आयी भाजपा ने चुनाव के दौरान जारी किये गये अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में किये गये घोषणाओं को कूड़ेदान में फेंक दिया है। जहां प्रतिवर्ष 14लाख युवाओं के रोजगार का वादा किया गया था और सरकार बनने के 90 दिनों के भीतर सभी रिक्त सरकारी पदों के लिए पारदर्शी तरीके से भर्ती प्रक्रिया का वादा किया गया था वह छलावा साबित हुआ है। भाजपा ने हर घर के एक सदस्य को मुफ्त कौशल विकास प्रशिक्षण तथा प्रदेश में देश का सबसे बड़ा स्टार्टअप इन्क्यूवेटर स्थापित करने का भी वादा किया था साथ ही साथ प्रत्येक तहसील में आधुनिक कौशल विकास केन्द्र की स्थापना एवं इसके माध्मय से युवाओं को प्लेसमेंट उपलब्ध कराने का भी वादा किया गया था जो पूरी तरह खोखला, मिथ्या और झूठ साबित हुआ है।
श्री अजय कुमार लल्लू ने कहा कि लगभग चार वर्ष पूरे करने वाली योगी सरकार अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में किये गये 14 लाख प्रतिवर्ष रोजगार देने के वादे के अनुसार अब तक लगभग 56 लाख युवाओं को रोजगार देने के लिए कानून कब बनायेगी? उ0प्र0 सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदाकर्मियों की स्थायी नियुक्ति पर भी सरकार को अपना स्टैण्ड स्पष्ट करना चाहिए। शिक्षा मित्र, आंगनबाड़ी, अनुदेशक, आशा बहू, कस्तूरबा गांधी विद्यालय के शिक्षक, खेल प्रशिक्षक, रसोइयां इत्यादि के नियमतीकरण के लिए सरकार कब कानून बनायेगी? इस पर योगी सरकार को तत्काल अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र एवं प्रदेश सरकार की गलत आर्थिक और युवा विरोधी नीतियों के चलते देश के सबसे बड़े राज्य उ0प्र0 में आर्थिक आपातकाल जैसे हालत उत्पन्न हो गये। कोरोना महामारी आने के बाद हालात बद से बदतर होते चले गये। नवम्बर माह में ही केन्द्र के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में सरकार ने स्वयं स्वीकार किया है कि कोरोना काल में 39 लाख संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार उ0प्र0 में बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है जो वर्ष 2011-12 के पांच करोड़ के आंकड़े को भी पार कर गयी होगी।
श्री अजय कुमार लल्लू ने कहा कि कोरोना काल के पहले ही बेरोजगारी अपने चरम पर थी जैसा कि श्रम मंत्रालय उ0प्र0 के मंत्री ने एक प्रश्न के जवाब में सदन में लिखित जवाब दिया था कि बेरोजगारी दर 2018 के 5.92 प्रतिशत के मुकाबले वर्ष 2019 में लगभग दो गुना बढ़कर 9.97 प्रतिशत हो चुकी थी। कोरोना के बाद यह स्थिति और भी भयावह हो गयी।
श्री अजय कुमार लल्लू ने कहा कि सरकार यह बताये कि जिनकी नौकरियां गयी हैं उनको समायोजित करने की दिशा में क्या प्रयास किये जा रहे हैं ? क्या सरकार बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए अपने घोषणापत्र के अनुसार कोई कानून बनायेगी ? आंगनबाड़ी, शिक्षामित्र, अनुदेशक, आशा बहु, रोजगार सेवक, कस्बूरबा गांधी विद्यालयों के शिक्षक, खेल प्रशिक्षक आदि विभिन्न वर्गों के लोग सरकार की गलत नीतियों से अनके प्रकार के शोषण और उत्पीड़न के शिकार हैं, क्या सरकार इन लोगों को राहत प्रदान करेगी?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि तमाम बड़े-बड़े दावे करने वाली और इवेन्ट मैनेजमेन्ट के सहारे खुद की छवि बनाने की कोशिश करने वाली उ0प्र0 की योगी सरकार प्रदेश के बेरोजगारों को गुमराह करने में लगी रहती है। जबकि भाजपा की केन्द्र सरकार द्वारा जारी एडवायजरी के अनुसार अगले दो वर्षों तक नई भर्तियों पर रोक लगा दी गयी थी तथा अगले पांच वर्षों तक किसी भी भर्ती को स्थायी न करने की बात कही गयी थी। वित्त मंत्रालय भारत सरकार ने कोरोना काल में संगठित क्षेत्र के बेरोजगार हुए लोगों की पुनः भर्ती के लिए एमएसएमई सेक्टर के माध्यम से जो घोषणा की गयी है वह हास्यास्पद ही है क्योंकि एमएसएमई सेक्टर पहले से ही कोरोना काल में लाॅकडाउन के कारण तबाह और बर्बाद होने की कगार पर है। उन्हें सब्सिडी के माध्यम से राहत देने के बजाए सरकार लोन का शिगूफा देकर भ्रम पैदा कर गुमराह कर रही है।
श्री अजय कुमार लल्लू ने कहा कि योगी सरकार के साढ़े तीन वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद भी एक भी पारदर्शी तरीके से भर्ती नहीं हो पायी है जो भी भर्तियां हैं वह भ्रष्टाचार और घोटालों की भेंट चढ़ गयीं और तमाम भर्तियां न्यायालयों में लम्बित हैं। उ0प्र0 अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र तक दो वर्षों से योगी सरकार नहीं दे पा रही है। तमाम भर्तियों के परीक्षा परिणाम लम्बित हैं इनकी नियुक्तियों के लिए योगी सरकार ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है। रोजगार सृजन के नये अवसर पैदा करने में पूरी तरह से नाकाम योगी सरकार ने युवाओं को गुमराह करने के लिए प्रदेश की गरीब जनता की गाढ़ी कमाई का करोड़ों रूपये बर्बाद कर लखनऊ में इन्वेस्टर्स समिट के नाम पर धोखा देने के सिवाय कुछ नहीं किया। आज प्रदेश का युवा हताश और निराश है। उसके पास न तो रोजगार है और न ही कोई अवसर योगी सरकार देने का प्रयास कर रही है यही वजह है कि प्रदेश से भारी संख्या में युवा कोरोना काल में भी अपनी जान संकट में डालकर अन्य प्रदेशों में रोजगार के अवसर तलाशने के लिए पलायन करने के लिए विवश हो रहे हैं।