सावित्रीबाई फुले जयंती पर गोष्ठी और जाति तोड़क भोज का आयोजन किया

गोरखपुर।  प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती के अवसर पर नौजवान भारत सभा और दिशा छात्र संगठन की ओर से आज बिछिया स्थित अरविंद स्मृति पुस्तकालय पर ‘सावित्रीबाई फुले की क्रान्तिकारी विरासत और जाति उन्मूलन का रास्ता’ विषय पर गोष्ठी और जाति तोड़क भोज का आयोजन किया गया।

नौजवान भारत सभा उत्तर प्रदेश राज्य सचिव विकास ने कहा कि सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को सतारा ज़िले के नायगांव में हुआ था। आज से 174 साल पहले पुणे के भिडे वाडा में सावित्री बाई और ज्योतिराव फुले ने लड़कियों के लिए स्कूल खोला था और रुढ़िवादी ताकतों से कड़ी टक्कर ली थी। इस संघर्ष के दौरान उन पर पत्थर, गोबर, मिट्टी तक फेंके गये पर सावित्रीबाई ने फातिमा शेख के साथ मिलकर शिक्षा का महत्वपूर्ण कार्य बिना रूके किया। सावित्रीबाई फुले ने लगभग 18 विद्यालय स्थापित किए। शिक्षा के साथ ही, सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए ‘महिला मंडल’ का गठन किया और बाल विवाह के बाद विधवा हो जाने वाली महिलाओं के साथ होने वाले जुल्म, उत्पीड़न का विरोध किया। विधवा स्त्रियों के बाल काटने का विरोध करते हुए नाइयों की एक सफल हड़ताल भी आयोजित कराई।

उन्होंने कहा कि जातिगत उत्पीड़न और छूआछूत के खिलाफ सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले ने आजीवन संघर्ष किया। 28 जनवरी 1853 को ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले ने मिलकर ‘बाल-हत्या प्रतिबंधक गृह’ नाम से पहला शेल्टर होम खोला और 1873 में सत्यशोधक समाज की स्थापना की। सावित्रीबाई फुले के दो काव्य संग्रह ‘काव्य फुले’ और ‘बावनकशी सुबोध रत्नाकर’ प्रकाशित हुए और गृहणी नाम से एक पत्रिका भी प्रकाशन किया। 1897 में प्लेग महामारी के दौरान लोगों की सेवा करते हुए सावित्रीबाई फुले ने अंतिम साँस ली।

कार्यक्रम में ‘अभी लड़ाई जारी है’ और ‘पढ़ना लिखना सीखो’ जैसे क्रान्तिकारी गीत भी गाए गए। कार्यक्रम में राजू, अंजलि, प्रतिभा, दीपक, मुकेश, माया, राजकुमार सहित इलाके के सैकड़ों लोग मौजूद रहे।