कुशीनगर जिले में 3064 टीबी रोगियों का हो रहा है इलाज

कुशीनगर। कुशीनगर जिले में वर्तमान में 3064 टीबी रोगी इलाज करा रहे हैं जिसमें से  62 प्रतिशत लोगों को निक्षय पोषण योजना का लाभ भी मिल रहा है। कुछ लोगों को बैंकिंग समस्या की वजह से योजना का लाभ नहीं मिल पाया है उन्हें भी जल्द भुगतान कर दिया जाएगा।

यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी डाॅ. बीपी नरसरिया ने दी। उन्होंने बताया कि पहले निक्षय पोषण योजना का लाभ ब्लाक स्तर से मिलता था मगर अब जनपद स्तर से भुगतान होगा। इस बीच बैंकों के विलय होने के बाद भी कुछ समस्या आयी है। अब अविलंब समाधान कराकर शेष सभी मरीजों को भुगतान मिल जाएगा।

टीबी रोगियों को इलाज के लिए निःशुल्क दवाओं के साथ 500 रुपये प्रतिमाह ( इलाज चलने तक) निक्षय पोषण योजना का लाभ दिया जाता है।

डॉ नरसरिया ने बताया कि कुशीनगर में टीबी रोग को फैलने से रोकने के लिए विभिन्न तौर तरीके अपनाए जा रहे हैं। समय-समय पर टीबी रोगी खोजी अभियान चलाया जाता है। अभियान के तहत गठित टीम घर- घर जाकर टीबी रोगियों को खोजती है। लक्षण दिखने पर बलगम जांच व एक्स-रे तक करवाती है। दूसरे ओपीडी में आने वाले रोगियों में से भी ऐसे लोगों की स्क्रीनिंग की जाती है जिनमें टीबी रोग के लक्षण दिखते हैं। ऐसे लोगों को चिकित्सक पुष्टि के लिए नजदीक के चिन्हित माइक्रोस्कोपी सेंटर (डीएमसी) तथा ट्यूबरक्यूलोसिस यूनिट( टीयू) की राह दिखाते हैं।

उन्होंने कहा कि क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न प्रचार प्रसार के माध्यमों से टीबी के प्रति जागरूक किया जाता है। जैसे सामुदायिक बैठक, स्कूल मीटिंग, मरीज प्रोवाइडर मीटिंग, रेडियो, बैनर, पोस्टर, पंपलेट, फेसबुक आदि माध्यम उल्लेखनीय है। इतना ही नहीं निजी चिकित्सकों के यहां से भी इलाज करा रहे टीबी मरीजों को भी सरकारी सुविधाओं का लाभ दिया जाता है, उस मरीज के घर भ्रमण कर स्वास्थ्य की जानकारी ली जाती है तथा परिवार के या आसपास किसी भी सदस्य को भी टीबी के लक्षण मिलने पर उसकी भी जांच करायी जाती है।

स्वस्थ हो चुके जागरूक टीबी मरीज को टीबी चैंपियंस के रूप में क्षेत्र के लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करते हैं लोगों को टीबी से बचाव एवं मिलने वाली सरकारी सुविधाओं के बारे में बताते हैं।

35 डीएमसी तथा 16 टीयू पर भेजे जाते हैं संदिग्ध मरीज

डीटीओ ने बताया कि ओपीडी में टीबी रोग लक्षण वाले जो भी टीबी के संदिग्ध मरीज मिलते हैं उनकी सघन जांच के लिए नजदीक डीएमसी ( चिन्हित माइक्रोस्कोपी सेंटर तथा टीयू (ट्यूबरक्यूलोसिस यूनिट) पर भेजे जाते हैं। जिले में कुल 35 डीएमसी तथा 16 टीयू हैं।