रोहित वेमुला की शहादत की बरसी मनाने वाले दलित छात्र संगठन के नेताओं पर केस दर्ज

गोरखपुर। गोरखपुर विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर रोहित वेमुला की शहादत की बरसी मनाने वाले छात्र संगठन अम्बेडकराइट स्टूडेंट यूनियन फॉर राइट्स (असुर ) से जुड़े छात्र-छात्राओं पर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। पुलिस ने इस कार्यक्रम में सामाजिक विद्वेष फैलाने वाले नारे लगाने का आरोप लगाते हए छह नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 153 ए, 505 के तहत केस दर्ज किया है।

पुलिस के अनुसार एफआईआर एक राहगीर की तहरीर पर दर्ज की गई है जो कार्यक्रम के वक्त विश्वविद्यालय गेट से गुजर रहा था। राहगीर का नाम सतीश है और वह मोहद्दीपुर का निवासी है। पुलिस के अनुसार सतीश की तहरीर पर मंजेश कुमार, सुरेन्द्र वाल्मीकि, कन्हैया यादव, श्रीराम रावत, आकाश पासवान, चन्दन प्रसाद यादव सहित 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ 153 ए और 505 के तहत केस दर्ज किया गया है।

जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, वे अम्बेडकराइट स्टूडेंट यूनियन फॉर राइट्स (असुर) से जुड़े हुए हैं। मंजेश कुमार इस संगठन के जिला प्रभारी हैं तो सुरेन्द्र वाल्मीकि संरक्षक। आकाश पासवान संगठन के विश्वविद्यालय प्रभारी हैं। यह संगठन पूर्वांचल सेना का छात्र संगठन है।

अम्बेडकराइट स्टूडेंट यूनियन फॉर राइट्स (असुर) ने रोहित वेमुला के पांचवे शहादत दिवस की पूर्व संध्या पर 16 जनवरी को गोरखपुर विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर श्रद्धाजंलि सभा का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने जातिवाद के खात्मे की शपथ ली थी। कार्यक्रम में ‘ रोहित वेमुला अमर रहे ’, ‘ रोहित तेरे खून से इंकलाब आएगा ’, ‘ रोहित हम शर्मिंदा है – तेरे कातिल जिंदा है ’, ‘ जय भीम ’ के नारे लगाए गए थे। इन्हीं नारों को सामाजिक विद्वेष फैलाने वाला बताया जा रहा है।

‘ असुर ‘ के जिला प्रभारी मंजेश कुमार ने कहा कि उनके संगठन पर यह कार्यवाही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के इशारे पर की गयी है। संगठन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए यह पुलिस और प्रशासन के जरिए दमानात्मक कार्यवाही की जा रही है। संगठन के लोग इससे डरने वाले नहीं हैं।

पूर्वांचल सेना के अध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि जिस राहगीर की तहरीर पर एफआईआर दर्ज की गई है, आखिर उसे संगठन के सभी नेताओं और पदाधिकारियों के नाम कैसे पता चला ? जाहिर है कि यह यह एक बड़ी साजिश है। दलित और पिछड़ी जाति के छात्रों और युवाओं की आवाज को दबाने के लिए इस तरह की कार्यवाही की जा रही है। कुछ समय पूर्व उन्हें और उनके भाई को भी फर्जी मामले में जेल भेजा गया था।