नाट्य प्रस्तुति और जनगीत गायन से आरिफ अज़ीज़ लेनिन को याद किया

गोरखपुर। वरिष्ठ रंगकर्मी आरिफ अजीज लेनिन की आठवीं पुण्यतिथि पर आज प्रेमचंद पार्क में जनगीत गायन और नाटक ‘ अभी वही है निजामे कोहना -3’ का मंचन हुआ। नाटक में कोरोना महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों की स्थिति और शासन सत्ता द्वारा किये गए क्रूर व्यवहार को दिखाया गया।

प्रेमचंद साहित्य सस्थान और अलख कला समूह द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत जे एन शाह और उनके साथियों द्वारा प्रस्तुत गीतों से हुई। जे एन शाह ने सबसे पहले कबीर की रचना ‘ मन लागो यार फकीरी में ‘ प्रस्तुत किया। इसके बाद उन्होंने किसान गीत ‘ चांदी के रुपइया लुटावे असमनवा,भोर की किरनवा सोनवा ‘ गाया। शाह और उनके साथियों ने इसके बाद ‘ सारी जिनगी गुलामी में सिरान पिया’ , ‘ मेरा रंग दे बसंती चोला ‘ , ‘ इसलिए राह संघर्ष की हम चुनें, जिंदगी आंसुओ में नहाई न हो’ गाया। ‘ हम हैं ताना बाना, हम ही चदरिया हम ही जुलाहा’ से जनगीतों का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

इसके बाद अलख कला समूह के कलाकारों ने वरिष्ठ रंगकर्मी राजाराम चौधरी द्वारा लिखित नाटक ‘ अभी वही है निजामे कोहना – 3 का मंचन किया. यह नाटक कोरोना महामारी में प्रवासी मजदूरों के पलायन और शहर से गांव तक उनके उत्पीड़न, भेदभाव को मार्मिक तरीके से दर्शकों के सामने रखा। नाटक के अंत में शासन सत्ता की क्रूरता और दमन के खिलाफ किसान -मजदूर उठ खड़े होते हैं।

नाटक में धनिया की भूमिका अनन्या, होरी की निखिल वर्मा, गब्बर सिंह की रजत, माखन की राम दयाल गौड़, लाखन की अनीस वारसी, शायरा की मनीषा, सिपाही की प्रियेश पांडेय, नेता की राकेश कुमार ने अभिनीत की। कोरस में नेहा थीं। रूप सज्जा एवं मंच परिकल्पना देश बंधु की थी।

 

 

कार्यक्रम का संचालन प्रेमचंद साहित्य संस्थान के सचिव मनोज कुमार सिंह ने किया। इस मौके पर प्रो राजेश मल्ल, राजेश सिंह, अब्दुल्लाह सिराज, एस आर रहमान, शिवनंदन, लाल बहादुर, विकास द्विवेदी, श्याम मिलन एडवोकेट, बैजनाथ मिश्र, सुरेश सिंह, राजू मौर्य, गीता पांडेय, सुजीत श्रीवास्तव, ओंकार सिंह, पवन कुमार, चक्रपाणि ओझा आदि उपस्थित थे।