कोविड-19 का मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर और बचाव

डॉक्टर कफ़ील खान

इंसान एक सामाजिक प्राणी है. हम एक दूसरे पर निर्भर हैं और एक दूसरे से संपर्क करना हमारी प्राकृतिक प्रवृत्ति है. कोरोना महामारी ने हमसे हमारी ये स्वाभाविक जीवन शैली छीन ली है और हमें किसी प्रकार के आपसी रिश्ते के बगैर रहने के लिए मजबूर किया है. ये हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है.

लॉकडाउन, बेरोज़गारी, परिवार से दूर रहना, ऑनलाइन शिक्षा या रोज़गार की चुनौतियां, भविष्य की चिंता, ये सब तनाव के मुख्य कारण हैं. कोरोनावायरस संबंधित अफ़वाहें और गलत जानकारी हमें और भी विचलित करती हैं. परिस्थिति गंभीर है और ज़्यादातर लोग अपनी मानसिक स्थिति पर काबू नहीं रख पा रहे. एक रिसर्च के अनुसार बाह्यरोग में 30-40 प्रतिशत लोगों में मानसिक तनाव के लक्षण पाए गए हैं. मानसिक तनाव हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है.

डर और चिंता का माहौल चारों तरफ़ है. अगर आप या आपकी पहचान के किसी व्यक्ति में ये लक्षण नज़र आते हैं तो तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करें:

  • अपने या परिजनों के स्वास्थ्य को लेकर अत्यधिक चिंता.
  • नींद और खाने-पीने में बदलाव.
  • अपना ध्यान केंद्रित न कर पाना. बेचैनी महसूस करना.
  • पसंदीदा चीज़ों में रुचि न रहना. अक्सर रोना.
  • शारीरिक लक्षण, जैसे थकान, पेट खराब, दिल की धड़कन तेज़ हो जाना वगैरह.
  • चिड़चिड़ापन
  • शराब, तंबाकू वगैरह का अतिरिक्त सेवन.

 

छोटे बच्चे अपने अनुभव बता नहीं सकते, इसलिए उन पर थोड़ा ज़्यादा ध्यान रखना पड़ता है. आपके बच्चे में कुछ ऐसे लक्षण नज़र आ सकते हैं:

  • चिड़चिड़ापन, बेवजह रोना, बेचैन रहना, एक जगह बैठे न रहना.
  • बहुत ज़्यादा/काम सोना या कम खाना.
  • अकेले रहना या किसी खिलौने/अभिभावक से चिपके रहना.
  • कम खेलना. धीरे-धीरे चलना.
  • पढ़ाई में ध्यान न लगा पाना.
  • बिस्तर में पेशाब कर देना. कब्ज़ जैसी समस्याएं.
  • नाखून चबाने और बाल खींचने जैसी आदतें.
  • सिरदर्द, पेटदर्द, बुखार, दिल की धड़कन तेज़ होने जैसे शारीरिक लक्षण.

इस बुरे समय से निपटने के लिए ये याद रखना ज़रूरी है कि आप अकेले नहीं हैं और हम इस संकट से जल्दी उभर आएंगे. अब तो कोरोना का टीका भी उपलब्ध है.

कुछ दिन के लिए घर पे रहना अच्छा लगता है, पर लंबे समय तक घर पर कैद रहने से ऊब जाना स्वाभाविक है. घर पर अपने आप को खुश और स्वस्थ रखने के लिए आप ये तरीके आज़मा सकते हैं:

  1. खुद को व्यस्त रखिए और एक रूटीन का पालन करें. खाने, नहाने, सोने के लिए एक समय निश्चित करें.
  2. रात को जल्दी सोएं. रातभर व्हाट्सऐप और सोशल मीडिया मत चलाईए.
  3. सुबह जल्दी उठें. फल खाया करें और ज़्यादा से ज़्यादा पानी पिया करें. जब भी वक्त मिले, थोड़ा व्यायाम करने की कोशिश करें.
  4. नकारात्मक भावनाओं से अपना ध्यान भटकाने के लिए संगीत सुनें, किताब पढ़ें या टीवी देखें. अपनी पुरानी हॉबीज़ फिर से शुरू करें या कोई नई कला सीखने की कोशिश करें.
  5. लोगों से बात करें और उनसे अपनी भावनाएं साझा करें. विडिओ कॉल के ज़रिए अपने परिजनों से संपर्क करें. उनसे खूबसूरत यादों के बारे में बात करें या अपनी रुचियां साझा करें.
  6. दूसरों की मदद करने से खुद पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. अपने आसपास किसी को कोई ज़रूरत हो तो उनके काम आने की कोशिश करें. इससे खुद पर गर्व महसूस होगा. बुज़ुर्गों को मदद की सबसे ज़्यादा आवश्यकता होती है. उन्हें दवाएं वगैरह उपलब्ध करवाने में मदद करें.
  7. जागरूक रहना अच्छी बात है मगर ज़्यादा न्यूज देखना या पढ़ना आपको विचलित कर सकता है. सनसनीखेज़ खबरों या सोशल मीडिया पोस्ट पर ध्यान मत दें. तथ्यों पर ध्यान दें, अफ़वाहों पर नहीं.
  8. कौन कहां बीमार पड़ रहा है इस पर ज़्यादा चर्चा न करें, बल्कि कौन कैसे ठीक हुआ है इस पर बात करें.
  9. तनाव महसूस होने पर कुछ देर योगा करें. कुछ अच्छा सोचने की कोशिश करें. अगर गुस्सा या बेचैन महसूस कर रहे हैं तो 99 से 1 तक गिनने की कोशिश कीजिए.
  10. शराब, तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों से दूर रहें.
  11. अपने आसपास शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं कहां और कैसे उपलब्ध हैं ये जानकर रखना जरूरी है.
  12. अपने जीवनसाथी को वक़्त दें. ऐसी स्थिति में आपको एक दूसरे की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है.

इस समय बच्चों का खास ध्यान रखने की ज़रूरत है. सबसे पहले तो बच्चों के सामने अपने जज़्बातों को काबू रखना सीखें. आपको भयभीत या बेचैन देखकर उन पर बुरा असर पड़ता है. उन्हें ये भरोसा दिलाएं कि वे बिल्कुल सुरक्षित हैं और आपके रहते उन्हें किसी चीज़ से डरने की ज़रूरत नहीं. याद रखें, आपके बच्चे के साथ आपका रिश्ता एक  बैंक अकाउंट जैसा है. आप उसमें जितना योगदान करेंगे, आपको भी उतना ही वापस मिलेगा.

घर पर बच्चों लिए कुछ नियम लागू करें. ऊंची आवाज़ में बात करना, गाली-गलौज, हाथापाई बिल्कुल मना करें. टीवी, फोन या लैपटॉप सिर्फ़ थोड़े समय के लिए देखने दें. उन्हें घर के काम करने को कहें ताकि वे ज़िम्मेदार बन सके. काम अच्छा होने पर उनकी तारीफ़ करना बहुत ज़रूरी है.

किसी की मानसिक स्थिति गंभीर हो तो तुरंत मनोवैज्ञानिक से संपर्क करें. आप केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हेल्पलाइन नंबर 1075 या 011 23978046 पर संपर्क कर सकते हैं, या अपने नजदीकी डॉक्टर या मानसिक विशेषज्ञ की सहायता ले सकते हैं.

याद रखें:

  • बुरे समय में मानसिक स्थिति ठीक हो तो आप कोई भी जंग जीत सकते हैं.
  • मास्क पहनना, स्वच्छता के नियम पालन करना और सोशल डिस्टेंसिंग जारी रखें.