देवरिया। टीबी रोग मुक्त भारत अभियान से प्रेरित होकर अफसरों ने वित्तीय वर्ष 2020 में टीबी पीड़ित 148 बच्चों को गोद लिया था। अफसरों के गोद लिए गए बच्चों में 128 बचे टीबी से मुक्त हो गए हैं और वह स्वस्थ एवं सामान्य जीवन जीने लगे हैं।
टीबी रोग मुक्त अभियान के तहत वर्ष 2025 तक देश को पूरी तरह से टीबी रोग से मुक्त करने का लक्ष्य है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भी टीबी के खिलाफ मुहिम चला रखी है। सीएमओ डॉ.
आलोक पाण्डेय ने बताया जिले में टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लेने का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें अधिकारियों और समाज सेवी संगठनों से 18 वर्ष तक की आयु के टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लेने का अनुरोध किया गया था। जिले में 18 वर्ष की आयु के 148 बच्चे मिले, जिन्हें जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, सीडीओ, सीएमओ, डीपीओ, डीपीसी, रोटरी क्लब, लायंस क्लब, रेड क्रास सोसाइटी सहित जनप्रतिनिधियों द्वारा पिछले वर्ष 2020 में गोद लिया था। इलाज के साथ-साथ उनके खाने-पीने पर विशेष ध्यान दिया। अधिकारी हौसला अफजाई के लिए समय-समय पर उनकी काउंसलिग भी करते रहे। जिसके कारण 148 में से 128 बच्चे टीबी रोग से मुक्त हो चुके है।
सीएमओ डॉ. आलोक पांडेय ने बताया इस वर्ष जनवरी 2021 में 285 टीबी रोगियों को अफसरों द्वारा गोद लिया गया है। जिसमे 0 से 18 वर्ष के 35 टीबी मरीज और 18 वर्ष से अधिक के 250 टीबी मरीजों को गोद लिया गया है।
ट्यूबरक्युलोसिस वैक्टीरिया से फैलती है टीबी
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. बी झा ने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया से फैलती है। इसका सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर होता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है। टीबी के बैक्टीरिया सांस द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं। किसी रोगी के खांसने, बात करने, छींकने या थूकने के समय बलगम व थूक की बहुत ही छोटी-छोटी बूंदें हवा में फैल जाती हैं।