रविदास जयंती पर रैदास रसोई और बातिकी का आयोजन हुआ

महराजगंज। महराजगंज के करमहा ( लोकत़ंत्री मंचमढ़ी सोहरौना )  ग्राम में संत रविदास जयंती पर  “रैदास रसोई” और बातिकी का आयोजन हुआ। रैडस रसोई का आयोजन रामदीन-शान्ती दम्पति के दरवाजे पर हुआ। ‘ श्रम सद्भाव सोहरौना’ में “बातिकी” के तहत ‘अप्रतिम सामाजिक एकीकरण’ के व्यक्तित्व रैदास के संदर्भ को वक्ताओं ने रेखांकित किया।

रविदास के ‘बेगमपुरा’ के यूटोपिया को प्रोफेसर जनार्दन धामिया ने रेखांकित करते कहा कि सोचना चाहिए कि ‘बेगमपुरा’ स्त्री के संचालन का शहर है, जिसमें न कोई दुख है न किसी भी तरह का अंदोह है – यानी असमंजस में रहने की स्थिति है ; अर्थात् चिन्ता रहित स्थिति का शहर बेगमपुरा है।

आयोजन के मुख्य वक्ता रामसेवक जी ने प्रारम्भ में रविदास के चित्र पर माल्यार्पण किया और आखिर में अपनी बातें रखते हुए बताया कि रविदास के साथ अनेक चमत्कारिक बातें चला दी गयी हैं। ‘मन चंगा त कठौती में गंगा’ ही रविदासजी की मूल भावना है, यह रामसेवक जी ने रेखांकित किया।

बातिकी के अन्तर्गत, ग्राम प्रतिनिधि रामचन्द्र, छेदी प्रसाद धामिया, भिक्खी, एडवोकेट वकील प्रजापति,परदेशी आदि ने अपनी बातें रखी। रविदास के पद- “अब कैसे छूटे राम रट लागी” तथा “बेगमपुरा सहर को नाउँ दूखू अन्दोह नहीं तिहि ठाउ ” का गायन हुआ। खेदन ने ढोलक पर गायन संगति निभाई।