मियां साहब सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के तीसरी बार निर्विरोध सदस्य बने

गोरखपुर। इमामबाड़ा इस्टेट के सज्जादानशीं सैयद अदनान फर्रुख शाह (मियां साहब) व जुफर अहमद फारूकी का तीसरी बार मुतवल्ली कोटे से सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का निर्विरोध सदस्य बनना तय हो गया है। देर शाम जैसे ही यह ख़बर शहर में पहुंची उनके शुभचिंतकों ने सोशल मीडिया के जरिए खुशी का इजहार कर एक दूसरे को मुबारकबाद दी। मियां साहब ने सभी लोगों का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया है। मियां साहब के शहर आगमन पर कई संगठनों ने स्वागत की तैयारी कर ली है।

गुरुवार को नामांकन प्रपत्र दाखिल किया गया। सभी का नामांकन पत्र वैध पाया गया। 5 मार्च को नाम वापसी की प्रक्रिया होगी। जबकि 7 मार्च को मतदान व परिणाम की घोषणा होगी।

सांसद (सुन्नी मुसलमान) कोटे से डॉ. एसटी हसन (मुरादाबाद) व कुंवर दानिश अली (अमरोहा) का भी बोर्ड का निर्विरोध सदस्य बनना तय है। वहीं बार काउंसिल (सुन्नी मुसलमान) कोटे से इमरान माबूद खान व अब्दुल रज्जाक खान ने नामांकन पत्र दाखिल किया। दोनों का भी बोर्ड सदस्य बनना तय है।

इनमें हो सकता है कांटे का मुकाबला

विधानसभा/विधान परिषद (सुन्नी मुसलमान) कोटे से अबरार अली, परवेज अली, इकबाल महमूद व नफीस अहमद ने गुरुवार को नामांकन पत्र दाखिल किया है। सभी का नामांकन पत्र वैध पाया गया है। अगर शुक्रवार को कोई चार में से दो लोग नाम वापस नहीं लेते हैं तब मतदान होगा। दो पदों के लिए चार लोगों में मुकाबला हो सकता है।

11 सदस्यों के लिए चुनाव होता है

चुनाव में मुतवल्ली कोटे से 2 सदस्य, सांसद (सुन्नी मुसलमान) कोटे से 2 सदस्य, विधानसभा/विधान परिषद (सुन्नी मुसलमान) कोटे से 2 सदस्य, बार काउंसिल (सुन्नी मुसलमान) 2 सदस्यों का चुनाव होता है। जबकि एक इस्लामिक स्कॉलर, एक सामाजिक कार्यकर्ता और शासन से सयुंक्त सचिव स्तर के एक सुन्नी मुसलमान अधिकारी को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नामित किया जाता है।

यह हैं निर्वाचन अधिकारी

वक्फ बोर्ड का चुनाव शासन द्वारा नामित निर्वाचन अधिकारी स्पेशल सेक्रेटरी अल्पसंख्यक कल्याण शिवाकांत द्विवेदी और 2 सहायक निर्वाचन अधिकारी राहुल गुप्ता (हज कमेटी) और एके सिंह (उपसचिव) की निगरानी में हो रहा है।

इन्हें है मत देने का अधिकार

मतदाता सूची में 7 सांसद सदस्य, 31 विधान मंडल सदस्य, दो बार काउंसिल सदस्य और 592 मुतवल्लियों के नाम शामिल हैं। जिन वक्फ जायदादों की आमदनी एक लाख या एक लाख रुपये सालाना से ज्यादा है, उसी के मुतवल्ली को मत देने का अधिकार होता है।