पहले से ही सतर्कता बरती जाए तो मातृ मृत्यु दर में आ सकती है कमी

गोरखपुर। अगर गर्भावस्था का पता चलते ही स्वास्थ्य केंद्रों से सेवा लेनी शुरू कर दी जाएं, सभी जांचें कराई जाएं, समय से टीकाकरण हो, पोषक तत्व लिये जाएं और उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) के समुचित प्रबंधन की योजना पहले से बन जाए तो प्रसव के दौरान होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने बताया कि जिले में अप्रैल 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक कुल 163 माताओं की प्रसव के दौरान जान गयी है जो नितांत चिंताजनक है। ऐसे में लोगों को चाहिए कि प्रत्येक माह की नौ तारीख को ऐसी माताओं की जान बचाने के बेहतर मौके का इस्तेमाल करें। इस दिन जिले के सभी 43 स्वास्थ्य इकाइयों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) दिवस का आयोजन होता है जिसमें गर्भवती की ज्यादा से ज्यादा प्रतिभागिता होनी चाहिए।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद ने बताया कि आशा कार्यकर्ता पीएमएसएमए दिवस पर गर्भवती का प्रतिभाग करवाने के लिए पूरा प्रयास करती हैं, इसके बावजूद बहुत से परिवार रूचि नहीं लेते हैं। इस दिवस पर न केवल स्वास्थ्य जांच होती है, बल्कि उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था (एचआरपी) को पहले ही चिन्हित कर परामर्श दे दिया जाता है कि उनका प्रसव उच्च चिकित्सा इकाई पर ही होगा। जब पहले से महिला के एचआरपी होने के बारे में पता चल जाता है तो उनका नियमित फॉलो अप होता है और संस्थागत प्रसव के दौरान किसी निम्न स्वास्थ्य इकाई पर ले जाने में नष्ट होने वाला समय बच जाता है।

उन्होंने बताया कि पीएमएसएमए दिवस पर गर्भवती को ब्लड टेस्ट, यूरीन टेस्ट, ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन और अल्ट्रासाउंड जाँच की सुविधा निःशुल्क मुहैय्या कराई जाती है। जिन महिलाओं में तेज बुखार, दौरे पड़ने, उच्च रक्तचाप, योनि से स्राव, त्वचा के पीलापन, हाथ-पैरों में सूजन, योनि से रक्तस्राव, तेज सिरदर्द, धुंधला दिखने, भ्रूण के न हिलने या कम हिलने जैसी समस्याएं होती हैं उन्हें एचआरपी के तौर पर चिन्हित कर लिया जाता है। ऐसी महिलाओं का समय-समय पर फॉलो अप होने से शरीर में खून का स्तर, अन्य जटिलताएं आदि पर नजर होती है और समुचित इलाज मिलता है ताकि मां की मौत न हो सके। इसलिए महीने की नौ तारीख को सभी गर्भवती को स्वास्थ्य केंद्रों पर अवश्य आना चाहिए।

4301 गर्भवती एचआरपी मिलीं

जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद ने बताया कि जुलाई 2016 में पीएमएसएमए दिवस की शुरूआत की गयी थी। अभियान शुरू होने से लेकर पिछले पीएमएसएमए दिवस तक जिले की कुल 66788 गर्भवती प्रतिभाग कर चुकी हैं, जिनमें से 4301 गर्भवती एचआरपी चिन्हित हुईं और उन्हें सेवाएं दी गयीं। इस दिवस पर परिवार नियोजन और पोषण संबंधित परामर्श भी दिया जाता है। टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। उन्होंने बताया कि गर्भवती की प्रसव पूर्व चार जांचें अनिवार्य तौर पर करायी जानी चाहिए। इनमें पहली जांच माहवारी बंद होने के तीन माह के भीतर, दूसरी जांच गर्भावस्था के चौथे व छठे महीने में, तीसरी जांच सातवें व आठवें महीने में जबकि चौथी जांच गर्भावस्था के नौवें महीने में होनी ही चाहिए।