10 मार्च से 24 मार्च तक दस्तक अभियान में ढूंढे जाएंगे कालाजार के मरीज

गोरखपुर। जिले की 46 लाख की आबादी के बीच कालाजार के रोगी ढूंढे जाएंगे। इनकी तलाश भी दस्तक पखवाड़े के माध्यम से ही होगी। पखवाड़े के दौरान गांव-गांव से बुखार के रोगियों को ढूंढ कर उनकी सूची आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बनाएंगी । उस सूची को एएनएम के माध्यम से ब्लॉक मुख्यालय पर भेजेंगी । इस सूची में जिन बुखार के रोगियों में कालाजार के लक्षण होंगे, उनकी कालाजार जांच कराई जाएगी और बीमारी की पुष्टि होने पर निःशुल्क इलाज की सुविधा दी जाएगी।

यह जानकारी जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. एके पांडेय ने दी। उन्होंने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय और अपर मुख्यचिकित्सा अधिकारी डॉ. एके चौधरी के दिशा-निर्देशन में इस अभियान को चलाया जाएगा। कालाजार रोगियों की खोज के अभियान में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और पाथ संस्थाएं तकनीकी स्तर पर जबकि सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) संस्था स्वास्थ्य संचार के स्तर पर विभाग का सहयोग करेंगी।

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि कुल 42 स्वास्थ्य केंद्रों के अधीक्षकों और प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को राज्य स्तर से जूम एप पर कालाजार के प्रति संवेदीकृत किया जा चुका है । इन लोगों द्वारा जनपद की सभी आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कालाजार के लक्षणों के बारे में अवगत करा दिया गया है।

उन्होंने बताया कि कालाजार की दृष्टि से गोरखपुर मंडल संवेदनशील है, हालाँकि गोरखपुर जिले में वर्ष 2019 सिर्फ एक केस पिपरौली के भौवापार गांव में सामने आया था, लेकिन पूरे मंडल में कुल 42 केस रिपोर्ट हुए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा देवरिया और कुशीनगर जिले के हैं। प्रदेश में गोरखपुर मंडल ही एक ऐसा मंडल है जहां चारों जिलों गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर और महराजगंज में कालाजार के केस रिपोर्ट हुए हैं। चूंकि पड़ोसी जिलों एवं राज्य बिहार से प्रवास गोरखपुर में होता है, इसलिए जनपद में भी अतिरिक्त सतर्कता की आवश्यकता है।

उन्होंने बताया कि कालाजार बालू मक्खी से फैलने वाली बीमारी है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है। यह तीन से छह फीट ऊंचाई तक ही उड़ पाती है। इसके काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। समय से इलाज न मिलने पर 95 फीसदी मामलों में मृत्यु का खतरा रहता है। अगर किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक समय से बुखार आ रहा हो, पेट में सूजन हो, वजन कम हो रहा हो और भूख में कमी जैसे लक्षण हैं तो वह कालाजार का संभावित मरीज हो सकता है। कालाजार के संभावित मरीजों को सीएचसी-पीएचसी और जिला अस्पताल भेज कर आरके-39 जांच करवानी है। जांच में कालाजार की पुष्टि होने पर 48 घंटे के भीतर इलाज शुरू कर देना है। चर्म रोग संबंधित कालाजार मरीजों में केस हिस्ट्री पर भी नजर रखनी है। इस कालाजार का प्रमुख लक्षण शरीर में सफेद दाग, चकत्ते और गांठें हैं।

मिले थे 29 संभावित रोगी

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि पिछले दस्तक अभियान के दौरान सहजनवां, पिपरौली और सरदारनगर क्षेत्र से कुल 29 संभावित कालाजार के रोगी ढूंढे गये थे। इन सभी की जांच कराई गयी। सुखद तथ्य यह रहा कि इनमें से किसी में कालाजार की पुष्टि नहीं हुई। इस बार जिले के सभी 19 ब्लॉक से संभावित रोगी ढूंढने पर जोर है।