पशु-पक्षियों को जंगल मे देखने का सलीका सिखाती है ‘ पहली उड़ान ’

युवा कहानीकार अमित कुमार की पुस्तक ‘ पहली उड़ान ‘ का लोकार्पण

गोरखपुर। ‘ उपदेश साहित्य के दुश्मन होते हैं। साहित्य में उपदेश का समावेश हो जाता है तो वह वास्तविक चरित्र खो देता है। पुस्तक ‘ पहली उड़ान ’ में उपदेश नहीं है, सिर्फ साहित्य है। यह पुस्तक पशु पक्षियों को जंगल में देखने का सलीका दिखाती है। शब्दों का बेहतर चयन पुस्तक की गंभीरता बताती है। साहित्य का उद्देश्य है कि बेहतर मनुष्य बनाना। पुस्तक की कहानियां संदेश देती हैं। ‘

उक्त बातें साहित्यकार डॉ.वेद प्रकाश पांडेय ने युवा कहानीकार अमित कुमार की पुस्तक ‘पहली उड़ान’ के लोकार्पण अवसर पर कहीं। संत रविदास महासभा के तत्वावधान में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम में डॉ. पांडेय ने कहा कि साहित्य का धर्म करुणा पैदा करना है। कहानी में किस्सागोई दिखती है। जो पुस्तक की रोचकता को बनाये रखती है। उन्होंने कहा कि पक्षियों की जिंदगी पर पुस्तक में बहुत करीने से उकेरा है। पशुओं और पक्षियों के मोहब्बत और जिंदगी को करीब से देखने का अवसर देती है यह पुस्तक। पुस्तक की कहानियों को बीच में छोड़ा नहीं जा सकता है, यह बेहतर शिल्प से संभव है। कल्पना और यथार्थ का बेहतर संयोजन पुस्तक में दिखता है।

समाजसेवी ध्रुवदास मोदी ने कहा कि कथा या कहानी पढ़ने पर सत्य प्रतीत होती है। जैसे प्राचीन मूर्ति को स्पर्श करने पर मूर्तिकार की रचना का अहसास होता है, उसी तरह लेखक को पढ़ने पर उसकी संवेदना दिखती है। पहली उड़ान पुस्तक में लेखक की संवेदनशीलता दिखती है।

सामाजिक कार्यकर्ता श्रवण कुमार निराला ने कहा कि लेखक में जो संवेदना होनी चाहिए वह पुस्तक की कहानियों के हर शब्द में दिखती है। सभी कहानियां एक से बढ़कर एक है। सभी कहानियों में संदेश है। लोकार्पण से पहले लेखक अमित कुमार ने पुस्तक की प्रस्तावना रखी। उन्होंने बताया कि पुस्तक की कहानियों में हकीकत और फसाना का समन्वय है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संत रविदास महासभा के सरंक्षक सोमई ने कहा कि युवा अमित ने अपनी कहानियों में जंगल के जीवन का यथार्थ चित्रण किया है। कार्यक्रम का संचालन संत रविदास महासभा के महामंत्री सूरज कुमार भारती ने किया।