कुशीनगर के बालगोविंद छपरा गांव के 182 परिवारों पर बेदखली का खतरा

कुशीनगर। खड्डा तहसील के नदी उस पार स्थित गांव बालगोविंद छपरा के 182 परिवारों पर बेदखली का खतरा मंडरा रहा है। कुशीनगर जिला प्रशासन का कहना है कि ये परिवार बिहार के हैं और वे यहां की जमीन पर अवैध रूप से काबिज हैं। दूसरी तरफ इन परिवारों का कहना है कि वे पांच दशक से अधिक समय से यहां रह रहे हैं और उनके पास वैध कागजात हैं। भूमाफियाओं के दबाव में उन्हें यहां से हटाने की कोशिश हो रही है।

बालगोविंद छपरा गांव में करीब 300 परिवार रहते हैं। गांव के लोगों के अनुसार 10 अक्टूबर को उपजिलाधिकारी व तहसीलदार बालगोविंदछपरा पहुॅचे और 182 काश्तकारों को बिहारी बताते हुए अवैध कब्जा करने का आरोप लगाकर सीआरपीसी की धारा 145 व 146 के तहम पाबन्द कर जमीन सम्बन्धी कागजात की मांग की। उन्होंने इस काश्तकारों के खेतों में लगी फसलों के लिए एक रिसीवर नियुक्त कर दिया। प्रशासन का कहना है कि मना करने के बावजूद इन लोगांे ने फसलें काट ली है।

इसके बाद एसडीएम खड्डा ने पड़ोसी राज्य के एसडीएम सहित डीएम से मुलाकात कर लाॅ आर्डर व्यवस्था बनाए रखने की लिखित जानकारी दी। पिछले सप्ताह वरिष्ठ अधिकारियों ने इन परिवारों को अंतिम रूप से चेतावनी दी कि उन्हें यहां से बेदखल होना होगा।

इस गांव के 72 वर्षीय रामचन्द्र पुत्र भरदुल का कहना कि अच्छे दिन हम लोगों की तकदीर में नही है। अब तक चार बार नारायणी नदी की कटान झेल चुके है। पहली बार वर्ष 1968 में, दूसरी बार वर्ष में 1971 में, तीसरी बार वर्ष 1978 में , चैथी बार वर्ष में 1974 में घर सहित खेत में खड़ी फसल नदी में समा गयी। किसी तरह जान बची। इसी दौरान जगंलपार्टी का आतंक भी झेला। अब बेदखली का आदेश से पूरा परिवार टूट चुका है। हम लोगो को बिहारी कहकर भगाने की तैयारी हो रही है। यह कार्यवाही भूमाफियाओं के  कहने पर की जा रही है। हमारा नाम मालिकान रजिष्टर में है। हमारे पूर्वज बंका तिवारी देवरिया के रामपुर अवस्थी से आकर यहाॅ बसे थे। हम लोगों के दस्तावेज कोई देखता नहीं है।

इसी तरह मोतीचन्द पुत्र भोज ,मदन गोड रघुनाथ , रामचन्द्र पुत्र गण गंगा ,भुलई पुत्र अकलु , परमेश्वर पुत्रगण छठ्ू ,केदार यादव पुत्रगण रामफल, नेपाल पुत्रगण प्यारे, नथुनी पुत्र चन्द्रिका का कहना है कि वे तीन पीढ़ियों से यहां पर खेती कर अपनी आजीविका चला रहे हैं। हम यहां से कहीं नहीं जायेंगे।