इलाज से स्वस्थ हुई एक वर्ष से कालाजार से पीड़ित लड़की 

कुशीनगर. करीब साल भर से कालाजार से पीड़ित किशोरी पम्मी के इलाज के लिए जब मदद के हाथ बढ़े तो उसे जिन्दगी का साथ मिल गया। अब वह ठीक होकर अपने घर पहुँच चुकी है।

तरयासूजान ब्लाॅक के ग्राम पंचायत सलेमगढ़ टोला नौनिया निवासीनी पम्मी ( 14) के पेट में दर्द शुरू हुआ। पम्मी की माँ ने उसे इलाज के लिए बिहार सीमा के ग्रामीण क्षेत्र के एक निजी चिकित्सक के पास ले गयी। परिजनों ने बताया कि पम्मी मिट्टी खाती है जिससे पेट में दर्द हो रहा है। चिकित्सक ने मरीज में कालाजार के लक्षण को देखते हुए कुछ दवा देकर उसे कुशीनगर जिला अस्पताल में दिखाने की सलाह दी।

आशा कार्यकर्ता संजूबाला ने उसे सरकारी अस्पताल पर ले जाने की सलाह दी तो पम्मी की माँ ने अनसुना कर दी। बाद में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की सलाह पर माँ अपनी बेटी को इलाज के लिए कुशीनगर जिला अस्पताल तो ले गयी। ओपीडी में दिखाया,मगर भर्ती नहीं कराया। घर चली गयी। वहां उसने न तो अपना पूरा पता बताया और न ही कोई संपर्क नम्बर दिया।

फिर पम्मी के बारे में पता लगाने के लिए एसीएमओ डाॅ.वीएन पांडेय, जिला मलेरिया अधिकारी आलोक कुमार , प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमित ,डब्ल्यूएचओ के जोनल कोर्डिनेटर डाॅ. सागर घोडेकर, पाथ प्रतिनिधि, अन्य स्वास्थ्य कर्मी निकले। जब वहां पहुंचे तो पम्मी ( मरीज) घर पर नहीं मिली। वह बकरी चराने गयी थी।

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पम्मी की माँ और आस-पास के लोगों को बताया कि मरीज कालाजार से पीड़ित है, जिसको भर्ती करवाकर इलाज कराना जरूरी है। माँ ने जवाब दिया कि अब उसकी बेटी पम्मी ठीक है।कोई दिक्कत नहीं है। भर्ती करने की जरूरत नहीं है। उसके ऐसा कहने का बड़ा कारण उसकी गरीबी थी क्योंकि उसे लग रहा था कि कहीं इलाज में पैसा न लगे।

मरीज के बारे में जब जिलाधिकारी को पता चला तो उन्होंने उसके इलाज के लिए पूरा प्रशासनिक अमला ( सीएमओ,एसडीएम, एसीएमओ, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, डब्ल्यूएचओ एवं लेखपाल व कोटेदोर) को लगा दिया। फिर पूरी टीम ने 27 फरवरी को पम्मी को इलाज के लिए जिला अस्पताल लायी। इसके बाद 28 फरवरी को चेक किया गया तो उसकी तिल्ली बढ़ी बताया गया। मगर पुनः 28 फरवरी को भी पम्मी अस्पताल से बिना बताए चली गयी।

पहली मार्च को जिलाधिकारी ने पुनः स्वास्थ्य विभाग से कालाजार मरीज पम्मी के बारे में पूछ लिया तथा उसके इलाज में हर प्रकार से मदद करने का भरोसा दिया।
जिला मलेरिया अधिकारी आलोक कुमार तथा डब्ल्यूएचओ के जोनल को-आर्डिनेटर डाॅ.सागर घोडेकर ने बताया कि पुनः दो मार्च को कालाजार मरीज पम्मी को जिला अस्पताल कुशीनगर लाकर भर्ती कराया गया, तथा मरीज की इलाज प्राथमिकता के आधार पर करने के लिए डीएम के फरमान से अवगत कराया गया। तीन मार्च को पम्मी को खून भी चढ़ाया गया। अब उपचार करके उसे घर भेज गिया गया है ।

गरीबी और मुफलिसी ने पम्मी के इलाज की राह रोक दी थी। पम्मी के पिता की मृत्यु हो जाने के बाद सात बच्चों का भार पम्मी की माँ के कंधे पर आ गया। वह सात बच्चों का भार ढोते – ढोते थक गयी थी।आशा कार्यकर्ता संजूबाला ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना के योजना की सूची में उसके स्व.पति का नाम तो है मगर अभी गोल्डेन कार्ड नहीं बना है। अब वह कार्ड बनवाने जाएगी।