कवि व कथाकार शरद चंद्र श्रीवास्तव नहीं रहे

गोरखपुर। कवि, कथाकार और गोरखपुर विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर शरद चंद्र श्रीवास्तव का आज कोविड-19 संक्रमण से निधन हो गया। उन्हें बीमार होने पर बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती किया गया था। उनके निधन से सभी लोग स्तब्ध हैं।

49 वर्षीय शरद चंद्र श्रीवास्तव जनवादी लेखक संघ से जुड़े हुए थे।

डॉ. शरद चंद्र श्रीवास्तव का जन्म 11 मार्च 1972 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद में हुआ था। उनकी उच्च शिक्षा अवध विश्वविद्यालय से हुई थी। वहीं से उन्होंने अर्थशास्त्र विषय में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की थी। कई संस्थानों में सेवाएँ देने के पश्चात वह दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे। वे जनवादी सरोकारों के पक्षधर थे और जनवादी लेखक संघ गोरखपुर इकाई के उपाध्यक्ष थे।

उनका लंबा समय लखनऊ में बीता था। उनकी कविताएँ और कहानियाँ कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई थीं। वे आकाशवाणी से भी जुड़े हुए थे। अर्थशास्त्र से संबंधित उनके शोध पत्र एवं आलेख विभिन्न राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित थे। वे ‘सोशल विज़न’ पत्रिका के संपादक थे।

डॉ.शरद चंद्र श्रीवास्तव बेहद जिंदादिल, मिलनसार और साहित्य प्रेमी व्यक्ति थे। वे सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहते थे और समय-समय पर अपनी टिप्पणियों से लोगों का ध्यान आकर्षित करते रहते थे। इसी हफ्ते उनकी तबीयत खराब हुई और वे कोरोना पॉजिटिव पाए गए। स्वास्थ्य बिगड़ने पर उन्हें गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया जहाँ पर उन्हें बचाया नहीं जा सका।

जनवादी लेखक संघ ने शरद चंद्र श्रीवास्तव के उनका को स्तब्धकारी और बेहद दुखद बताया है। एक विज्ञप्ति में जनवादी लेखक संघ ने कहा कि अपने युवा साथी को खोकर हम बेहद दुखी है और शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी हार्दिक शोक संवेदना व्यक्त करते हैं।