कोराना की दूसरी लहर से बेपरवाह थी सरकार,फरवरी में कोविड वार्ड बंद कर कर्मचारियों को निकाल दिया था

गोरखपुर। सरकार और प्रशासन कोरोना की दूसरी लहर से एकदम अनजान और बेपरवाह था और उन्होंने इस लहर का मुकाबला करने की कोई तैयारी नहीं की। यहीं नहीं कोरोना की पहली लहर के दौरान बनाए गए अस्पताल व अन्य सुविधा ओं को भी बंद कर दिया था। बीआरडी मेडिकल कालेज में 500 बेड वाले बाल रोग संस्थान में बने कोविड वार्ड को फरवरी के पहले पखवारे बाद बंद कर वहाँ कार्य कर रहे 215 स्टाफ नर्स व वार्ड ब्वाय को निकाल दिया गया था। अप्रैल में जब कोविड केस बढे हैं तो निकाले गए नर्स और वार्ड व्वाय को मनुहार करते हुए ड्यूटी पर बुलाया गया।

फरवरी माह में बीआरडी के कोविड वार्ड को बंद करना और वहां कार्यरत स्टाफ नर्स व वार्ड व्वाय को नौकरी से निकालने की घटना बताती है कि शासन-प्रशासन कोराना की दूसरी लहर से किस कदर अनजान और बेपरवाह था। फरवरी माह मूें महाराष्ट जैसे प्रदेश में कोराना के मामले बढ़ने लगे थे लेकिन यूपी में इसको लेकर कोई सतर्कता नहीं थी। कोरोना की पहली लहर के दौरान बनाए गए कोविड वार्ड बंद कर दिए गए थे।

बीआरडी मेडिकल कालेज के 500 बेड के बाल रोग चिकित्सा संस्थान में अगस्त 2020 में कोविड वार्ड बनाया गया था। मरीजों के इलाज के लिए बीआरडी मेडिकल कालेज ने आउट सोर्सिंग के जरिए दो एजेंसियों के मार्फत 161 स्टाफ नर्स और 54 वार्ड ब्वाय की नियुक्ति की थी। ये नियुक्तियां प्रिंसिपल सिक्योरिटी और हर्ष इंटर प्राइजेज नाम की आउट सोर्सिंग कम्पनियों के जरिए की गई। इसी तरह बीआईएस के मार्फत 50 से अधिक स्वीपर की तैनाती कोविड वार्ड में की गई थी। स्टाफ नर्स, वार्ड व्वाय, स्वीपर से भर्ती के समय कहा गया था कि कम से कम पांच साल तक उनकी नौकरी पक्की रहेगी और उन्हें आगे बीआरडी मेडिकल कालेज में नियमित किया जाएगा लेकिन छह महीने बाद सबकी नौकरी समाप्त कर इस वार्ड को बंद कर दिया गया। स्टाफ नर्स और वार्ड ब्वाय बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य से मिलने गए तो उन्होंने कहा कि उनकी सेवाएं कोविड काल के लिए ही ली गई थीं।

इस कोविड वार्ड में ड्यूटी करने वाली नर्सों, वार्ड व्वाय को पांच महीने से वेतन भी नहीं मिला था। बीआरडी मेडिकल कालेज प्रशासन ने उनके वेतन व अन्य देयकों के भुगतान से भी पल्ला झाड़ लिया और कहा कि इससे बीआरडी मेडिकल कालेज का कोई लेना देना नहीं है। यह हिसाब आउटसोर्सिंग कम्पनियां करेंगी।
नौकरी से निकाले जाने पर स्टाफ नर्स, वार्ड ब्वाय व स्पीपर ने 16 फरवरी से लगातार कई दिन तक आंदोलन किया। बीआरडी मेडिकल कालेज गेट पर बाबा राघव दास की प्रतिमा के समक्ष सभी नर्स, वार्ड व्वाय, कर्मचारियों ने धरना-प्रदर्शन किया। अगले दिन कुछ लोग मुख्यमंत्री से मिलने भी गए। मुख्यमंत्री ने उन्हें डीएम से मिलने को कहा। अफसरों ने कहा कि उनका वेतन दिलवा दिया जाएगा लेकिन नौकरी में रखने की गारंटी वे नहीं लेंगे। तीन दिन बाद बल प्रयोग कर प्रशासन ने आंदोलन को समाप्त करा दिया।

अप्रैल महीने में जब कोरोना केस बढ़ने लगे तब बीआरडी प्रशासन को कोविड वार्ड फिर शुरू करने का होश आया। मनुहार कर निकाले गए नर्सों, वार्ड व्वाय व कर्मचाारियों को बुलाया जाने लगा।

एक स्टाफ नर्स ने बताया कि उन लोगों ने अप्रैल के पहले पखवारे के बाद ड्यूटी ज्चाइन की है। इस बार उन्हें दूसरी आउटसोर्स कम्पनी के जरिए भर्ती किया गया है। बेरोजगार बैठे थे, इसलिए फिर से काम करने आ गए। कई कर्मचारी ड्यूटी करने नहीं आए। स्टाफ नर्स ने बताया कि उन लोगों को अभी भी जनवरी और फरवरी महीने का वेतन नहीं मिला है।