कुष्ठ रोग की पहचान के लिए आशा कार्यकर्ताओं को दिया गया प्रशिक्षण 

देवरिया। स्वास्थ्य विभाग की ओर से राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सोमवार को तरकुलवा  सीएचसी में एक दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में ब्लॉक की सौ से अधिक महिला आशा कार्यकर्ताओं को कुष्ठ रोग के लक्षण, पहचान, जांच और इसके उपचार के बारे में जानकारी दी गयी।
जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता (डीएलसी) डॉ. इरशाद आलम खान ने एक दिवसीय प्रशिक्षण का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कुष्ठ रोग, माइक्रो वेक्टीरियम लेपरी नामक एक जीवाणु की वजह से होता है। यह मनुष्य की तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। किसी भी आयु की स्त्री या पुरुष पर यह जीवाणु असर कर सकता है। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग का सफल इलाज संभव है। सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर इसकी निःशुल्क दवाएं मुहैया कराई गई हैं। डॉ. इरशाद ने बताया कि कुष्ठ रोग से ग्रसित व्यक्ति की त्वचा पर दाग पड़ने लगते हैं और त्वचा संवेदनहीन होने लगती है। इसकी तुरंत किसी सरकारी अस्पताल में जांच कराकर इलाज शुरू कराना चाहिए।
उन्होंने कहा कि  समाज में कुष्ठ रोग को लेकर कई भ्रांतियां हैं। इनकी वजह से इससे प्रभावित लोग इस रोग को छिपाते हैं और इसका इलाज नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि  कुष्ठ रोग रोगाणुओं से होने वाली एक साधारण बीमारी है। यह मुख्य रूप से चमड़ा एवं तंत्रिकाओं को प्रभावित करती है। उन्होंने कुष्ठ रोग के लक्षण की जानकारी देते हुए कहा कि चमड़े पर दाग या धब्बा, जिनमें निश्चित रूप से सुन्नपन हो, तंत्रिका में सूजन एवं तंत्रिका क्षेत्र में सुन्नपन, चमड़े पर अनेक उभरे दाग, गांठे आदि कुष्ठ रोग के लक्षण हैं। उन्होंने कहा कि पांच से कम दाग पाए जाने पर पीबी कुष्ठ रोगी कहलाता है। हरा पत्ता बीसीपी दवा का छह माह तक सेवन करने से ऐसे रोगी कुष्ठ रोग से मुक्त हो जाते हैं, जबकि पांच से अधिक दाग पाए जाने पर एमबी कुष्ठ रोगी कहलाता है। ऐसे मरीज लाल पत्ता बीसीपी दवा एक वर्ष तक सेवन करने से रोग मुक्त हो जाते हैं।
 प्रशिक्षण में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी (एमओआईसी) डॉ. अमित कुमार, रमायन तिवारी, मुन्ना यादव सहित प्रतिभागी आशा कार्यकर्ता मौजूद रहे।