उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान से सम्मानित वयोवृद्ध शिक्षक हाजी गुलाम नबी खां का निधन

गोरखपुर। उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान से सम्मानित वयोवृद्ध शिक्षक हाजी गुलाम नबी खां का सोमवार दोपहर सवा बारह बजे निधन हो गया। उनके निधन की ख़बर मिलते ही उनके आइडियल मैरेज हाउस स्थित निवास पर खिराजे अकीदत पेश करने वालों का तांता लग गया। मगरिब की नमाज़ के बाद आइडियल मैरेज हाउस में नमाज़े जनाज़ा अदा की गई। इलाहीबाग स्थित कच्ची बाग कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक किया गया।

100 वर्षीय हाजी गुलाम नबी खां ने आजाद हिन्दुस्तान के संघर्ष, द्वितीय विश्व युद्ध के हालत और आपातकाल को आपनी आंखों से देखा। हर चुनाव में मतदान किया। सिकरीगंज के अनुदानित मदरसा अरबिया शमसुल उलूम हाता नवाब गोरखपुर में शिक्षक रहे हाजी गुलाम नबी को राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के हाथों उत्कृष्ट शिक्षक का पुरस्कार हासिल हुआ था। इस समय हाजी गुलाम नबी खां की चौथी पीढ़ी चल रही है।

गुलाम नबी के पोते हाफ़िज़ हाफ़िज़ अयाज अहमद व मो. शादाब अहमद ने बताया कि दादा बहुत इबादतगुजार थे। उम्र के इस पड़ाव में भी खूब इबादत किया करते थे। मूलत: सिकरीगंज के रहने वाले गुलाम नबी 7 बार हज भी कर चुके थे। तीन बार हज का सफर पानी के जहाज से और चार बार हवाई जहाज से तय किया था। वर्ष 2005 में बिना व्हीलचेयर के हज के तमाम अरकान अदा किए। आखिरी बार उन्होंने 2006 में हज का सफर किया था।

हाजी गुलाम नबी के निधन पर मुफ़्ती-ए-शहर मुफ़्ती अख़्तर हुसैन मन्नानी, नायब काजी मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी, हाफ़िज़ नज़रे आलम क़ादरी, कारी सरफुद्दीन, हाफ़िज़ आमिर हुसैन, हाफ़िज़ रहमत अली, मौलाना अली अहमद, हाजी उबैद अहमद खान, अब्दुल मतीन फैजी, नासिफ अहमद सहित तमाम मदरसा शिक्षकों, उलेमा-ए-किराम, मस्जिद के इमामों आदि ने गम का इजहार किया है।