जाने माने रंगकर्मी और फिल्म निर्माता अशोक कुमार श्रीवास्तव नहीं रहे

गोरखपुर। जाने-माने रंगकर्मी और फिल्म निर्माता अशोक कुमार श्रीवास्तव का नौ अगस्त को मुम्बई में निधन हो गया। अशोक श्रीवास्तव अपनी पहली फिल्म ‘रिटर्न आफ भोजपुरी बेटी’ के पोस्ट प्रोडक्शन के सिलसिले में मुम्बई गई थे। कुछ दिन के बुखार के बाद उन्हें डेंगू से ग्रस्त पाया गया। इसके बाद उन्हें हिंदूजा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अशोक श्रीवास्तव ह्दय रोगी भी थे।

उनका अंतिम संस्कार 10 अगस्त की दोपहर राप्ती नदी के तट पर राजघाट पर किया किया। इस मौके पर वरिष्ठ कवि एवं उनके घनिष्ठ मित्र देवेन्द्र आर्य, शायर सरवत जमाल, वरिष्ठ पत्रकार अशोक चौधरी, वरिष्ठ रंगकर्मी राजाराम चौधरी, जन संस्कृति मंच के महासचिव मनोज कुमार सिंह, जन संस्कृति मंच के जिला सचिव सुजीत श्रीवास्तव, अलख कला समूह के बैजनाथ मिश्र, कवि धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, फिल्मकाकर विजय प्रकाश मौर्य, एक्टिविस्ट राजू सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

61 वर्षीय अशोक कुमार श्रीवास्तव पिछले वर्ष पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य चल टिकट परीक्षक के पद से रिटायर हुए थे। रेलवे में कार्य करते हुए वे गोरखपुर के रंगमंच पर काफी सक्रिय रहे और उन्होंने कई नाटकों में अविस्मरणीय भूमिकाएं की। खास तौर पर नाटक ‘ आदमी का गोश्त ‘ और ‘ कबीरा खड़ा बाजार में ‘ उनकी भूमिका को काफी सराहना मिली थी।

अशोक श्रीवास्तव गोरखपुर की साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों से गहरे रूप से जुड़े थे। वे गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल की आयोजन समिति में थे। उन्होंने बलिया के बेल्थरा के पास अपने गांव बघूड़ी में कालेज की स्थापना की थी और वहां हर वर्ष सांस्कृतिक आयोजन किया करते थे।

वे पिछले दो वर्ष से फिल्म निर्माण से जुड़े थे। उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘ रिटर्न आफ भोजपुरी बेटी ’ का निर्माण शुरू किया था। फिल्म की शूटिंग पूरी हो गई थी और अब इसके पोस्ट प्रोडक्शन का कार्य चल रहा था। इसी सिलसिले में वे करीब तीन महीने से मुम्बई में थे।

अपनी फिल्म में उन्होंने केन्द्रीय चरित्र की भूमिका में अभिनय भी किया था। इस फिल्म के निर्देशन का जिम्मा उन्होंने गोरखपुर के ही फिल्मकार विजय प्रकाश मौर्य को सौंपा था। विजय प्रकाश मौर्य ने गोरखपुर और आस-पास के जिलों की सामाजिक समस्याओं पर कई डाक्यूमेंटरी बनाई है जिसकी स्क्रीनिंग गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल में हुई है।

अशोक श्रीवास्तव अपनी इस फिल्म को लेकर बहुत उत्साहित थे और उनका मानना था कि यह फिल्म दर्शकों पर अलग छाप छोड़ेगी। दुर्भाग्य से फिल्म जब रिलीज होने के लिए लगभग तैयार थी, उनका निधन हो गया।

वे अपने पीछे पत्नी, दो बेटियों और एक बेटे को छोड़ गए हैं। पत्नी इंदु श्रीवास्तव प्रधानाध्यापिका हैं। बड़ी बेटी डा. अभिलाषा श्रीवास्तव केजीएमयू लखनऊ से पीजी कर रही हैं। बेटे अभिनव चित्रांश स्व-उद्यमी हैं जबकि छोटी बेटी सुरभि श्रीवास्तव इसी वर्ष मार्च महीने में पीसीएस परीक्षा में 40वां स्थान प्राप्त कर वन अधिकारी बनी हैं। इसके पहले उनका चयन मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा आयोग द्वारा एसिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में में भी हुआ था।