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इंकलाबी नौजवान सभा के सम्मेलन में यूपी माँगे रोजगार अभियान चलाने का निर्णय

वाराणसी। इंकलाबी नौजवान सभा 7वां राज्य सम्मेलन नौ सितंबर को बनारस के भगतसिंह-अम्बेडकर हॉल में आयोजित किया गया। सम्मेलन में प्रदेश की 28 जिलों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सयुंक्त किसान मोर्चा की तरफ से जसवीर कौर ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह सम्मेलन तब हो रहा है जब दिल्ली की सीमाओं पर किसान इस संकल्प के साथ बैठे हैं कि या तो कृषि विरोधी कानून वापस होगा या तो उनकी लाशें उठेगी।आगामी चुनाव में इस प्रदेश के लोगों की ये जिम्मेदारी की इस किसान विरोधी सरकार को एक बड़ा धक्का देकर प्रदेश की सत्ता से बाहर करे।

जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय महासचिव मनोज सिंह ने कहा कि मौजूदा वक्त में देश मे आज़ादी के बाद से सबसे अधिक बेरोजगारी है, युवा आत्महत्या को मजबूर है और रोजगार का संकट इसका सबसे कारण है। सरकार रोजगार और आरक्षण दोनों खत्म करना चाहती है।  69000शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाला ज्वलन्त उदाहरण है। लोग कोरोना महामारी के दौरान दवाइयों के कमी से मरते रहे और योगी सरकार करोड़ो रूपये विज्ञापन पर खर्च करती रही। इनौस का यह मंच ही छात्रों-युवाओं के आंदोलन को दिशा देने का काम करेगा।

इनौस के महासचिव नीरज कुमार ने कहा कि छात्रों युवाओं को रोजगार और निजीकरण के खिलाफ तीखी लड़ाई लड़नी होगी और मौजूदा छात्र-किसान-नौजवान विरोधी इस सरकार की नीतियों को असफ़ल करना होगा।

सम्मेलन को खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीराम चौधरी ,एपवा की प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ,आईआरइएफ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ कमल उसरी ,एआईडीवाईओ के प्रदेश सचिव मकरध्वज , एआईडीएसओ के प्रदेश अध्यक्ष हरिशंकर मौर्य ,आइसा के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश पासवान ,निखत, एआईवाईएफ के नेता अमजद ,सुमन आदि ने संबोधित किया।

सम्मेलन के दूसरे सत्र में इंकलाबी नौजवान सभा की 45 सदस्य की कमिटी को चुना गया जिसमें सुनील मौर्य को प्रदेश सचिव और राकेश सिंह को प्रदेश अध्यक्ष चुना गया। उदयभान चौधरी, धर्मराज कोल, राजू राजभर, कमलेश यादव, मनोज कुशवाहा को प्रदेश उपाध्यक्ष व ठाकुर प्रसाद, राजीव गुप्ता, सुजीत श्रीवास्तव और संजय निषाद को सह-सचिव चुने गए।

सम्मेलन का संचालन सुनील मौर्य ने किया। धन्यवाद ज्ञापन राकेश सिंह ने किया। इंकलाबी नौजवान सभा ने सम्मेलन के अंत में यूपी मांगे रोजगार को केंद्र में रखकर फ़ासीवादी ताकतों को उत्तर प्रदेश से बाहर फेंकने का अभियान लिया।