साहित्य - संस्कृति

आग तो आग है बुझा दीजे, बुझते शोलों को हवा न दीजे

गोरखपुर के प्रताप सभागार में सुभाष चौधरी के काव्य संग्रह मिलना आषाढ़ में का लोकार्पण हुआ

 

गोरखपुर। शहर के  प्रताप सभागार में 26 मार्च को आयोजित एक समारोह में कवि सुभाष चौधरी के काव्य संग्रह मिलना आषाढ़ में काव्य संग्रह का सुधी साहित्यप्रेमियों की उपस्थित में लोकार्पण हुआ।इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि सुभाष की कवितायें अंधेरे समय में उम्मीद की कवितायें हैं।ये समय के विस्तृत कैनवास में अपना हस्तक्षेप दर्ज करती हैं।पुस्तक का विमोचन प्रो, राम देव शुक्ल ,प्रो,अनंत मिश्र, प्रो,चित्तरंजन मिश्र ,राकेश त्रिपाठी,कवि सुभाष चौधरी निर्मल, व् आई एच् सिद्दीकी, ने किया।

 सर्व प्रथम कवि सुभाष चौधरी निर्मल ने अपने मुक्तक ,रात सोई है अभी तो अँधेरा होगा।थोड़ी ही देर मे उम्मीदें सवेरा होगा ।  एक ग़जल- आग तो आग है बुझा दीजे।बुझते शोलो को न् हवा दीजे। बेटियां कम हैं इस जमाने में ।हाय इनको ना अब सजा दीजे सुनाकर श्रोताओं की वाह वाही बटोरी। 

डी डी यू यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो गोयल ने सुभाष की कविताओं पर अपने विचार रखे व कवि के उज्वल भविष्य की कामना की। प्रो, अनंत मिश्र ने माता पिता से संबंधित कविता में प्रेम और उसकी प्रगतिशीलता पर कवि की सराहना की। प्रो, चित्तरंजन मिश्र ने बस्तर के आदिवासियों पर लिखी कविता पर लेखक की भूमिका को सराहा। कवि को सफल विचारक और यथार्थवादी धरातल का कवि बतलाया।

 प्रो, राम देव शुक्ल ने कवि को हिंदी उर्दू की गजलो का कवि बतलाया व पुस्तक के सफलता की हार्दिक बधाई दी।अन्त में कवि सुभाष चौधरी निर्मल, की पत्नी डा, निर्मला चौधरी, ने सभी अतिथिओं एवं श्रोताओं का हृदय से आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर अभिषेक चौधरी ने सुभाष की कुछ कविताओ व गजलों का गायन प्रस्तुत किया।

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