साक्षात्कार

राष्ट्रीय हित के मसले पर दलीय निष्ठा को हावी नहीं होने देना चाहिए

          डॉ चंद्रशेखर त्रिपाठी, पूर्व सांसद

 ( स्वतंत्र पत्रकार सगीर ए खाकसार से बातचीत पर आधारित )

मनमोहन सिंह की सरकार ने भी समय समय पर पाकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से दिया था लेकिन कभी अपनी पीठ नहीं थपथपाई। राजनैतिक फायदे के लिए  उसे भुनाने की रत्ती भर कोशिश नहीं की लेकिन वर्तमान सरकार  हर काम को पहली बार बता कर उसका का राजनैतिक लाभ लेने की फ़िराक में रहती है। अभी ऑपरेशन जिंजर के दस्तावेज़ी सबूतों ने पूर्व सरकार के दावों की पुष्टि भी की है क़ि किस तरह हमारी सेना  पाकिस्तान में घुस कर उनको मुंह तोड़ जवाब दिया है। किसी भी सियासी दल को राष्ट्रीय हित के मसले पर अपनी दलीय निष्ठा को हावी नहीं होने देना चाहिए। हमारे देश की सेना ने काबिले तारीफ काम किया है।हम सेना की बहादुरी को सलाम करते हैं।

          ईंट से ईंट जोड़ने से दीवार बनती है ।मुहब्बत की और भाई चारे की।लेकिन यहाँ तो एक-एक ईंटों को अलग करने का काम हो रहा है। ऐसा करने से हम कमज़ोर होंगे। हर बात पर मुसलमानों पर संदेह करना और उन से देश भक्ति का सर्टिफिकेट मांगना अब एक फैशन हो गया है। ये स्थितियां खतरनाक हैं। यह सब बंद होना चाहिए। समाज में कई स्तरों पर भिन्नताएं और असमानता बढ़ रही है।आर्थिक विषमता के साथ साथ नफरत की खाई भी चौड़ी होती जा रही है।आर्थिक असमानता क्रांति को जन्म देती है ।जब एक अमीर आदमी का कुत्ता दूध पियेगा और गरीब का बच्चा दूध के लिए तड़पेगा तो ऐसे हालात क्रांति के लिए लोगों को मजबूर करेंगे।

आज किसान परेशान है। कृषि योग्य ज़मीन हर रोज़ घट रही हैं। अन्नदाता की बदहाली किसी भी लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।गरीब किसान आत्म हत्याएं करने को मजबूर हैं। वह क़र्ज़ तले दबा हुआ है। वहीं बड़े लोगों के कर्ज़े माफ़ किये जा रहे हैं। किसी भी सरकार की प्राथमिकता गुणवत्ता युक्त शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सेवा, शानदार और सुगम सड़कें और सबका विकास होना चाहिए। तभी देश आगे बढ़ेगा।⁠⁠⁠⁠

 

(खलीलाबाद लोक सभा सीट से 1985 में कांग्रेस के सांसद रहे डॉ चंद्र शेखर त्रिपाठी उस दौर के राजनीतिज्ञ हैं जब राजनीति समाज सेवा का एक विशुद्ध माध्यम माना जाता था। तब के और आज के  नेताओं के चाल,चरित्र और व्यवहार में  गहरा फर्क साफ़ साफ़ दिखाई पड़ता है। श्री त्रिपाठी कांग्रेस के सिद्धार्थनगऱ के जिलाध्यक्ष भी रहे हैं। फिलवक्त बांसी में रहते हैं। राजनीति, साहित्य, के अलावा समसायिक मुद्दों पर पैनी नज़र रखते हैं )                                 

 

Related posts

1 comment

Comments are closed.