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बीआरडी मेडिकल कालेज मेें एक सप्ताह में एईएस/जेई से प्रभावित 44 बच्चे भर्ती हुए

अगस्त के दूसरे पखवारे से इंसेफेलाइटिस में आयी तेजी, एक महीने में 100 से अधिक बच्चे भर्ती हुए

गोरखपुर। गोरखपुर और आस-पास के जिलों में इंसेफेलाइटिस के केस तेजी से बढ़ रह रहे हैं। बीआरडी मेडिकल कालेज में रोज 5-6 इंसेफेलाइटिस रोगी भर्ती हो रहे हैं। पिछले एक सप्ताह में एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) और और जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) से संक्रमिमत 44 बच्चे भर्ती किए गए हैं।

बीआरडी मेडिकल कालेज में एक जनवरी से अब तक एईएस से प्रभावित 327 बच्चे भर्ती हो चुके हैं जिनमें 26 की मृत्यु हो गयी। इस दौरान एईएस से प्रभावित पांच वयस्क मरीज भी भर्ती हुए जिनमें एक की मौत हो गई।

अगस्त के दूसरे पखवारे से एईएस/जेई का प्रकोप बढ़ा है और बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। एक महीने के अंदर बीआरडी में एईएस से प्रभावित 100 से अधिक बच्चे भर्ती हुए हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दस सितम्बर से 16 सितम्बर के बीच इंसेफेलाइटिस से प्रभावित 44 बच्चे बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती हुए हैं। हर रोज चार से पांच बच्चे बीआरडी मेडिकल कालेज के इंसेफेलाइटिस वार्ड में भर्ती हो रहे हैं। इस सप्ताह मंगलवार को सात, बुधवार को तीन और गुरूवार को नौ बच्चे भर्ती हुए। ये सभी बच्चे एईएस से प्रभावित थे। इस समय बीआरडी मेडिकल कालेज के इंसेफेलाइटिस वार्ड में 43 बच्चे भर्ती हैं।

बीआरडी मेडिकल कालेज में गोरखपुर और बस्ती मंडल के सात जिलों-गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, बस्ती के अलावा आजमगढ़, बलरामपुर, मऊ, गोंडा, गाजीपुर के बच्चे भी इंसेफेलाइटिस के इलाज के लिए आते हैं। बिहार से भी बड़ी संख्या में इंसेफेलाइटिस मरीज इलाज के लिए आते हैं।

इस वर्ष बीआरडी मेडिकल कालेज में गोरखपुर के 84, देवरिया के 55, कुशीनगर के 72 और महराजगंज के 35 बच्चे भर्ती हुए। इसके अलावा बस्ती के 15, संतकबीरनगर के 23 सिद्धार्थनगर के 14 मरीज भर्ती हुए। आजमगढ़ और गोण्डा से दो-दो, बलरामपुर, मऊ और गाजीपुर से एक-एक मरीज इंसेफेलाइटिस के इलाज के लिए बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती हुए।

बीआरडी मेडिकल कालेज में इस वर्ष भर्ती हुए 332 इंसेफेलाइटिस मरीजों में 25 की मृत्यु हो गई। इनमें गोरखपुर के 10, देवरिया और महराजगंज में तीन-तीन, कुशीनगर में छह, बिहार, सिद्धार्थनगर और आजमगढ के एक-एक मरीज थे।