स्वास्थ्य

बीआरडी के एनआरसी में डेढ़ साल में भर्ती हुए 465 कुपोषित बच्चे

आरबीएसके टीम,आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ता और अस्पतालों से रेफर होते हैं बच्चे, निशुल्क भोजन, इलाज और एक अभिभावक को भी निशुल्क भोजन दिया जाता है

गोरखपुर. बाबा राघव दास मेडिकल कालेज स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) अति कुपोषित बच्चों को नया जीवनदान दे रहा है। बीते डेढ़ वर्षों में यहां 14 दिनों तक भर्ती कर 465 बच्चों की जान बचायी गयी और उन्हें स्वस्थ कर घर लौटाया गया।

इस केंद्र में भर्ती बच्चों को निशुल्क पौष्टिक भोजन, इलाज और एक अभिभावक को भी निशुल्क भोजन दिया जाता है। बच्चे के साथ एनआरसी में रहने वाले एक अभिभावक (माता या पिता) के खाते में प्रतिदिन की दर से श्रम ह्रास की नियत राशि भेजी जाती है। फिलहाल यहां राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता और अस्पतालों से रेफर अति कुपोषित बच्चे भर्ती हो रहे हैं। अति कुपोषित बच्चों के अभिभावक भी सीधे अपने बच्चों को यहां ले जा सकते हैं। अगर जांच के बाद बच्चे को भर्ती करने की आवश्यकता हुई तो उसे भर्ती कर इलाज दिया जाएगा।

बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग में प्रोफेसर डा. अनिता मेहता के नेतृत्व में यहां बाल रोग विशेषज्ञ डा. विनीत जायसवाल, डा. राकेश यादव और आहार परामर्शदाता पद्मिनी शुक्ला समेत पैरामेडिकल की टीम बच्चों का देखभाल करती है।

शहरी बाल विकास परियोजना से जुड़ी मुख्य सेविका मोहित सक्सेना ने बताया कि जिला कार्यक्रम अधिकारी हेमंत सिंह के निर्देश पर शहरी बाल विकास परियोजना अधिकारी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की देखरेख में आंगनबाड़ी की टीम ने चिलुआताल निवासी विनोद को प्रेरित कर उनके 12 महीने के बेटे तुषार को 28 अगस्त को एनआरसी में भर्ती कराया था। जब बच्चा भर्ती हुआ तो उसका हिमोग्लोबिन 5.3 ग्राम था। सेंटर में न केवल बच्चे का निशुल्क इलाज हुआ बल्कि निशुल्क खून भी चढ़ाया गया। बच्चे की सेहत में 14 सितम्बर तक सुधार हो गया और उसका हिमोग्लोबिन 10.2 ग्राम हो गया। उनकी टीम ऐसे बहुत से बच्चों को यहां से स्वास्थ्य लाभ दिलवा चुकी है। एनआरसी के चिकित्सक और स्टाफ बेहद सहयोगी हैं।

शहर के गंगानगर टोले में मजदूरी करने वाले मकसूदन और उनकी पत्नी सीमा के शिवम और मोहिनी दो संतान हैं। इसी साल फरवरी की 25 तारीख को जब बच्चों को पोषण पुनर्वांस केंद्र (एनआरसी) में भर्ती कराया गया तो शिवम का वजन 8.3 किलो था और मोहनी का वजन 8 किलो। दोनों अति कुपोषित थे और लाल श्रेणी में सबसे नीचे थे। पांच मार्च को जब दोनों बच्चे एनआरसी से डिस्चार्ज हुए तो उनका वजन एक किलो बढ़ चुका था और अब दोनों का वजन 11.1 किलो है। बच्चों की सेहत में सुधार उन्हें चमत्कार जैसा लगता है। सीमा एनआरसी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की प्रशंसा करते नहीं थकती हैं।

एनआरसी में सुविधाएं

· बच्चे की मां या एक अभिभावक को निशुल्क पौष्टिक आहार

· बच्चे को दवा, दूध, खाना-पीना सब निशुल्क

· बच्चे की हर तरह की चिकित्सकीय जांच व दवा की निशुल्क सुविधा

· बाल रोग विशेषज्ञ बच्चे की नियमित जांच करते हैं

· घर ले जाने से पहले बच्चे के खानपान से संबंधित काउंसिलिंग

· ठीक हुए बच्चों को फालो अप के लिए लाने पर 100 रूपये किराया और 40 रूपये खानपान का

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