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‘ विवेकी राय ने भोजपुरी अंचल को कहानी और उपन्यास में मूर्त किया ‘

भोजपुरी अध्ययन केन्द्र में डॉ0 विवेकी राय दी गई श्रद्धांजलि

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भोजपुरी अध्ययन केन्द्र में बुधवार को भोजपुरी और हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ0 विवेकी राय के निधन पर शोक सभा का आयोजन किया गया। गॅवई सरोकारों के रचनाकार डॉ0 विवेकी राय हिन्दी और भोजपुरी साहित्य के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर थे। भोजपुरी माटी के प्रति स्नेह और समर्पण ही उनकी सृजनात्मकता का केन्द्र बिन्दु था।

इस अवसर पर भोजपुरी अध्ययन केन्द्र के समन्वयक प्रो0 सदानन्द शाही ने शोक प्रस्ताव पढते हुए कहा कि -‘हिन्दी और भोजपुरी के एक समर्थ और यशस्वी साहित्यकार का अवसान हो गया। श्री विवेकी राय पूर्वी उत्तर प्रदेश के भोजपुरी अंचल को अपनी लेखनी से कहानी और उपन्यास साहित्य में मूर्त रूप देने वाले अप्रतिम कथाकार थे, और इस दृष्टि से राही मासूम रजा और शिवप्रसाद सिंह के संगोतिया कलाकार थे। वे गाजीपुर-बलिया की करइल (काली) माटी से उगे, वहीं पले-बढ़े और अपनी जन्म भूमि की ही तरह माटी से सोना उपजाते रहे। जैसे सरल सीधा-सादा उनका व्यक्तित्व था, वैसी ही सरल, सीधी-सादी उनकी भाषा थी जो हिंदी में भोजपुरी की संजीवनी डालकर तैयार की गई थी। उनको हिंदी और भोजपुरी के बीच कोई बुनियादी विरोध दिखाई नहीं देता था। उन्होंने हिंदी और भोजपुरी दोनों में जीवन-भर और जी-भर लिखा और 72 पुस्तकें देकर दोनों के भंडार को भरपूर भरने में पूरा जीवन लगा दिया। भोजपुरी अध्ययन केन्द्र को उनका स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त था। उनके निधन से हमने अपना एक अभिभावक और शुभचिन्तक खो दिया।

शोक प्रस्ताव के बाद दो मिनट का मौन रख कर उन्हें श्रद्धान्जलि दी गयी।शोक सभा में केन्द्र के सह-समन्वयक प्रो0 अवधेश प्रधान व सभी छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे।