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12 साल बाद मिलने जा रही हैं मदरसा मिनी आईटीआई को एनसीवीटी से मान्यता !

प्रदेश के 140 मदरसों में संचालित मिनी आईटीआई का प्रशिक्षण राजकीय आईटीआई स्कूलों में कराने की प्रकिया शुरु

सैयद फरहान अहमद

गोरखपुर। मदरसों में छात्रों को तकनीकी रुप से दक्ष बनाने के लिए संचालित मिनी आईटीआई योजना के दिन बहुरने वाले हैं। अब यहां से मिलने वाला सर्टिफिकेट सरकारी नौकरियों में भी मान्य होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर मदरसों में चलाए जा रहे मिनी आईटीआई को अब नेशनल काउंसिल आफ वोकेेशनल ट्रेनिंग (एनसीवीटी) से जल्द मान्यता मिलने की संभावना हैं।

इस बाबत 29 अप्रैल को निदेशक यूपीएमवीटी लखनऊ मोहम्मद तारिक ने प्रदेश के जिला अल्पसंख्यक अधिकारियों से मदरसों में संचालित मिनी आईटीआई का पूरा ब्यौरा तलब किया हैं। आज 5 मई ब्यौरा भेजने की आखिरी तारीख हैं। यही नहीं सभी मदरसा मिनी आईटीआई के छात्रों को राजकीय आईटीआई स्कूलों में प्रशिक्षण दिए जाने की प्रक्रिया भी शुरु हो गई है। इससे जिले के मदरसा मिनी आईटीआई के छात्रों को काफी फायदा पहुंचेगा। अब यहां के छात्र भी राजकीय आईटीआई की कार्यशाला में प्रशिक्षण ले सकते हैं। शासन के फरमान से मदरसा मिनी आईटीआई में पढ़ने वाले छात्र गदगद हैं।

सपा सरकार में शुरु हुई मदरसा मिनी आईटीआई योजना

मदरसा मिनी आईटीआई योजना वर्ष 2005 में सपा सरकार ने शुरु की थीं। प्रदेश में 140 मदरसों में यह योजना संचालित हैं। जिसके तहत 35 ट्रेडों में से मदरसों में 3 ट्रेड चलाने की व्यवस्था की गयी। इसके लिए अलग से अनुदेशक, क्लर्क व अनुचर रखने की व्यवस्था की गयी। अलग से बजट की व्यवस्था की गयीं। पिछले 12 वर्षों से संचालित यह योजना सरकार की लापरवाही से परवान नहीं चढ़ पायीं। ट्रेनिंग के बाद मिलने वाला सर्टिफिकेट सरकारी योजनाओं व नौकरियों में मान्य नहीं किया गया। जिस वजह से यहां से निकलने वाले छात्र विदेशों में तो अच्छी नौकरी कर रहे हैं पर देश में इस सर्टिफिकेट की कोई वैल्यू नहीं हैं। पिछली सरकारों ने इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

गोरखपुर में 7 मदरसों में संचालित हैं मिनी आईटीआई योजना
गोरखपुर जिले के 7 मदरसों में मिनी आईटीआई योजना संचालित है। जिसमें 3 मदरसे शहर के हैं और 4 मदरसे ग्रामीण क्षेत्र के हैं। शहर के मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया इमामबाड़ा दीवान बाजार, मदरसा जामिया रजविया मेराजुल उलूम चिलमापुर, मदरसा अंजुमन इस्लामियां खूनीपुर व ग्रामीण क्षेत्र के मदरसा नूरिया खैरिया बगही बारी पीपीगंज, मदरसा अनवारुल उलूम गोला बाजार, मदरसा जामिया सिद्दीक निस्वां मरवटिया, मदरसा मकतब इस्लामियां बहरुल उलूम बड़गो बरईपार में यह योजना संचालित हैं। उक्त मदरसों पर छात्र-छात्राएं वेल्डर, कटाई- सिलाई, रेफ्रीजिरेशन – एअरकंडीशनिंग, कम्पयूटर आपरेटर, इलेक्ट्रीशियन, ड्राफ्ट मैन सिविल, वॉयर मैन, मैकेनिक डीजल की ट्रेनिंग लेते हैं।

मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार के मुख्य अनुदेशक व मिनी आईटीआई अनुदेशक कार्मिक वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष इस्माईल खान ने बताया कि उनके मदरसें 16 छात्राएं सिलाई-कटाई की ट्रेनिंग लेती हैं जबकि इसी मदरसे में रेफ्रीजिरेशन-एअरकंडीशनिंग व इलेक्ट्रिशियन ट्रेड में 16-16 छात्र ट्रेनिंग लेते हैं। मिनी आईटीआई संचालित मदरसे में प्रत्येक ट्रेड में 16-16 छात्रों को प्रशिक्षण दिए जाने का प्राविधान हैं। मदरसों के छात्रों को जल्द राजकीय आईटीआई स्कूलों में प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इन ट्रेडों में मदरसा शिक्षा परिषद् द्वारा संचालित मुंशी व मौलवी पास छात्र दाखिला ले सकते हैं। प्रत्येक मदरसे में तीन ट्रेड की अनुमति हैं। गोरखपुर में सबसे पहले यह योजना चलाने के लिए वर्ष 2005 में मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार व मदरसा जामिया रजविया मेराजुल उलूम चिलमापुर को मान्यता मिलीं। अब तक मदरसों से कई बैच निकल चुका हैं। इस प्रशिक्षण के बाद काफी छात्रों का स्वरोजगार हैं तो काफी छात्र विदेशों में काम कर रहे हैं। लेकिन सरकारी नौकरियों में इस सर्टिफिकेट की कोई वैल्यू नहीं थीं। मुख्यमंत्री की पहल पर आस जागी हैं कि एनसीवीटी मान्यता दे देगी। जिससे इस प्रशिक्षण की वैल्यू बढ़ जायेगी। उन्होंने मदरसा के छात्रों का प्रशिक्षण राजकीय आईटीआई में कराने का स्वागत किया हैं। वहीं कुछ परेशानियों पर ध्यान दिए जाने की बात भी कही हैं।गोरखपुर में राजकीय आईटीआई चरगांवा काफी दूर हैं शहर के छात्र तो वहां आसानी से प्रशिक्षण ले लेंगे लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को काफी दुश्वारी होगी। वहीं राजकीय आईटीआई में हाईस्कूल साइंस साइड पास छात्र ही प्रशिक्षण लेते हैं जबकि मिनी आईटीआई में मुंशी, मौलवी के बेस पर दाखिला होता हैं। प्रशिक्षण के मुताल्लिक कुछ दुश्वारियों भी पैदा हो सकती हैं ।

मुख्यमंत्री ने ऐसे दिखाई तवज्जो
11 अप्रैल को हुये लखनऊ में हुए विभागीय प्रस्तुतिकरण के समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मिनी आईटीआई के संबंध में निर्देश दिए गए। विभागीय प्रस्तुतिकरण के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा मदरसों में संचालित मिनी आईटीआई को एनसीवीटी से मान्यता दिलवाने हेतु एवं क्षेत्र में चल रहे राजकीय आईटीआई की कार्यशाला से जोड़ने का निर्देश दिया गया।

मदरसा मिनी आईटीआई को इस प्रारुप में जानकारी देनी हैं

मुख्यमंत्री के निर्देश के क्रम में जनपद के मिनी आईटीआई में संचालित ट्रेड का कम से कम दो निकटम राजकीय आईटीआई में समन्वय स्थापित कर संचालित ट्रेड की कार्यशाला से सम्बद्घ कराये जाने संबंधी सूचना निर्धारित प्रारुप पर 5 मई तक उपल्बध कराने का निर्देश जारी हुआ हैं। इस प्रारुप में जनपद का नाम, मिनी आईटीआई का नाम व पता, संचालित ट्रेड, छात्र संख्या, निकटम राजकीय आईटीआई का नाम व पता, राजकीय आईटीआई में सबंधित ट्रेड है या नहीं , राजकीय आईटीआई की कार्यशाला में मिनी आईटीआई के छात्रों के प्रशिक्षण दिये जाने का प्रस्तावित समय आदि की जानकारी देनी हैं।
मान्यता मिलने से होंगे यह फायदें
मदरसा शिक्षक नवेद आलम ने कहा कि मदरसा छात्रों को कोर्स करने के बाद देश में कहीं भी आसानी से नौकरी मिल सकेगी। अब तक मदरसों में चल रहे मिनी आईटीआई को राज्य की ही मान्यता प्राप्त नहीं थी। इसके चलते छात्रों को रोजगार से जुड़ने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। मिनी आईटीआई से एक साल का कोर्स करने के बाद भी प्रशिक्षु बेरोजगार ही रहते थे। उन्हें सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं में नौकरी के लिए केंद्र व राज्य सरकार की पात्रता में अयोग्य ही माना जाता था। मदरसा शिक्षक मोहम्मद आजम ने कहा कि एनसीवीटी से मान्यता मिलने के बाद प्रशिक्षु देश में कहीं भी नौकरी के लिए अर्ह हो सकेंगे। इसलिए ही मदरसा के मिनी आईटीआई के लिए यह प्रस्ताव तैयार किया गया है। मदरसों में मिनी आईटीआई में एनसीवीटी से मान्यता प्राप्त करने के बाद युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, क्योंकि वर्तमान में चल रहे कोर्स से युवाओं को नौकरी हासिल करने में दिक्कतें होती हैं। मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया के मुफ्ती अख्तर हुसैन भी इस पहल का स्वागत करते हुए कहते हैं कि इससे छात्र केंद्रीय व राज्य सेवाओं के लिए भी सक्षम हो सकेंगे।

राजकीय आईटीआई स्कूलों में अभी तक नहीं पहुंचा कोई निर्देश

मदरसा अनुदेशक इस्माईल खान ने बताया कि कई जिलों हापुड़ आदि से शिकायत आ रही हैं कि प्रशिक्षण के सबंध में कोई निर्देश राजकीय आईटीआई में नहीं पहुंचा हैं ।

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