एक दशक पहले छितौनी, लक्ष्मीगंज और रामकोला चीनी मिली बिकी थी कौड़ियों के भाव

कुशीनगर। बसपा सरकार में कौड़ियों के दाम में बिकी सात चीनी मिलों में कुशीनगर जिले की भी तीन चीनी मिल थी। जनपद की छितौनी, लक्ष्मीगंज और रामकोला चीनी मिलों को सिर्फ 11.41 करोड़ में बेच दिया गया था जबकि इनकी कीमत उस समय बाजार भाव के अनुसार 150 करोड़ रूपए आंकी गई थी।

प्रवर्तन निदेशालय ने इस सप्ताह बसपा के पूर्व एमएलसी मो. इकबाल की कम्पनियों को बेचे गए सात चीनी मिलों अटैच कर लिया। इन चीनी मिलों को मो. इकबाल और उनके सहयोगियों को सिर्फ 60.24 करोड़ रूपए में वर्ष 2010-11 में बेची गयी थी जबकि इन चीनी मिलों और उनकी परिसम्पत्तियों की कीमत 1097.18 करोड़ आंकी गई थी।

कुशीनगर जिले की छितौनी, लक्ष्मीगंज और रामकोला चीनी मिल ओकारा शुगर्स प्रावइेट लिमिटेड को बेची गयी थी। इन तीनों चीनी मिलों के पास काफी जमीन भी थी। छितौनी चीनी मिल के पास 15 हेक्टेयर भूमि थी। इसी तरह लक्ष्मीगंज चीनी मिल की मौके पर लगभग 16 एकड़ और रामकोला खेतान की 9 एकड भूमि थी।

यह सभी भूमि मुख्य बाजार के पास स्थित है। इसके अलावा इन चीनी मिलों में काफी लोहा, पीतल व अन्य धातुएं मशीनों के रूप में मौजूद थी। नीलामी में लक्ष्मीगंज चीनी मिल का दाम 3.40 करोड़, छितौनी चीनी मिल 3.61 करोड़, रामकोला खेतान 4.55 करोड़ में बिकी। तीनो चीनी मिलों को खरीदने वाली कम्पनी ओकारा शुगर्स प्रावइेट लिमिटेड से स्टाम्प शुल्क सर्किल रेट के हिसाब न लेकर कमेटी द्वारा तय स्टांप शुल्क लिया किया।

बाजार भाव से काफी कम कीमत पर इन चीनी मिलों को बेचे जाने के खिलाफ उस समय भी आवाज उठी थी लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। आरोप लगा कि तत्कालीन मायावती सरकार की शह पर इन चीनी मिलों को मुखौटा कम्पनियों को कौड़ियों के दाम पर बेचा गया।

सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2016 में एक जनहित याचिका पर सीबीआई को जांच का आदेश दिया था जो अब भी जारी है। इसी बीच इस मामले में दो वर्ष पहले प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने एफआईआर दर्ज की। यह एफआईआर प्रिवेंशन आफ मनी लान्डिंग एक्ट के तहत दर्ज की गई। ईडी का कहना है कि मो. इकबाल की दो कम्पनियों ने वर्ष 2017 में सात कम्पनियों को खरीदा जो उसी वर्ष रजिस्टर्ड हुई थीं। इन्हीं कम्पनियों ने बोली प्रक्रिया में हिस्सा लिया और चीनी मिलों को काफी सस्ते में खरीदा।