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गोरखपुर घूमने आए कानपुर के कारोबारी को पुलिस ने पीट- पीटकर मार डाला

गोरखपुर घूमने आए कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता को पुलिस ने होटल चेकिंग के समय पीट-पीट कर मार डाला। युवक का कसूर सिर्फ इतना था कि आधी रात को होटल में चेकिंग करने पहुंची पुलिस से वह पूछ बैठा कि इतनी रात में यह चेकिंग का क्या तरीका है? क्या हम लोग आतंकवादी हैं ? चेकिंग करने आए इंस्पेक्टर रामगढ़ताल जेएन सिंह और फलमंडी चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्र ने इस पर मनीष के दो दोस्तों को पीटते हुए कमरे से बाहर कर दिया और फिर होटल का कमरा बंद कर मनीष को इतना पीटा कि उसकी वहीं मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। इसके बाद पुलिस उसे अस्पताल ले गई, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

पुलिस ने इस मामले को दबाने की पपोरी कोशिश की और एसएसपी विपिन टाडा ने यह बयान दिया कि चेकिंग के दौरान घबरा कर गिरने से मनीष की मृत्यु हुई लेकिन मनीष के दोस्तों और घटना की जानकारी पर गोरखपुर पहुंची मनीष की पत्नी ने स्पष्ट आरोप लगाया कि पुलिस की पिटाई से ही मनीष की मौत हुई। दोपहर बाद इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज सहित छह पुलिस कर्मियों को सस्पेंड किया गया और आधी रात में इन पर हत्या का केस दर्ज किया गया। इसके पहले डीएम और एसएसपी ने मेडिकल कालेज पहुँच कर मनीष के परिजनों को कार्रवाई का आश्वासन दिया लेकिन परिजन तभी माने जब एफआईआर दर्ज हो गई।

गोरखपुर के सिकरीगंज के महादेवा बाजार के रहने वाले चंदन सैनी ने बताया कि वह बिजनेस करते हैं। उनके तीन दोस्त गुड़गांव से प्रदीप चौहान(32) और हरदीप सिंह चौहान(35) और कानपुर से मनीष गुप्ता(35) गोरखपुर घुमने आए थे। चंदन के मुताबिक सभी दोस्त रियल इस्टेट और अन्य बिजनेस करते हैं। फोन पर बात होने के दौरान चंदन अपने दोस्तों को हमेशा गोरखपुर में हो रहे विकास के बारे में बताते रहते थे। काफी दिनों से प्लानिंग थी कि एक बार गोरखपुर घुमने जरूर आएंगे। लॉकडाउन की वजह से पहले आ नहीं सके।

इस बीच तीनों की गोरखपुर घुमने की प्लानिंग बन गई। सोमवार को तीनों अपने दोस्त चंदन सैनी से मिलने और घुमने गोरखपुर पहुंचे। चंदन ने दोस्तों को रामगढ़ताल इलाके के एलआईसी बिल्डिंग के समीप स्थित होटल कृष्णा पैलेस के रूम नंबर 512 में ठहराया था। सोमवार की रात करीब 12.30 बजे रामगढ़ताल पुलिस होटल में चेकिंग करने पहुंची। इंस्पेक्टर जेएन सिंह, फलमंडी चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्रा के अलावा थाने की अन्य फोर्स साथ में थी। होटल के कमरे का दरवाजा नॉक कर खुलवाया। पुलिस के साथ होटल का रिशेप्शनिस्ट भी था। पुलिस वालों ने बोला कि चेकिंग हो रही है। सभी अपनी आईडी प्रूफ दिखाओ।

तीनों में हरदीप ने खुद का और अपने साथी प्रदीप चौहान की आईडी दिखा दी। जबकि मनीष सो रहे थे। प्रदीप ने उन्हें आईडी दिखाने के लिए नींद से जगाया। इतने पर प्रदीप वहां मौजूद पुलिस वालों से बोल बैठा, इतनी रात में यह चेकिंग किस बात की हो रही है। हम लोग क्या आतंकवादी हैं ? सोते हुए इंसान को आप लोग उठाकर डिस्टर्ब कर रहे हैं। इतने पर ही पुलिस वाले बौखला गए। आरोप है कि पुलिस वालों ने शराब पी रखी थी। इंस्पेक्टर जेएन सिंह और अक्षय मिश्रा ने मनीष को पीटना शुरू कर दिया। प्रदीप और हरदीप को पीटते हुए पुलिस वाले कमरे से बाहर ले गए और फिर कमरे को बंद कर मनीष को पीटने लगे। कुछ ही देर बाद प्रदीप और हरदीप ने देखा कि पुलिस वाले मनीष गुप्ता को घसीटते हुए बाहर ला रहे हैं। मनीष खून से लथपथ था। इसके बाद पुलिस वाले मनीष को पहले एक निजी अस्पताल ले गए जहां चिकित्सकों ने हालात गंभीर बताई। इसके बाद मनीष को बीआरडी मेडिकल कालेज भेज दिया गया। चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित किया।

मनीष अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। 5 वर्ष पहले ही उसकी शादी हुई थी। परिवार में उसके बीमार पिता और पत्नी के अलावा उसका एक 4 साल का मासूम बेटा है। मां की कुछ दिनों पहले मृत्यु हो गई थी।

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