साहित्य - संस्कृति

मिथकों को इतिहास बनाने का नियोजित प्रयास किया जा रहा है : डा. नलिन रंजन सिंह

जनवादी लेखक संघ, गोरखपुर का जिला सम्मेलन

गोरखपुर. इतिहास, मिथक और परम्परा के गूढ़ अर्थ को समझते लिखना लेखक का दायित्व है. स्वस्थ परंपराओं से जुड़कर लिखने वाले लेखक ही लेखन के क्षेत्र में अपना इतिहास रचते हैं.

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रामदेव शुक्ल ने यह उद्गार रविवार को जनवादी लेखक संघ के जिला सम्मेलन के उदघाटन सत्र में अपने अध्यक्षीय संबोधन में व्यक्त किया.

जलेस,गोरखपुर के पूर्व अध्यक्ष डा. लाल बाबू श्रीवास्तव की स्मृति में बने सभागार में जनवादी लेखक संघ, गोरखपुर के जिला सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए संगठन के राज्य सचिव डा. नलिन रंजन सिंह ने कहा कि आज की स्थितियां बहुत ही विकट हैं। ऐसे में लेखकों/ साहित्यकारों के समक्ष चुनौतियां भी काफी गहरी हैं। लेखकों को इससे निपटना ही होगा. उन्होंने कहा कि यह कि मिथकों को दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से इतिहास बनाने का नियोजित प्रयास किया जा रहा है. लगता है कि मौजूदा व्यवस्था को देश की परम्पराओं का भी ज्ञान नहीं है. संस्कृति के ऊर्ध्वगामी स्वरूप को बचाये- बनाये रखने में लेखकों की भूमिका काफी अहम है.

बिरादराना संगठन प्रगतिशील लेखक संघ, गोरखपुर के अध्यक्ष कलीमुल हक, जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय महासचिव मनोज सिंह ने इस कार्यक्रम के प्रति शुभकामनाएं देते हुए कहा हम सभी एक साथ मिलकर व्यवस्था द्वारा पैदा की गयी विसंगतियों से लड़ेंगे।
जलेस उप्र के उपसचिव विशाल श्रीवास्तव ने कहा कि साहित्य में प्रतिरोध की संस्कृति हमेशा बनी रही है. इसके बगैर साहित्य को साहित्य कहना बेमानी होगा. लेखकों को इसे समझना ही होगा. डा. ज्ञान प्रकाश चौबे ने कहा कि साहित्य मनुष्य को मनुष्य बनाये रखने का काम करता है. ऐसे में लेखकों का नैतिक दायित्व यही है कि मनुष्य और मनुष्यता को बचाए रखने में ही अपनी लेखनी का इस्तेमाल करें.

कार्यक्रम की शुरुआत महानगर और आसपास के दिवंगत साहित्यकारों बादशाह हुसैन रिज़वी, डा. परमानंद श्रीवास्तव, डा. लाल बाबू श्रीवास्तव, सुरेन्द्र काले, सत्यनारायण मिश्र सत्तन, जगदीश नारायण श्रीवास्तव को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी. इसके बाद देवेन्द्र नाथ द्विवेदी ने डा. लाल बाबू श्रीवास्तव के साहित्यिक चिंतन पर प्रकाश डाला. वरिष्ठ शायर एवं कार्यक्रम की स्वागत समिति के अध्यक्ष वीरेन्द्र हमदम ने आये हुए अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम का संचालन जलेस के जिला सचिव प्रमोद कुमार ने किया.

द्वितीय सत्र में अतिथि कवियों के साथ युवा कवियों ने काव्य पाठ किया. जिनमें महेश अश्क, नलिन रंजन सिंह, विकास श्रीवास्तव, ज्ञान प्रकाश चौबे, शरद चन्द्र श्रीवास्तव, वेद प्रकाश, सुरेश चंद गौरव पाण्डेय तथा सतविंदर कौर के नाम उल्लेखनीय है. काव्यपाठ की अध्यक्षता जयप्रकाश मालिक व सञ्चालन प्रदीप सुविज्ञ ने किया.

संगठन सत्र में.नयी कार्यकारिणी का गठन हुआ , जिसमें श्री जयप्रकाश मल्ल अध्यक्ष, डॉ शरद चन्द्र श्रीवास्तव व  रमेश चंद उपाध्यक्ष, प्रमोद कुमार सचिव, वेद प्रकाश कार्यवाहक सचिव, डॉ रंजना जायसवाल व ओंकार नाथ त्रिपाठी उपसचिव, योगेन्द्र यादव जिज्ञासु कोषाध्यक्ष तथा श्री महेन्द्रनाथ श्रीवास्तव , डॉ बृजेश मणि त्रिपाठी, प्रबोध सिन्हा, संजय कुमार आर्य, विनय अज़ीज़ सदस्य चुने गए.

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