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बहराइच से छूटने के बाद डॉ. कफील और उनके भाई 3 महीने पुराने केस में गिरफ्तार

गोरखपुर। आक्सीजन कांड में निलम्बित बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग के प्रवक्ता डॉ. कफील खान और उनके भाई अदील अहमद खान को 23 सितम्बर को गोरखपुर पुलिस ने तीन महीने पहले दर्ज धोखधड़ी के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके पहले डा. कफील खान को बहराइच पुलिस ने उन्हें जिला अस्पताल से उस समय गिरफ्तार कर लिया था जब वह जिला अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले की जानकारी कर रहे थे।

उन्हें शांति भंग में गिरफ्तार किया गया था और अगले दिन उन्हें रिहा कर दिया गया लेकिन फिर गोरखपुर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

डा. कफील और उनके भाई अदील ने अपनी गिरफ्तारी को सच की आवाज दबाने वाली कार्रवाई बताया। पुलिस कस्टडी में जेल भेजे जाते समय डा. कफील ने वहां मौजूद पत्रकारों से कहा कि उन्हें सच बोलने से रोका जा रहा है। बहराइच में बच्चों की मौत इंसेफेलाइटिस से हो रही है जिसे सरकार छुपा रही है। बहराइच जाकर जब उन्होंने इसे उजागर किया तो उन्हें शांति भंग की धारा 151 में गिरफ्तार किया गया। वहां से जमानत मिलने पर जुलाई महीने में दर्ज फर्जी मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।उन्होंने कहा कि इसे ही इमरजेंसी कहते हैं.

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डा. कफील के परिजनों के अनुसार 23 सितम्बर की दोपहर उनके बसंतपुर स्थित घर पर छापा मारा गया। पुलिस ने पूरे घर की तलाशी ली और अदील अहमद को अपने साथ लेती गई। परिजनों के अनुसार पांच पुलिस कर्मी वर्दी में थे जबकि शेष पुलिस कर्मी बिना वर्दी के थे। डा. कफील को बहराइच में धारा 151 में जमानत मिलने के बाद उन्हें गोरखपुर पहुंचते ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। परिजनों ने कहा कि पुलिस कर्मी कह रहे थे कि डा. साहब बहुत बोल रहे हैं।

सीओ कैंट प्रभात राय  और सीओ कोतवाली वीके सिंह ने 23 सितम्बर की शाम को प्रेस कांफ्रेंस कर डॉ कफील और उनके भाई अदील खान की गिरफ्तारी की जानकारी दी.

डा. कफील और उनके बड़े भाई अदील अहमद को जिस मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया है वह दो जुलाई 2018 को दर्ज किया गया था। यह केस राजघाट थाना क्षेत्र के शेखपुर निवासी मुजफ्फर आलम की तहरीर पर दर्ज किया गया था। मुजफ्फर आलम ने आरोप लगाया था कि उसके फोटो और फैजान नाम के शख्स के ड्राइविंग लाइसेंस का इस्तेमाल कर अदील अहमद खान ने यूनियन बैंक की सुमेर सागर शाखा में वर्ष 2009 में फैजान के नाम से खाता खुलवाया और दो करोड़ का ट्रांजेक्शन किया। जब उन्हें पता चला तो उन्होंने 2014 में बैंक में आवेदन देकर खाता बंद कराया।

चार वर्ष बाद मई 2018 में उन्होंने एसएसपी को आवेदन देकर इस मामले की शिकायत की। एसएसपी शलभ माथुर ने इसकी जांच सीओ कोतवाली को सौंपी। जांच के बाद एसएसपी के आदेश पर अदील अहमद और फैजान पर मुकदमा अपराध संख्या 558/18 धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई। बाद में विवेचना के आधार पर डा़ कफील का नाम भी इसमें जोड़ दिया गया। पुलिस का कहना है कि इस खाते से वर्ष 2009 में मनिपाल विश्वविद्यालय में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे डा. कफील के फीस (81,28,100) का भुगतान ड्राफ्ट के जरिये किया गया था। इसलिए उनके खिलाफ साजिश रचने की धारा 120 बी लगाई गई।

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यहां बताना जरूरी है कि दोनों भाइयों के खिलाफ यह केस तब दर्ज किया गया जब डा़ कफील ने अपने छोटो भाई पर कातिलाना हमले के मामले में भाजपा सांसद कमलेश पासवान पर आरोप लगाया था। उन्होंने गोरखपुर पुलिस पर भी इस मामले में जानबूझकर कोई कार्रवाई न करने का आरोप लगाया था।

डा. कफील को बीआरडी मेडिकल कालेज के आक्सीजन कांड में डा.कफील को दो सितम्बर 2017 को गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ पुलिस ने 409,308,120 बी आईपीसी के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है।वह अप्रैल 2018 में हाईकोर्ट से जमानत मिलने पर रिहा हुए थे। रिहा होने के बाद पूरे देश में उन्हें विभिन्न संगठनों द्वारा बोलने के लिए बुलाया जा रहा है। वह अपने वक्तव्यों में अपने साथ हुई घटना के साथ-साथ देश की स्वास्थ्य सेवा और नीति की भी आलोचना कर रहे है। वह गोरखपुर में विभिन्न स्थानों पर मेडिकल कैम्प आयोजित कर लोगों विशेष कर बच्चों का इलाज भी कर रहे थे।

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