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किसान नेताओं के पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ खिरिया बाग आंदोलन की महिलाओं ने एसपी ऑफिस पर मोर्चा लगाया

आजमगढ़। किसान नेता राजीव यादव और विनोद यादव की पुलिस द्वारा अपहरण कर उत्पीड़ित करने के खिलाफ मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय के नेतृत्व में खिरिया बाग आंदोलन की महिलाओं ने सोमवार को एसपी कार्यालय पर मोर्चा लगाया।

खिरिया बाग आंदोलन की महिलाएं जब आज़मगढ़ एसपी कार्यालय पहुंची तो उन्हें एसपी कार्यालय में पुलिस घुसने नहीं दे रही थी. आंदोलनकारियों ने नारे लगाने शुरू किये। महिलायें नारे लगा रही थीं-‘ किसान नेताओं का अपहरण बर्दाश्त नहीं’ , ‘ पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद ‘, ‘ योगी जब-जब डरता है पुलिस को आगे करता है ‘, ‘ खिरिया बाग किसान-मजदूर आंदोलन जिंदाबाद’ । आंदोलनकारियों ने तय किया कि जब तक महिलाएं अंदर नहीं जाएंगी हम गेट पर ही बैठेंगे. एसपी कार्यालय के गेट पर संदीप पाण्डेय, किसान नेता राजीव यादव, किस्मती, नीलम, सुशीला, विनोद यादव, रामनयन यादव, दुखहरन राम, वीरेंद्र यादव, रामकुमार यादव आदि देर तक धरने पर बैठे रहे.

इस दौरान आंदोलनकारियों को गिरफ्तार करने की नीयत से बड़े पैमाने पर पुलिस तैनात कर दी गई. बसें बुला ली गईं. लेकिन आंदोलनकारी टस से मस नहीं हुए और एसपी कार्यालय के गेट पर सड़क पर डटे रहे. आखिरकार पुलिस आंदोलनकारियों के सामने झुकी और महिलाओं को अंदर जाने दिया गया. इसके बाद सात सदस्यीय प्रतिनिमण्डल ने एसपी से मुलाकात की.

मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय ने कहा कि योगी सरकार दावा कर रही है कि कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत बेहतर है और अपराध खत्म हो गया है लेकिन उत्तर प्रदेश में किसान नेता से लेकर व्यापारी तक सुरक्षित नहीं हैं. और पुलिस ही गुंडों और अपहरणकर्ता की भूमिका में आ गई है. आंदोलनकारी महिलाओं का पुलिस अधीक्षक कार्यालय में घुसने से रोकना योगी सरकार की महिला विरोधी नीति को उजागर करता है.

पुलिस अधीक्षक से हुई वार्ता में संदीप पाण्डेय ने 24 दिसंबर को किसान नेता राजीव यादव और अधिवक्ता विनोद यादव के अपहरण के बारे में विस्तार से बताया. कहा कि उन्हें वार्ता ही करनी थी तो इस तरह की गैरकानूनी और असंवैधानिक कृत्य की क्या जरूरत थी. और उनसे यह भी कहा गया कि यदि राजस्व विभाग पुलिस की मदद से जबरन पैमाइश करने न जाता तो यह आंदोलन ही नहीं खड़ा होता. उनसे कहा गया कि प्रशासन को अपना काम कानूनी तरिकों से और संविधान के दायरे में ही करना चाहिए.

एसपी से किसान नेता राजीव यादव ने कहा कि जिस तरह से दिन दहाड़े वाराणसी से अपहरण कर देवगांव होते हुए कंधरापुर थाने में उन्हें लाया गया और अपहरणकर्ताओं की गैंग को लीड कर रहे व्यक्ति के मोबाइल पर एसएसपी आजमगढ़ के नाम से फोन आना साबित करता है कि पुलिस इस पूरे मामले संलिप्त थी. अपहरणकर्ताओं द्वारा खिरिया बाग आंदोलन और किसान आंदोलन के बारे में जिस तरह पूछताछ की गई उससे साबित होता है कि आंदोलन से जुड़े होने की वजह से यह कार्रवाई की गई. जिस तरह से मुझे मारा गया, गालियां दी गई, अपहरण किया गया, पिस्टल के बारे में पूछा गया उससे साफ प्रतीत होता है कि मुझे किसी फर्जी मुकदमे में फ़साने या जान से मारने की साजिश के तहत गैरकानूनी कार्रवाई की गई. ऐसे में इस मामले के दोषी अपहरणकर्ता जिनके बारे में अपहरण के स्थान की पुलिस और मीडिया कह रही है की वो पुलिस के किसी विशेष दस्ते के लोग थे उनके ऊपर मुकदमा पंजीकृत करते हुए इस पूरे मामले की जांच करवाकर सुसंगत धाराओं में दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

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