यूपी में बलात्कार और हत्या की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ ऐपवा और आइसा ने प्रदर्शन किया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में नाबालिग़ बच्चियों और महिलाओं के साथ बलात्कार , हत्या और आत्महत्या की जघन्य घटनाओं के विरोध में ऐपवा और आइसा ने 24 जून को पूरे प्रदेश में राज्य स्तरीय विरोध प्रदर्शन किया।

ऐपवा प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में छोटी बच्चियों , नाबालिग लड़कियों और महिलाओं के साथ बलात्कार कर हत्या की घटनाएं बदस्तूर जारी है। महिला हिंसा के मामले में यूपी शर्मनाक ढंग से आगे है। उन्नाव , हाथरस से लेकर लखीमपुखीरी, बहराइच, हमीरपुर जैसी तमाम घटनाएं दिखला रही है कि यूपी में कानून का राज नही गुण्डाराज चल रहा है। प्रदेश की पुलिस उपरोक्त घटनाओ में या तो अकर्मण्य बनी रही या अपराधियों, बलात्कारियो का संरक्षण करती रही। उन्हीने कहा कि योगीराज में महिलाएं सुरक्षित नहीं है, हम महिलाएं योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे के मांग करती हैं।

ऐपवा की प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने कहा की मुख्यमंत्री साम्प्रदायिकता को केंद्र में रखकर उत्तर प्रदेश की राजनीति कर रहे है जिससे नफरत, हिंसा और महिला विरोधी विचारों को बल मिल रहा है।

ऐपवा प्रदेश उपाध्यक्ष आरती राय ने कहा कि लखीमपुर खीरी, बहराइच और हमीपुर की घटनाओ में हमारी मांग है कि अपराधियों और बलात्कारियो को तत्काल गिरफ़्तार कर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाय और पीड़ित परिवार को 50 लाख मुआवज़ा दिया जाय। इन जघन्य घटनाओं में यदि पुलिस- प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करती हैं तो जिले के एसपी और डी.एम. को इसका जिम्मेदार मानते हुए उन्हें उनके पद से हटाया जाए।

ऐपवा की प्रदेश सहसचिव गीता पांडे ने चेतावनी देते हुए कहा कि महिला सुरक्षा के सवाल पर भाजपा सरकार फेल हो चुकी है। मुख्यमंत्री संविधान के मुताबिक नही बल्कि तानाशाही ढंग से उत्तर प्रदेश का राज काज चला रहे हैं जिसे हम लोकतन्त्र पसन्द महिलायें कभी बर्दाश्त नहीं करेंगी और इसके ख़िलाफ़ वह सड़को ओर उतरेंगी।

 

आइसा के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश पासवान ने कहा “भाजपा नीति योगी राज में महिलाओं और दलितों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। बलात्कार की घटना जैसे कोई आम घटना हो, बनकर रह गयी है जिसमें प्रशासन अपराधियों को लगातार संरक्षण दे रहा है। एक तरफ योगी सरकार मिशन शक्ति जैसे महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम चलाती है तो दूसरी तरफ सरकार बलात्कार जैसी भयावह घटनाओं पर चुप्पी साध लेती है और घटना को दबाने में प्रशासन भी कोई कसर नहीं छोड़ता। सरकार का यह दोहरा चरित्र दिखाता है कि सरकार जैसे तैसे करके अपनी छवि को बचाने में लगी है और उसे जनता की कोई परवाह नहीं है। आइसा लखीमपुर खीरी और बहराइच में हुई घटना की उच्च स्तरीय जांच और अपराधियों को जल्द ही तलाशकर उनके लिए कड़ी से कड़ी सज़ा की मांग करता है।”

विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रम मथुरा, पीलीभीत, लखीमपुखीरी, सीतापुर, लखनऊ कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, देवरिया, गोरखपुर, गाज़ीपुर, मऊ बलिया, चन्दौली, सोनभद्र, भदोही आदि जिलों में हुए।