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कटे होठ व कटे तालू की सर्जरी बाद लौट आयी अली की मुस्कान

देवरिया। कटे होंठ और तालू के साथ जन्मे बालक का चेहरा देखकर ही परिजन मायूस हो गए थे। दिन रात मेहनत करने के बाद चंद रुपए कमाने वाले पिता के सामने बच्चे का बड़ा ऑपरेशन करवाना किसी चुनौती से कम नहीं था। ऐसे में जब राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के माध्यम से बालक का उपचार हुआ और सर्जरी के बाद जब बच्चा समान्य बच्चों की तरह नजर आने लगा तो पूरे परिवार की खुशियां लौट आई।

जनपद के बैतालपुर ब्लॉक के इजरहीं गांव निवासी मध्यमवर्गीय परिवार में युशुफ के घर अली जन्म लिया था। लेकिन बच्चा कटे होठ व कटे तालु के साथ जन्मा था। ऐसे में जहां बच्चे का चेहरा भी ठीक नहीं लग रहा था। वहीं वह दूध पीने में भी असमर्थ था। बच्चे के आहार नली में भी इंफेक्शन हो गया था। ऐसे में सांस लेने के साथ ही खाना निगलने में भी दिक्कत आती, फेंफड़ों में भी फेंफड़ों में भी इंफैक्शन फैलने का भय था। ऐसे में पेट में कुछ भी नहीं पहुंच पाने के कारण अली का वजन नहीं बढ़ रहा था। बच्चे का जीवन बचाना किसी चुनौती से कम नहीं था। भविष्य में उसे बोलचाल में भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता।

पांच माह के अली के पिता युशुफ ने आंगनबड़ी केंद्र इजरही में बच्चे का पंजीकरण करवाया। केंद्र पर बच्चों की स्क्रीनिंग के लिए बैतालपुर ब्लाक की आरबीएसके टीम बी पहुंची। टीम ने अली की भी स्क्रीनिंग करने के बाद उसके इलाज की पहल शुरू की। आरबीएसके टीम के डॉ. जय प्रकाश सिंह, डॉ अमृता सिंह, अजित प्रताप सिंह और अलका यादव की टीम पांच माह के अली सावित्री नर्सिंगहोम ले कर गयी, जहां एक जनवरी को बच्चे की पहले होंठ की सर्जरी हुई। इसके बाद तालू की सर्जरी की गई। जिसके बाद बच्चा दूध भी पीने लगा और समय के साथ साथ उसका आम बच्चों की तरह विकास होने लगा। वर्तमान में बच्चा पूर्ण रूप से स्वस्थ्य है।

आम बच्चों दिखेगा अली

अली के पिता युशुफ ने बताया अली कटे होंठ और तालु के साथ जन्मा था, जिसे आरबीएसके टीम ने   उपचार के लिए रेफर किया। बच्चे का पूरा उपचार नि:शुल्क हुआ है। चार सर्जरी के बाद बच्चा पूर्ण रूप से स्वस्थ्य और सामान्य बच्चों की तरह है।

होता है निशुल्क इलाज

आरबीएसके के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ सुरेंद्र प्रसाद ने बताया जिले में ब्लाक स्तर पर मोबाइल हेल्थ टीम आरबीएसके कार्य करती हैं जो सरकारी और अर्धसरकारी विद्यालयों एवं आँगनवाड़ी केन्द्रों पर जाकर पंजीकृत बच्चो का स्वास्थ्य परीक्षण करती हैं। अस्वस्थ्य बच्चो को चिन्हित करके उन्हे नि:शुल्क उच्च चिकित्सा सेवाओं के लिये सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, जिला चिकित्सालय और मेडिकल कालेज में ले जाया जाता है, जहाँ डीईआईसी मैनेजर के माध्यम से इन बच्चो को संबन्धित विभाग से नि:शुल्क उपचार दिलाया जाता है।

3.93 लाख बच्चों की हुई स्क्रीनिंग

डीईआईसी मैनेजर राकेश कुशवाहा ने बताया नौ माह में जिले में तैनात आरबीएसके टीम ने 3.93 लाख बच्चों की स्क्रीनिंग की है। 1.33 लाख बच्चों की स्क्रीनिंग आंगनबाड़ी केंद्रों पर तो 2.60 लाख बच्चों की स्क्रीनिंग सरकारी विद्यालय में की गई। इनमें 91 बच्चे सर्जरी के लिए चिन्हित किये गए और 37 बच्चों की सर्जरी की गई। शेष 54 बच्चों की सर्जरी करने का कार्य प्रक्रिया में है।

 

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