कैजुअल और ठेका मजदूरों को लाॅकडाउन अवधि की मजदूरी नहीं देने का आरोप

 गोरखपुर। बरगदवां स्थित औद्योगिक क्षेत्र में स्थित वी एन डायर्स एंड प्रोसेसर्स प्राइवेट लिमिटेड के ठेका और कैजुअल मजदूरों ने फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा पर लॉकडाउन अवधि की मजदूरी नहीं देने का आरोप लगाया है। इस सम्बन्ध में ठेका व कैजुअल मजदूरों ने आठ अप्रैल को फैक्टी गेट पर इकट्ठा होकर सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए विरोध जताया था और श्रम विभाग सहित कई बड़े अफसरों को ज्ञापन दिया था लेकिन अभी तक उनको लाॅकडाउन अवधि का मजदूरी नहीं मिली है।

मजदूरों के लिए कार्य करने वाले संगठन बिगुल मजदूर दस्ता के राजू कुमार और टैक्सटाइल्स वर्कर्स यूनियन के नेता अजय मिश्रा ने बताया कि वी एन डायर्स एंड प्रोसेसर्स प्राइवेट लिमिटेड में लगभग 200 मजदूर ठेका और कैजुअल के रूप में काम करते हैं। सरकार के आदेश के बावजूद मार्च माह की लॉक डाउन अवधि का वेतन इन मजदूरों को नहीं दिया गया। इससे उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है। मजदूरी ना मिलने से वे भुखमरी के शिकार हो रहे हैं।

टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन के नेता अजय मिश्रा ने बताया कि ठेका और कैजुअल मजदूर दो कारखाना गेट पर फैक्ट्री प्रबंधन से बातचीत करने गए लेकिन प्रबंधन ने मिलने से इंकार कर दिया। मजदूरों की मांग है कि सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए कैजुअल और ठेका पर काम करने वाले मजदूरों को लॉकडाउन के दौरान का पूर्ण वेतन दिया जाए।

श्री मिश्र ने बताया कि बरगदवां क्षेत्र के दो और फैक्टियों में लाॅकडाउन अवधि की मजदूरी ठेका व कैजुअल मजदूरों को नहीं दी गई है। उन्होंने बताया कि बहुत से मजदूर निराश होकर अपने गांवों को लौट गए है। जो मजदूर यहां रह रहे हैं उनके लिए दो जून की रोटी जुटाना कठिन हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि फैक्टी के नियमित मजदूरों को भी लाॅकडाउन अवधि का आधा वेतन ही दिया गया है। उसमें भी दो दिन की मजदूरी बिना वाजिब वजह की काट ली गयी है।

उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्री, गोरखपुर के कमिश्नर और उपश्रमायुक्त को टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन द्वारा भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि वी एन डायर्स एंड प्रोसेसर्स प्राइवेट लिमिटेड बरगदवा में लगभग 200 मजदूर ठेका व कैजुअल के रूप में काम करते हैं जिनका ना तो ईपीएफ काटा जाता है और ना ही ईएसआई काटी जाती है। फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा कारखाने के गेट पर सूचना चस्पा किया गया है कि मजदूरों को 21 दिन की बंदी का लेआफ दिया जाएगा। यह सरकार के निर्देशों का उल्लंघन है। लेआफ केवल उन मजदूरों का होगा जिनका कारखाने द्वारा ईएसआई ,ईपीएफ काटा जाता है। बाकी जो 200 मजदूर ठेका और कैजुअल पर काम करते हैं अगर इस लंबी बंदी में उनको वेतन नहीं मिलेगा। फिर उनका क्या होगा ? हम सभी मजदूर लॉकडाउन में अपना परिवार लेकर फैक्ट्री इलाके में कमरा किराए पर लेकर रहते हैं हमारे पास बिल्कुल पैसा नहीं है कि घर का राशन अन्य खाद्य सामग्री खरीद सकें। हम सभी मजदूर फैक्ट्री प्रबंधन से मिलने पहुंचे तो फैक्ट्री प्रबंधन ने मिलने से इंकार कर दिया। सरकार का निर्देश है कि कोरोना महामारी में जो जहां फसा है वही रहे इसी में सभी की भलाई है। उनके खाद्य सामग्री राशन जरूरत की वस्तुएं पहुंचाई जाएंगी। अभी हम लोगों तक फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा या प्रशासन द्वारा हम तक किसी प्रकार की कोई भी मदद नहीं पहुंची है इस स्थिति में अगर कारखाने में काम कर रहे मजदूरों का वेतन रोक लिया जाएगा तो वह अपने परिवार का देखभाल कैसे करेंगे ?