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प्राचार्य जी ! क्या हम नान एईएस गंभीर मरीजों को आईसीयू में जगह न दें

मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग के चिकित्सकों ने पत्र लिख पूछा सवाल
सीएमओ द्वारा इंसेफेलाइटिस वार्ड में सिर्फ इंसेफेलाइटिस मरीजों को रखने के निर्देश पर विवाद गहराया
चिकित्सकों का सवाल-दूसरी बीमारियों से ग्रस्त अति गंभीर बच्चों को क्या इंसेफेलाइटिस वार्ड की सुविधाएं न दें

गोरखपुर, 4 सितम्बर। बीआरडी मेडिकल कालेज के न्यू इंसेफेलाइटिस वार्ड में गैर इंसेफेलाइटिस मरीजों को न रखने के सीएमओ के आदेश को लेकिर विवाद गहराता जा रहा है। दो अगस्त को बीआरडी मेडिकल कालेज के दौरे के समय सीएमओ और मेडिकल कालेल के बाल रोग विभाग के चिकित्सकों के बीच इस विषय पर बहस हुई थी। इसके बावजूद सीएमओ द्वारा दबाव बनाए जाने पर बाल रोग की विभागाध्यक्ष ने प्राचार्य को पत्र लिखकर कहा कि वह इस विषय में दिशा निदेश देने की मांग की है कि क्या इंसेफेलाइटिस वार्ड में गैर इंसेफेलाइटिस गंभीर मरीजों को इलाज के लिए न रखा जाए ?
ळालांकि इस मुद्दे पर आज सीएमओ बैकफुट पर नजर आए। सीएमओ डा रवीन्द्र कुमार ने गोरखपुर न्यूज लाइन से बातचीत में कहा कि उन्होंने मेडिकल कालेज से सिर्फ निवेदन किया है इंसेफेलाइटिस वार्ड में सिर्फ इंसेफेलाइटिस मरीजों को ही रखा जाए। यदि चिकित्सक जरूरत महसूस करते हैं तो दूसरे गंभीर रोगियों को रख सकते हैं।
यह विवाद केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल के मेडिकल कालेज के दौरे के बाद शुरू हुआ। उन्होंने एक बेड में एक से अधिक इंसेफेलाइटिस मरीजों को रखे जाने और इंसेफेलाइटिस वार्ड में दूसरी बीमारी वाले मरीजों को भी रखे जाने पर नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद सीएमओ ने मेडिकल कालेज के नेहरू चिकित्सकालय के चिकित्सा अधीक्षक से कहा था कि इंसेफेलाइटिस वार्ड में सिर्फ इंसंेफेलाइटिस मरीजों को ही रखें। सीएमओ दो अगस्त को मेडिकल कालेज पहुंच गए और बालरोग विभाग के चिकित्सकों के साथ बैठक कर यह निर्देश एक बार फिर दुहरा दिया। बाल रोग विभाग के चिकित्सकों द्वारा उन्हें बताया गया कि इंसेफेलाइटिस रोग के अलावा दूसरे बीमारियों से ग्रस्त गंभीर बच्चों को ही इंसेफेलाइटिस वार्ड के पीडियाटिक आईसीयू में रखना मजबूरी है क्योंकि उनके पास और आईसीयू यूनिट नहीं है। यदि यहां सुविधा रहते हुए भी गंभीर मरीजों को नहीं रखा जाएगा तो यह अमानवीय व मेडिकल एथिक के खिलाफ होगा। इसके बावजूद सीएमओ यही कहते रहे कि एईएस और नान एईएस मरीजों को एक ही वार्ड में रखने से एईएस मरीजों को सभी सुविधाएं देने में दिक्कत आती है।
सीएमओ के साथ हुई बैठक के सम्बन्ध में बाल रोग विभाग के सभी चिकित्सकों ने आज बैठक कर एक मत से निर्णय लिया कि इस सम्बन्ध में प्राचार्य से दिशा निर्देश मांगा जाए। बैठक के बाद बाल रोग विभाग की अध्यक्ष डा. महिमा मित्तल ने प्राचार्य को पत्र लिखा। इस पत्र मंे कहा गया है कि बाल रोग विभाग के पास सभी रोगों के मरीजों के लिए कुल 228 बेड-वार्ड न. 10 में 10, वार्ड नं. 6 में 54, वार्ड न. 12 में 54 और न्यू इंसेफेलाइटिस वार्ड में 100 उपलब्ध हैं। इसमें 50 बेड का पीआईसीयू पीडियाटिक आईसीयू न्यू इंसेफेलाइटिस वार्ड में ही स्थित है। इसको लेवल तीन आईसीयू में अपग्रेड करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है लेकिन अभी इसे मंजूर नहीं किया गया है। इस वक्त इंसेफेलाइटिस सहित बाल रोग विभाग में विभिन्न रोगों के 350 से 400 मरीज भर्ती हैं। इनमें इंसेफेलाइटिस मरीजों की संख्या 100 से अधिक है। इस कारण गैर इंसेफेलाइटिस अति गंभीर मरीजों को भी इंसेफेलाइटिस वार्ड स्थित पीआईसीयू मंें रखा जाता है ताकि उनका ठीक से इलाज हो सके। यदि इस वार्ड में गैर इंसेफेलाइटिस के गंभीर रोगियों को न रखा जाए तो कहां रखा जाए ? यदि सुविधा रहते हुए उन्हें सही चिकित्सा नहीं मिले तो क्या यह मेडिकल प्रोफेशन के एथिक्स व दायित्व के खिलाफ नहीं होगा ?
देखना है कि प्राचार्य इस विषय पर क्या निर्णय लेते हैं।

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